जीवन जीने की कला सिखाती कहानी – 34
प्रेरणादायक प्रसंग/कहानियों का इतिहास बहुत पुराना है, अच्छे विचारों को जेहन में गहरे से उतारने की कला के रूप में इन कहानियों की बड़ी भूमिका है। बचपन में दादा-दादी व अन्य बुजुर्ग बच्चों को कहानी-कहानी में ही जीवन जीने का ऐसा सलीका बता देते थे, जो बड़े होने पर भी आपको प्रेरणा देता रहता है। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के वृद्धावस्था मानसिक स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ भूपेन्द्र सिंह के माध्यम से ‘सेहत टाइम्स’ अपने पाठकों तक मानसिक स्वास्थ्य में सहायक ऐसे प्रसंग/कहानियां पहुंचाने का प्रयास कर रहा है…
प्रस्तुत है 34वीं कहानी – राजा की राजकुमारी
पत्नी अपने पति से कहती है…पता नहीं क्या हो गया है हमारी पायल को, कल रात को खाना भी नहीं खाया, और रो भी रही थी…अभी सुबह जगाने गई तो फिर से रो रही थी…वजह पूछी तो, बस इतना कही की…PLEASE मां…मुझे अकेला छोड़ दो..।
मुझे लगता है की शायद उसे किसी ने प्यार में धोखा दिया है।
डर लगता है कहीं वह खुद को नुकसान न पहुंचाये।
पति- थोड़ी खामोशी के बाद कहता है…ठीक है मैं देखता हूँ।
इतना कहकर वह अपने बेटी के कमरे में जाते हैं ।
पिता- HI PAYAL…कैसी हो बेटा?
बेटी- PLEASE PAPA..मुझे कुछ दिनों के लिए अकेला छोड़ दीजिए।
पिता- ठीक है बेटा…मगर एक शर्त है?
बेटी – बोलिए ।
पिता- बस तुम्हें एक बकवास कहानी सुनाना चाहता हूँ
तुम सुन लो, फिर हम तुम्हें Disturb नहीं करेंगे..ok?
बेटी- ठीक है सुनाइये।
पिता- आज से करीब 20 साल पहले एक राजा हुआ करते थे…बेहद अमीर। उनके दो बेटे थे…बड़ा बेटा बेहद आज्ञाकारी और ईमानदार था। उस राजा को अपने बड़े बेटे पर नाज था। उसकी शादी एक खूबसूरत लड़की से कर दी गईं। फिर वह खूबसूरत लड़की( राजा की बड़ी बहू) गर्भवती हुई। घर मे खुशियां ही खुशियाँ छा गईं। मगर राजा की जिद थी कि बेटा ही हो। फिर राजा ने अपने बहू के गर्भ का चेकअप करवाया तो पता चला की गर्भ में लड़की है।
राजा ने बेटे को हुक्म दिया की लड़की को गिरा दिया जाए।
आखिर बड़ा बेटा आज्ञाकारी था, न तो करेगा नहीं। मगर पता नहीं उस पागल बेवकूफ को क्या सूझा कि…दो दिन बाद अपना राज पाट धन दौलत शानो-शौकत सबकुछ छोड़ के अपनी गर्भवती पत्नी को लेकर महल से गायब हो गया।
सच कहूं तो वह बड़ा बेवकूफ और पागल था। लोग बेटियों को बोझ समझकर गर्भ मे नष्ट कर देते हैं और एक वह बेवकूफ पागल जिसने एक बेटी के लिए तमाम सुख सुविधाओं को ठोकर मार दी। वह बाप की बात मानता तो आज उसकी जगह राजा होता। न जाने वह बेवकूफ बेटी के लिए बाप न जाने किस हालत में होगा।
तभी पायल की मां वहां आकर कहती है कि…वह बेवकूफ बेटी के लिए पागल शख्स और कोई नहीं…यही तेरे पिताजी हैं जो तूझे अपनी सच्ची कहानी सुना रहे हैं ।
तू कहती थी न की…मम्मी…नाना-नानी को तो मैंने देख लिया, काश…पापा अनाथ न होते तो दादा-दादी का चेहरा भी देख लेती… तेरे पापा अनाथ नहीं है। तू बड़ी होकर जिद न करे दादा-दादी से मिलने की इसलिए तूझसे सच छुपाया गया। फिर तेरे पापा ने तेरे पैदा होने के बाद एक कसम ली कि…तेरे अलावा दूसरी संतान फिर कभी नहीं बनाएंगे।
अखबार मे इश्तहार देकर तेरे दादा-दादी ने बेटी को लेकर ही वापस आने को कहा…मैंने भी जोर दिया वापस जाने को…मगर तुझे गोदी मे उठाकर तेरे पापा ने बस इतना ही कहा। जिस घर में मेरी princess की…हत्या का फरमान निकाला गया हो..वहां एक राजा कैसे सांसें ले सकता है।
अब नजारा अलग था। पायल की आंखों में पापा के लिए सम्मान उनकी मोहब्बत के लिए ढेर सारा प्यार और उनकी कुर्बानी के लिए इबादत करने जी कर रहा था। आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे मगर सबकुछ अब सिर्फ पापा के लिए था।
पापा ने बस आखरी शब्द इतना ही कहा अपनी बेटी को…
मैं नहीं जानता की दुनिया तेरे बारे मे क्या सोचती है।
मगर तू मेरे लिए बेहद अनमोल है।
भले मैं आज कहीं का राजा नहीं रहा…
मगर तू कल भी आज भी और सदा ही…
मेरी PRINCESS ही रहेगी।
बेटी ने दौड़कर अपने पापा को गले लगाकर रोते हुए कहा…
आप असली राजा हो
और मैं आपकी PRINCESS…
सबकी पलकें गीली थीं मगर
वह एक नई सुबह की शुरुआत थी जहां PRINCESS फिर से अपनी सियासत में लौट आई थी।
शिक्षा : जैसे–जैसे बच्चे बड़े होते हैं, आपको उनमें एक अलग ही व्यक्तित्व दिखाई देगा, क्योंकि बच्चे हर दिन नई आदतों को विकसित करने की प्रवृत्ति रखते हैं। जैसे–जैसे दिन आगे बढ़ता जाता है, आपका बच्चा संभवतः एक पुरानी आदत को पीछे छोड़ देगा और किसी नई आदत को अपनायेगा, बस जरूरत है उन्हें संभालने की।