Sunday , December 29 2024

पेट के अत्यन्त दुर्लभ ट्यूमर की जटिल सर्जरी करने में सफलता मिली केजीएमयू के चिकित्सकों को

-दुनिया भर में अब तक ऐसे सिर्फ 30 केसेज का पता चला

-बुजुर्ग मरीज को थी चार वर्षों से पेट दर्द व सूजन की शिकायत

सेहत टाइम्स

लखनऊ। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) की सर्जरी विभाग की अतिरिक्त प्रोफेसर, डॉ. सौम्या सिंह, और उनकी बहु-विषयी टीम ने बुजुर्ग मरीज के पेट के दुर्लभ ट्यूमर (Cavernous Hemangioma) को सर्जरी कर निकालने में सफलता प्राप्त की है, तीन घंटे चली सर्जरी में आठ किलोग्राम का ट्यूमर निकाला गया। ट्यूमर की जटिलता का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि ट्यूमर, जो यकृत के बाएं लोब से उत्पन्न हुआ था, अत्यधिक रक्तवाहिनी वाला था और यह कई बार अपनी धुरी पर मुड़ गया था (टॉर्शन), ट्यूमर आंत, पेट और डुओडेनम (छोटी आंत का पहला हिस्सा) के साथ उलझा हुआ था, जिससे इसे हटाना और चुनौतीपूर्ण हो गया। इसके बावजूद टीम को सावधानीपूर्वक विच्छेदन कर सभी महत्वपूर्ण अंगों को संरक्षित करने में सफलता मिली। यह केस कितना दुर्लभ है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया भर में ऐसे केवल 30 केस की सूचना मिली है।

यह जानकारी देते हुए डॉ सौम्या सिंह ने बताया कि गोंडा जिले के एक ग्रामीण क्षेत्र (गांव गोफाटमापार) के रहने वाले बुजुर्ग मरीज चार वर्षों से पेट दर्द और सूजन से पीड़ित थे और अन्यत्र कहीं गलत डायग्नोसिस होने के कारण उनका हार्ट अटैक (एक्यूट मायोकार्डियल इंफार्क्शन) का इलाज चल रहा था। केजीएमयू में भर्ती होने पर विस्तृत जांच में पता चला कि मरीज के पेट में एक बड़ा ट्यूमर था, जो आंतरिक रक्तस्राव कर रहा था और जिसके कारण हीमोग्लोबिन का स्तर गंभीर रूप से कम (6-7 g/dL) हो गया था। मरीज को स्थिर करने के लिए कुल आठ यूनिट रक्त चढ़ाया गया। अंतिम हिस्टोपैथोलॉजी रिपोर्ट में Cavernous Hemangioma की पुष्टि हुई, जो पेट का एक बहुत ही दुर्लभ ट्यूमर है (0.2%) है। 13 दिसंबर 2024 को, डॉ. सिंह और उनकी टीम—डॉ. वेख राखो, डॉ. अमीना, डॉ. हेमंत, डॉ. आकाश, और डॉ. साइमन—ने तीन घंटे लंबी जटिल सर्जरी की।

डॉ सौम्या ने बताया कि सर्जरी के बाद मरीज की रिकवरी असाधारण रही। उन्हें आईसीयू में भर्ती करने की आवश्यकता नहीं पड़ी और दसवें दिन तक वह सामान्य आहार लेने और चलने-फिरने लगे।

डॉ. सिंह ने इस सफलता का श्रेय यूनिट इंचार्ज प्रो. जे.के. कुशवाहा, प्रो. के.के. सिंह और अन्य सहयोगियों को दिया। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में समय पर चिकित्सा जांच की आवश्यकता पर बल दिया, जहां अपच या पेट फूलने जैसे लक्षणों को अक्सर अनदेखा किया जाता है। यह सफलता केजीएमयू की उत्कृष्ट चिकित्सा सेवाओं की प्रतिबद्धता को दर्शाती है और विशेषज्ञ चिकित्सा टीमवर्क और समय पर निदान के जीवनरक्षक प्रभाव का प्रतीक है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.