-विश्व आईवीएफ दिवस पर दिल्ली में आयोजित शिखर सम्मेलन में दिया गया सम्मान

सेहत टाइम्स
लखनऊ। बीते 27 वर्षों से घर के सूने आंगन में किलकारियों की गूंज से नि:संतान दम्पतियों के होठों पर मुस्कान लाने के मिशन में लगी हुई राजधानी लखनऊ को पहली टेस्ट ट्यूब बेबी देने वाली अजंता हॉस्पिटल एंड आईवीएफ सेंटर की निदेशक डॉ गीता खन्ना को इंटीग्रेटेड हेल्थ एंड वेलबीइंग काउंसिल (IHW Council) के प्रतिष्ठित पुरस्कार “लीगेसी ऑफ एक्सीलेंस” से सम्मानित किया गया है। विश्व आईवीएफ दिवस (25 जुलाई) के अवसर पर नयी दिल्ली में आयोजित आईवीएफ शिखर सम्मेलन में डॉ गीता खन्ना को इस प्रतिष्ठित अवॉर्ड से नवाजा गया।
ज्ञात हो दुनिया के प्रथम टेस्ट ट्यूब बेबी “लुई ब्राउन” के जन्मदिन 25 जुलाई को विश्व आईवीएफ दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित होने पर अपनी प्रतिक्रिया में डॉ गीता खन्ना ने कहा कि यह पुरस्कार प्राप्त करना न केवल IVF के क्षेत्र में मेरे 27 से अधिक वर्षों के काम की मान्यता है, बल्कि यह उन अनगिनत व्यक्तियों और परिवारों के लिए भी एक गौरवपूर्ण क्षण है, जिनके जीवन में सहायक प्रजनन तकनीक के चमत्कार से बदलाव आया है।

वह क्षण मेरे लिए बहुत संतुष्टि प्रदान करने वाला था


आईवीएफ के क्षेत्र में अपने प्रमुख योगदान के बारे में बताते हुए डॉ गीता खन्ना ने कहा कि लखनऊ की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी “प्रार्थना” का जन्म 1998 में उन्हीं के द्वारा उनके सेंटर में कराया गया था। 26 वर्ष पूर्व की अपनी इस उपलब्धि पर सबसे बड़ी संतुष्टि उन्हें पिछले वर्ष उस समय हुई जब उनके हाथों उनके सेंटर पर जन्म लेने वाली उस टेस्ट ट्यूब बेबी प्रार्थना ने अपनी बच्ची को उन्हीं के सेंटर पर जन्म दिया।
डॉ गीता खन्ना ने कहा कि आईवीएफ क्षेत्र के ऐसे सम्मानित सहयोगियों और विशेषज्ञों के बीच पहचाने जाने पर वास्तव में बहुत गर्व महसूस हो रहा है। उन्होंने कहा कि अटूट समर्पण के साथ कार्य करने वाली अपनी विशेषज्ञ टीम की भी मैं बहुत आभारी हूँ, इसके साथ ही मैं आभारी हूं उन बांझ दंपतियों की, जिनका मुझ पर विश्वास इस मील के पत्थर को हासिल करने में सहायक रहा है। उन्होंने कहा कि मैं अपनी इस सफल यात्रा को जारी रख्रना अपना सौभाग्य समझूंगी।
डॉ गीता खन्ना ने बताया कि उन्होंने एक नये उत्तेजना प्रोटोकॉल का विकास किया है, जिसे वे अपने केंद्र पर क्रियान्वित कर रखा है। इस प्रोटोकॉल को लागू करने के बाद से क्लीनिक की सफलता की दर 20 प्रतिशत तक बढ़ गयी है। उन्होंने बताया कि इस प्रोटोकॉल को दूसरी अन्य कई क्लीनिकों ने भी अपनाया है, जिससे उनके कार्यों का परिणाम भी बेहतर हुए हैं। डॉ गीता ने बताया कि शिक्षा और प्रशिक्षण उनकी हमेशा प्राथमिकता रही है। उन्होंने नए और अनुभवी आईवीएफ चिकित्सकों, दोनों के लिए कई कार्यशालाएँ और प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किए हैं और उनका संचालन किया है।
