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प्राकृतिक रूप में खायी जाने वाली चीजों को प्राकृतिक रूप में ही खाना फायदेमंद

-नेचुरोपैथी एक समग्र आयुर्विज्ञान संगोष्‍ठी एवं नेचुरोपैथी परामर्श शिविर आयोजित

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। स्थानीय जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान लखनऊ में नेचुरोपैथी एक समग्र आयुर्विज्ञान एवं नेचुरोपैथी परामर्श शिविर का आयोजन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ नेचरोपैथी पुणे, आयुष मंत्रालय भारत सरकार एवं इंटरनेशनल नेचुरोपैथी ऑर्गेनाइजेशन के संयुक्त तत्वावधान में वैदिक योग- प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान (रजिस्टर्ड) द्वारा किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डॉ० सत्येंद्र कुमार मिश्र ने कहा कि व्‍यक्ति को अपने पाचन तंत्र पर विशेष ध्‍यान देना चाहिये। उन्‍होंने कहा कि ईश्‍वर ने मनुष्‍य के उपभोग करने के लिए बहुत सी चीजें बनायीं, जो मनुष्‍य के लिए बहुत अच्‍छी हैं लेकिन ईश्‍वर की बनायी हुई चीजों को जब मनुष्‍य ने फि‍र से बनाता है तो वह अच्‍छी नहीं होती हैं, जैसे ईश्‍वर ने अंगूर बनाया वह अच्‍छा है लेकिन मनुष्‍य ने अंगूर से अंगूरी बना दी तो वह ठीक नहीं है। उन्‍होंने कहा कि अंकुरित अनाज खाना बहुत फायदेमंद है। उन्‍होंने कहा कि जो चीजें प्राकृतिक रूप में खायी जा सकती हैं, उन्‍हें वैसे ही खाना चाहिये। उन्‍होंने पाचन संबंधित रोग जैसे अजीर्ण, गैस की दिक्‍कत,  फैटी लीवर, एसीडिटी, मोटापा एवं बवासीर के उपचार में हाइड्रो  थेरेपी, मड थेरेपी कारगर है।

मोटे अनाज का सेवन कर सकता है कुपोषण व रोगों से मुक्‍त

विशिष्ट अतिथि आयुर्वेद, यूनानी एवं तिब्बी चिकित्सा परिषद (उत्तर प्रदेश)  के पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. एलबी यादव ने कहा कि यदि आमजन भारत की  प्राचीन एवं परंपरागत श्रीअन्न बाजरा, जौ, मडुवा, मक्का,सेला चावल छिलके वाली दालें, गेहूं व जौ की दलिया, अंकुरित अनाज का सेवन करना आरंभ कर दें तो भारत की जनता को कुपोषण एवं रोगों से मुक्त किया जा सकता है। केजीएमयू के पूर्व मनोवैज्ञानिक एवं योग

ओम का उच्‍चारण मानसिक तनाव, अल्‍जाइमर जैसे रोगों में लाभदायक

विशेषज्ञ डॉ. डीएन राय ने कहा कि केवल 15 मिनट नाड़ी शोधन प्राणायाम के अभ्यास से 72,000 नाड़ियों का शोधन किया जा सकता है। 7 मिनट ओम शब्द के नियमित उच्चारण से मानसिक तनाव तथा अल्जाइमर जैसी असाध्य मानसिक रोग को दूर किया जा सकता है।

सूत्र नेति का प्रदर्शन करते योगी वीरेंद्र विक्रम सिंह

बलरामपुर चिकित्सालय के योग विशेषज्ञ एवं वरिष्ठ प्राकृतिक चिकित्सक डॉ. नंदलाल जिज्ञासु ने बताया कि नेचुरोपैथी एक समग्र आयुर्विज्ञान है जिसमें  रोग निवारण, गंभीर रोगों का प्रबंधन, स्वास्थ्य संरक्षण एवं स्वास्थ्य संवर्धन की अद्भुत क्षमता है।

मेडिटेक ट्रेनिंग एंड  रिसर्च इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डॉ. अरुण कुमार भरारी ने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा के जन जागरण से गांव तथा शहर के लोगों को गंभीर बीमारियों से बचाया जा सकता है तथा महात्मा गांधी के सपनों को साकार किया जा सकता है।

जलनेति व सूत्र नेति जुकाम, साइनस जैसे रोगों से

षटकर्म एक्सपर्ट योगी वीरेंद्र विक्रम सिंह ने जलनेति क्रिया, सूत्र नेती क्रिया, कुंजल क्रिया, जो कि नासिका एवं उदर रोगों को जड़ से समाप्त करने में कारगर है, का व्यावहारिक प्रशिक्षण डाइट के छात्र- छात्राओं को दिया।

कार्यक्रम के अध्यक्ष प्राचार्य अजय कुमार सिंह ने बताया कि कोरोना जैसी महामारी तथा अन्य शारीरिक व मानसिक रोगों से बचना चाहते हैं तथा अपनी जीवनी शक्ति को बढ़ाना चाहते हैं तो नियमित योगिक एवं प्राकृतिक चिकित्सा युक्त जीवन शैली अपनाना होगा।

कार्यक्रम में जिला कार्यक्रम अधिकारी राजेश कुमार वर्मा, प्राकृतिक चिकित्सक डॉ शिखा गुप्ता, मनोवैज्ञानिक एवं परामर्शदाता प्रिया वैद्य, कुलदीप यादव, संजीत कुमार, डायट की  व्याख्याता डॉ सुनीता बिष्ट, राकेश प्रताप सिंह, सुनील कुमार द्विवेदी, इंजीनियर एमएल शर्मा, उच्च न्यायालय के सरकारी अधिवक्ता अतुल कुमार  एवं अधिवक्ता रामानंद सैनी सहित डाइट के लगभग 250 प्रशिक्षु अध्यापकों ने कार्यक्रम में अपनी सहभागिता की।

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