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ध्यान के माध्यम से बनाया जा सकता है बुद्धि को शुद्ध व बुद्ध

-इंटरनेशनल नेचुरोपैथी आर्गेनाइजेशन उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में ध्यान योग पर राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित

सेहत टाइम्स

लखनऊ। प्रथम “अंतर्राष्ट्रीय ध्यान दिवस” पर नेशनल डायरेक्टरी (प्राकृतिक चिकित्सा,योग एवं नैसर्गिक चिकित्सा) और इंटरनेशनल नेचुरोपैथी आर्गेनाइजेशन (INO) उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में ध्यान योग विषय पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार में देश के प्रख्यात ध्यान योग विशेषज्ञ डॉ० जीतेन्द्र आर्य पुणे, योगऋषि डा० ओम प्रकाश आनंद कानपुर एवं डॉ० दीपेश्वर सिंह एसो० प्रोफेसर योग विभाग, बाबा भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ ने अपने अपने विचार रखे।

डॉ० दीपेश्वर सिंह ने ध्यान के वैज्ञानिक स्वरुप का वर्णन करते हुए बताया कि मन अत्यंत चंचल एवं गतिमान है जिसे नियंत्रण मे करना अत्यंत आवश्यक है। यदि इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो सभी दुखों का कारण बनता है। चूँकि मानसिक विकार उत्पन्न होने से बुद्धि का नाश होने लगता है और यदि बुद्धि का नाश हो जाये तो व्यक्ति का नाश होना तय है इसलिए ध्यान के माध्यम से बुद्धि को शुद्ध व बुद्ध बनाया जा सकता है।

योगऋषि डा० ओम प्रकाश आनंद ने ध्यान को परिभाषित करते हुए बताया कि सिर्फ आँख बंद करना ही ध्यान नहीं है ज़ब तक किसी योग्य ध्यान योगविद का साथ न मिले तों इसे कर पाना कठिन कार्य है उन्होंने ध्यान की विभिन्न विधियों का जिक्र किया जिसमे विपश्यना, भावातीत, नासिका अग्र भाग, साक्षी ध्यान के बारे में बताया एवं साक्षी ध्यान का अभ्यास भी कराया।

डॉ. जीतेन्द्र आर्या पुणे महाराष्ट्र, ने ध्यान को लम्बा जीवन जीने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साधन बताया है। डॉ
आर्या ने बताया कि ध्यान की अनेक विधियों में से किसी एक विधि को भी अगर व्यक्ति जीवन में अपना ले तो कई बीमारियों से बचा जा सकता है।

अच्छे विचारों से मन का स्नान है ध्यान

आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्राकृतिक चिकित्सक एवं योग विशेषज्ञ, डॉ. एस. एल. यादव ने अच्छे विचारों से मन के स्नान को ध्यान बताया एवं किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जिस यान (साधन) का इस्तेमाल किया जाता है उसे ध्यान कहते है। ध्यान, अष्टांग योग का सातवाँ पायदान है इसलिए उसके पहले के पायदान (यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा) का अगर अभ्यास किया जाये तो ध्यान करना आसान हो जाता है। डॉ. श्यामली चक्रवर्ती ने मन्त्रोच्चारण के साथ एवं डॉ उर्मिला यादव ने शंख ध्वनि से कार्यक्रम की शुरुआत की।

डॉ. नन्दलाल जिज्ञासु वरिष्ठ प्राकृतिक चिकित्सक एवं योग विशेषज्ञ बलरामपुर हॉस्पिटल, लखनऊ, डॉ० कृष्ण कुमार बिहार, डॉ० एल०के०रॉय महासचिव आई.एन.ओ. उत्तर प्रदेश ने भी ध्यान के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त किये।

वेबिनार में डा०अनिल आनंदम, डा० पूनम रानी, डा०सुमिता रॉय, डा०सोनाली धनवानी, डा०सुदीप कुमार, डा० मीनू मोहन, डा० आशीष कुमार, डा०सरिता दुबे, डा०संतोष पाण्डेय, डा० प्रीति, डा० शिल्पी, डा० मुरलीधर, विक्रांत सहित पूरे भारत वर्ष से विभिन्न शिक्षण संस्थानों से बड़ी संख्या में प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया एवं प्रथम विश्व ध्यान दिवस को बड़े उत्साह के साथ मनाया।

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