-विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (10 अक्तूबर) पर विशेष लेख प्रो डॉ राजेंद्र सिंह की कलम से
एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत भर के राज्यों के लिए मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति के अनुमान से पता चला है कि 197.3 मिलियन लोगों को मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति के लिए देखभाल की आवश्यकता है, इसमें अवसादग्रस्तता वाले लगभग 45.7 मिलियन और चिंता विकारों वाले लगभग 44.9 मिलियन लोग शामिल हैं। मानसिक स्वास्थ्य बीमारी के दो प्राथमिक कारण हैं- “पहला अनुवांशिक है और दूसरा पर्यावरण या हमारा सामाजिक परिवेश है। कुछ सामान्य अनुवांशिक मानसिक स्वास्थ्य विकार एडीएचडी, ऑटिज़्म और सिज़ोफ्रेनिया है जिसमें से लगभग 10 प्रतिशत आबादी अवसाद से प्रभावित है।”
भारत के मानसिक स्वास्थ्य को खोने का सबसे प्रमुख कारण जागरूकता और संवेदनशीलता की कमी है। किसी भी तरह के मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से पीड़ित लोगों को आसपास के लोग और समाज द्वारा उन्हें अक्सर “पागल”, बुद्धू आदि के रूप में टैग किया जाता है I इस वर्ष मानसिक स्वास्थ दिवस की थीम है- ‘विश्व भर मे प्राथमिकता के आधार पर सभी को मानसिक स्वास्थ्य सुलभ कराना’
सामान्य मानसिक स्वास्थ्य बीमारियों में शामिल हैं- अवसाद, चिंता/फोबिया, भोजन सम्बन्धित विकार, तनाव, नशा।डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि भारत में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का बोझ 2443 विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष (डीएएलवाई) प्रति 10000 जनसंख्या है; प्रति 100,000 जनसंख्या पर आयु-समायोजित आत्महत्या दर 21.1 है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को प्रमुख अवसाद से पीड़ित होने की संभावना लगभग दोगुनी है। हालांकि, पुरुषों और महिलाओं में द्विध्रुवी विकार विकसित होने की संभावना समान रूप से होती है। जबकि प्रमुख अवसाद किसी भी उम्र में विकसित हो सकता है, शुरुआत में औसत आयु बीस से 24 वर्ष आयु समूह है।
वर्तमान में भारत “एक संभावित मानसिक स्वास्थ्य महामारी का सामना कर रहा है”। एक अध्ययन से पता चला कि इस वर्ष, भारत की 14% आबादी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों से पीड़ित थी, जिसमें 45.7 मिलियन अवसादग्रस्तता विकारों से और 49 मिलियन चिंता विकारों से पीड़ित थे। दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति बढ़ रही है। मुख्य रूप से जनसांख्यिकीय परिवर्तनों के कारण, पिछले दशक (2017 तक) में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति और मादक द्रव्यों के सेवन संबंधी विकारों में 13% की वृद्धि हुई है।
मानसिक अस्वस्थता व नशे संबंधी विकार बढ़ने के कारण
जैसे: माता-पिता का बढ़ता दबाव। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन सिंड्रोम) को अपनाने में हुई वृद्धि, प्रदर्शन का दबाव (शिक्षा, करियर, वित्तीय, पारिवारिक), बचपन का दुर्व्यवहार, आघात, या उपेक्षा। सामाजिक अलगाव या अकेलापन। जातिवाद सहित भेदभाव और कलंक का अनुभव करना, सामाजिक नुकसान, गरीबी या कर्ज।
मानसिक बीमारी के पांच लक्षण दिए गए हैं जिन्हें अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है-
लगातार थकान रहना।
बिना वज़ह शारीरिक दर्द।
किसी भी भावना का अभाव।
जीवन नीरस लगना।
किसी भी काम करने में मन न लगना I
मानसिक विकार के 7 प्रकार क्या हैं?
घबराहट की बीमारियां।
मनोअवस्था संबंधी विकार।
मानसिक विकार।
भोजन विकार।
व्यक्तित्व विकार।
पागलपन।
आत्मकेंद्रितता
मानसिक स्वास्थ्य को समुन्नत करने के उपाय-
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में 12% से 13% स्कूली छात्र भावनात्मक, व्यवहारिक और सीखने की समस्याओं जैसे चिंता, अवसाद, सीखने की कठिनाइयों और आत्महत्या की प्रवृत्ति से पीड़ित हैं। हमारे स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य संकट मानसिक स्वास्थ शिक्षा की कमी और इसे कम करने के लिए संसाधनों की कमी का परिणाम है। शिक्षक, जो अधिकांश समय इन छात्रों के साथ सबसे अधिक व्यावहारिक होते हैं, मानसिक स्वास्थ्य में प्रशिक्षित नहीं होते हैं। हालाँकि अब निर्धारित मापदंडों के अनुरूप राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान परिषद द्वारा सभी स्कूलों में मनोवैज्ञानिक परामर्शदाताओं को नियुक्त किया जाता है फिर भी अभिभावकों, शिक्षकों और समाज को विद्यार्थियों की समस्याओं को अनदेखा नहीं करना चाहिएI
पारिवारिक उत्तरदायित्व /सामुदायिक हस्तक्षेप-
भारतीय राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण ने बताया है कि भारत के 3% युवाओं ने एक प्रमुख अवसादग्रस्तता प्रकरण का अनुभव किया है, लेकिन कई और लोगों ने भी चिंता और अवसाद के लक्षणों के साथ भावनात्मक संकट का अनुभव किया होगा। अतः आवश्यक है कि हम घर में भी एक दूसरे के मानसिक स्वस्थ् पर ध्यान रखें, किसी में भी कोई लक्षण दिखे तो बात अवश्य करें I
व्यक्तिगत उपाय-(स्व-देखभाल के बारे में)-
नियमित व्यायाम करें। हर दिन सिर्फ 30 मिनट की पैदल दूरी, आपके मूड को बेहतर बनाने और आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है।
नियमित समय पर स्वास्थकर भोजन करें और हाइड्रेटेड रहें।
नींद को प्राथमिकता दें।
एक आरामदेह गतिविधि करने का प्रयास करें।
लक्ष्य और प्राथमिकताएं निर्धारित करें और उनपर काम करें।
जीवन में कृतज्ञता का अभ्यास करें।
सकारात्मकता पर ध्यान दें।
लोगों से जुड़े रहें।
कैसे बचें मानसिक स्वास्थ समस्याओं से-
50% मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं 14 साल की उम्र में और 75% 24 साल की उम्र तक स्थापित हो जाती हैं। 10% बच्चों और युवाओं (5-16 साल की उम्र) में नैदानिक रूप से निदान योग्य मानसिक समस्या है, फिर भी 70% बच्चे और किशोर जो मानसिक स्वास्थ्य का अनुभव करते हैं। समस्याओं का पर्याप्त रूप से कम उम्र में उचित हस्तक्षेप नहीं होना बढ़ती उम्रमें घातक हो सकता है।
मेंटल जिम के अच्छे कौशल का अभ्यास करें:
एक-मिनट की तनाव रणनीतियाँ आज़माएँ, ताई ची करें, व्यायाम करें, प्रकृति की सैर करें, अपने पालतू जानवरों के साथ खेलें या तनाव कम करने के लिए साधारण लेखन का अभ्यास करें। साथ ही मुस्कुराना सीखें और जीवन में हास्य को देखें।
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य नीति का दृष्टिकोण मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना, मानसिक बीमारी को रोकना, मानसिक बीमारी से उबरने में सक्षम बनाना और सुलभ, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करके मानसिक बीमारी से प्रभावित व्यक्तियों का सामाजिक-आर्थिक समावेश सुनिश्चित करना है।
शायद इसलिए कि मानसिक बीमारियां आरम्भ में शारीरिक बीमारियों की तरह सीधे दिखाई नहीं देती, उन्हें अक्सर गंभीरता से नहीं लिया जाता। इस लोकप्रिय धारणा के विपरीत, मानसिक बीमारियां वास्तविक बीमारियां हैं जिन्हें गंभीरता से शारीरिक बीमारीयों की तरह ही हस्तक्षेप की जरूरत है। प्रारंभिक अवस्था में जांच और उपचार से इन्हें ठीक किया जा सकता है आवश्यकता है- मनोविज्ञान परामर्श और मार्गदर्शन कीI
(लेखक संस्थापक-मेंटल हेल्थ मैटर्स, चंदेश्वर आजमगढ़ स्थित राजकीय श्रीदुर्गाजी होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के प्रधानाचार्य व सामुदायिक चिकित्सा विभाग के हेड हैं।)