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मातृ मृत्यु समीक्षा कार्यक्रम में प्रोत्साहन धनराशि में वृद्धि

सूचना देने वाले को अब मिलेंगे 1000 रुपये

लखनऊ। वर्ष 2017-18 में मातृ मृत्यु समीक्षा कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए नवीन व्यवस्था की गयी है, जिसके अन्र्तगत ‘आशा’ द्वारा महिला की मृत्यु की सूचना जल्द से जल्द दूरभाष पर सम्बन्धित प्रभारी चिकित्साधिकारी एवं राज्य स्तरीय टोल फ्री नम्बर-1800 180 1900 पर दी जायेगी। नई व्यवस्था के अन्तर्गत मातृ मृत्यु की सूचना प्राप्त करने के लिए समुदाय की भागीदारी बढ़ायी जा रही है। यह जानकारी मंगलवार को यहां सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य आलोक कुमार ने दी।
आलोक कुमार ने बताया कि भारत सरकार द्वारा समुदाय स्तर से मातृ मृत्यु की सूचना प्राप्त करने के लिए एक हजार रुपये प्रति सूचना प्रोत्साहन धनराशि का प्रावधान किया गया है। समुदाय के किसी भी व्यक्ति द्वारा मातृ मृत्यु की सूचना देने पर उस व्यक्ति को 1000 रुपये देय होगा। यह व्यवस्था केवल वास्तविक मातृ मृत्यु के उन्ही प्रकरणों के लिए होगी जहां पूर्व से ही स्वास्थ्य विभाग को सूचना प्राप्त नहीं हो सकी हो। गर्भावस्था, प्रसूति एवं गर्भपात के कारणों से सम्पूर्ण गर्भावस्था प्रसव अथवा गर्भपात के 42 दिनों के भीतर होने वाली मातृ मृत्यु की सूचना जल्द से जल्द राज्य स्तरीय टोल फ्री नम्बर-1800 180 1900 पर देनें पर वास्तविक मातृ मृत्यु की सूचना के लिए समुदाय से सूचना देने वाले व्यक्ति को एक हजार रुपये दिये जायेंगे। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी एवं उनके परिवार के सदस्यों को यह प्रोस्साहन धनराशि अनुमन्य नहीं होगी।
सचिव ने बताया कि वर्तमान में वास्तविक मातृ मृत्यु की समीक्षा हेतु आशाओं से अपेक्षित है कि आशायें अपने क्षेत्र में होने वाली सभी 15-49 वर्ष आयु की प्रत्येक महिला की मृत्यु की सूचना देंगी जिससे कि उनमें से छाँटी जा सकें। ससमय मातृ मृत्यु की सूचना प्राप्त करने के लिये आशाओं के माध्यम से 15 से 49 वर्ष की महिला मृत्यु की सूचना मृत्यु के 24 घंटे के भीतर प्राप्त होनें पर 200 रुपये प्रति मृत्यु की प्रोत्साहन धनराशि दी जाती है। इस व्यवस्था के बाद भी औसतन 30 से 40 प्रतिशत गर्भावस्था से संबंधित मृत्यु की सूचना प्राप्त हो रही है जिसके कारण असूचित मातृ मृत्यु के कारणों की समीक्षा एवं तदानुसार सुधारात्मक कार्यवाही नहीं हो पाती है।
आलोक कुमार ने बताया कि एनुअल हेल्थ सर्वे के बेस लाइन (2010-11) में उत्तर प्रदेश का मातृ मृत्यु अनुपात 345 प्रति 1 लाख जीवित जन्म था जो द्वितीय अपडेशन 2012-13 की रिपोर्ट के अनुसार यह घटकर 258 प्रति 1 लाख जीवित जन्म हो गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उप्र द्वारा इसे वर्ष 2017 तक इसे 200 प्रति 1 लाख जीवित जन्म तक लाने का लक्ष्य रखा गया है। भारत सरकार द्वारा वर्ष 2020 तक देश में मातृ मृत्यु दर को 100 प्रति 1 लाख जीवित जन्म तक लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। प्रदेश में मातृ मृत्यु दर में कमी लाने के लिए मातृ मृत्यु समीक्षा एक महत्वपूर्ण रणनीति है जो कि मातृ मृत्यु के विभिन्न कारणों एवं कारकों पर प्रकाश डालती है एवं उनको दूर करने में सहायता करती है। इस हेतु जनसमुदाय से मातृ मृत्यु की सूचना प्राप्त करना आवश्यक है।

 

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