-वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन की दिशा में अत्यन्त उपयोगी साबित होगी यह प्रयोगशाला
सेहत टाइम्स
लखनऊ। संजय गाँधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ में आज Centre of Excellence, Biosafety Level 3 Culture Drug Susceptibility Testing and Molecular Next Generation Sequencing Tuberculosis Laboratory का उद्घाटन किया गया। माइक्रोबायोलॉजी विभाग की एडीशनल प्रोफेसर डॉक्टर ऋचा मिश्रा प्रयोगशाला की नोडल अधिकारी और प्रभारी हैं, जिसका निर्माण संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आर के धीमन के कुशल मार्गदर्शन में लगभग 3.5 करोड़ रुपये की लागत से 3000 वर्ग फुट के क्षेत्र में किया गया है।
इस अवसर पर सीएसआर (कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व) पहल के तहत इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड यूपी राज्य कार्यालय 1 (यूपी एसओ 1) और एसजीपीजीआई के बीच एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए। कार्यक्रम की अध्यक्षता पदमश्री निदेशक डॉ आर.के. धीमन ने की। महाप्रबंधक सीएसआर आईओसीएल यूपीएसओ1 अतुल कपूर, डॉक्टर आलोक नाथ, एचओडी पल्मोनरी मेडिसिन, राज्य क्षय रोग अधिकारी (एसटीओ), डॉ. शैलेन्द्र भटनागर और जिला क्षय रोग अधिकारी, डॉ. अतुल सिंघल ने उद्घाटन मे भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुये डॉ. आर के धीमन ने कहा कि नवीनतम आणविक निदान तकनीकों से सुसज्जित अत्याधुनिक प्रयोगशाला उत्तर प्रदेश राज्य में 2025 तक टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को एक बड़ा प्रोत्साहन प्रदान करेगी। इससे न केवल एसजीपीजीआई में रेफर किए जाने वाले मरीजों को फायदा होगा, बल्कि यूपी के कई जिलों से दवा प्रतिरोधी रोगियों के इलाज के लिए यह शीर्ष प्रयोगशाला भी बन जाएगी।
डॉ. ऋचा मिश्रा ने बताया कि यह लैब यूपी में अपनी तरह की पहली लैब है और तपेदिक के उत्कृष्टता केंद्र के रूप में यह दुनिया की किसी भी लैब के बराबर नवीनतम आणविक निदान परीक्षणों से सुसज्जित है। culture और दवा संवेदनशीलता परीक्षण के अलावा प्रयोगशाला में Line Probe and XDR CBNAAT के माध्यम से सभी एंटी-ट्यूबरकुलर दवाओं के विस्तारित परीक्षण के लिए पूरी तरह से स्वचालित सुविधा है। IOCL SO1 के उदार समर्थन के माध्यम से स्थापित की जा रही नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग तकनीक सबसे हालिया और यू पी राज्य में स्थापित होने वाली पहली तकनीक है। इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा दवा प्रतिरोधी तपेदिक रोगियों के व्यापक परीक्षण और उपचार की सटीकता के लिए नवीनतम आणविक तकनीक के रूप में अनुमोदित किया गया है।
अतुल कपूर ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में विशेष रूप से तपेदिक और कैंसर देखभाल के लिए सीएसआर मद के माध्यम से आईओसीएल के समर्थन के बारे में बताया। डॉ. आलोक नाथ ने दवा प्रतिरोधी टीबी रोगियों के इलाज की कठिनाई और कम समय में पूरी तरह सुसज्जित प्रयोगशाला और व्यापक परीक्षण प्रदान करने के महत्व के बारे में चर्चा की।
डॉ. शैलेन्द्र भटनागर ने राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत राज्य टीबी सेल के 100 दिवसीय अभियान और सक्रिय केस खोज प्रयासों के बारे में बात की। कार्यक्रम का समापन डॉ. अक्षय आर्य और डॉ. विक्रमजीत सिंह के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ। सहायक प्रोफेसर डाक्टर आशिमा और डॉक्टर दीक्षा ने इसे सफल बनाने में मदद की।