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भारत में 220 करोड़ रुपये खर्च करके 10 लाख से ज्यादा मौतें खरीदते हैं हम

-विश्व तम्बाकू निषेध दिवस (31 मई ) पर केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर विभाग में पत्रकार वार्ता आयोजित

सेहत टाइम्स

लखनऊ। तम्बाकू का उपयोग भारत में मृत्यु और बीमारी का एक प्रमुख कारण है, जो सालाना 10 लाख से अधिक (दुनिया भर में अनुमानतः 80 लाख से अधिक )मौतों के लिए जिम्मेदार है, ये मौतें ऐसी ही कि जिन्हें तम्बाकू के निषेध से रोका जा सकता है। दूसरी ओर भारत में तम्बाकू के उपयोग से लगभग 220 करोड़ रुपये का (विश्व में 14 लाख करोड़ से अधिक)आर्थिक बोझ पड़ता है। देश में 26 करोड़ लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं जिसमें लगभग 29 प्रतिशत नवयुवक एवं नवयुवतियाँ सम्मिलित हैं।

यह जानकारी आज यहां किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ वेद प्रकाश ने अपने विभाग में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में दी। पत्रकार वार्ता का आयोजन विश्व तम्बाकू निषेध दिवस (31 मई ) के अवसर पर किया गया था। डॉ वेद ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार तम्बाकू के कारण 20 से 30 प्रतिशत बच्चे कम वजन के पैदा होते हैं जबकि 14 प्रतिशत बच्चे प्रीमेच्योर डिलीवरी में पैदा होते हैं। इनके अतिरिक्त 10 गुना ज्यादा कोरोनरी हार्ट डिजीज होती है।

उन्होंने कहा कि भारत में तम्बाकू का सेवन विभिन्न रूपों में किया जाता है, जिसमें धूम्रपान (सिगरेट, बीड़ी) और धुआं रहित तम्बाकू (चबाने वाली तम्बाकू, गुटखा, खैनी) शामिल हैं। धुआं रहित तंबाकू का उपयोग विशेष रूप से अधिक है, भारत में धुआं रहित तंबाकू की खपत की दर दुनिया में सबसे अधिक है।

डॉ वेद ने बताया कि भारत में धूम्रपान न करने वालों का एक बड़ा हिस्सा निष्क्रिय धूम्रपान के संपर्क में आता है। लगभग 38 प्रतिशत वयस्क और 52 प्रतिशत बच्चे सार्वजनिक स्थानों, घरों और कार्यस्थलों पर धूम्रपान के संपर्क में आते हैं। भारत में लगभग 30 प्रतिशत कैंसर तंबाकू के सेवन की वजह से होता है। अंतर्राष्ट्रीय रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केन्द्र के मुताबिक जो युवा तम्बाकू उपयोग में संलिप्त हैं उनमें प्रति 10 व्यक्ति में 9 लोग 18 वर्ष की आयु से पहले धूम्रपान की शुरूआत कर देते हैं और शतप्रतिशत व्यक्ति 26 वर्ष की आयु तक धूम्रपान की शुरुआत कर देते हैं।

उन्होंने कहा कि तम्बाकू की खेती वनों की कटाई, मिट्टी के क्षरण और जल प्रदूषण में योगदान करती है, तम्बाकू की खेती के कारण सालाना अनुमानित 50 लाख हेक्टेयर वन नष्ट हो जाते हैं।

पत्रकार वार्ता में उपस्थित वल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टिट्यूट के पूर्व निदेशक डॉ राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि विश्व तंबाकू निषेध दिवस 31 मई को मनाया जाने वाला एक वार्षिक वैश्विक कार्यक्रम है, जो स्वास्थ्य पर तंबाकू के उपयोग के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और तंबाकू की खपत को कम करने के लिए प्रभावी नीतियों को बनाने के लिए समर्पित है। इस वर्ष की थीम, तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बच्चों का बचाव है। जो कि तंबाकू के सेवन के खिलाफ लड़ाई में अत्यधिक महत्व रखती है।

उन्होंने कहा कि तम्बाकू सेवन का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। तम्बाकू का सेवन कई गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों से जुड़ा हुआ है, जिनमें कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक, श्वसन रोग (जैसे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) और प्रजनन संबंधी विकार शामिल हैं। उन्होंने कहा कि तम्बाकू का सेवन करने वाले व्यक्ति को यदि लगातार खांसी, सांस लेने में कठिनाई, छाती में दर्द, शारीरिक फिटनेस में कमी, दांत और उंगलियां पीले पड़ना, सांसों की दुर्गंध, स्वाद और गंध की अनुभूति कम होना जैसे लक्षण दिखें तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। उन्होंने बताया कि तम्बाकू के उपयोग से, मसूड़ों की बीमारी, दांतों की सड़न और मुंह के कैंसर सहित मौखिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ गया है।

इस मौके पर प्रो0 यू0एस0 पाल, प्रो0 विजय कुमार, नशामुक्ति विशेषज्ञ डा0 अमित सिंह सहायक आचार्य मनोरोग विभाग, डा0 सचिन,डा0 अरिफ, डा0 अतुल, डा0 मृत्युंजय, डा0 अनुराग, डा0 दीपक, डा0 शुभ्रा, डा0 संदीप, डा0 अपर्णा इत्यादि लोग भी मौजूद रहे।

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