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जेनेरिक दवाएं लिखना अनिवार्य किये जाने पर आईएमए ने जतायी आपत्‍ति

-सरकार पहले जेनेरिक दवाओं की गुणवत्‍ता सुनिश्चित करें, ब्रांडेड दवाओं की बिक्री बंद करें

-नेशनल मेडिकल कमीशन की अधिसूचना पर तीखी प्रतिक्रिया दी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) द्वारा डॉक्टर के लिए केवल जेनेरिक दवाएं ही लिखने का नियम अनिवार्य किए जाने को गलत कदम बताते हुए इसे आपातकालीन स्थिति करार दिया है। आईएमए का कहना है कि यह बड़ी चिंता का विषय है क्योंकि इसका सीधा असर मरीजों की देखभाल और सुरक्षा पर पड़ता है सरकार को चाहिए कि अगर वह जेनेरिक दावों को लागू करने के प्रति गंभीर है तो उसे जेनेरिक दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करते हुए केवल जेनेरिक दवाओं को ही लाइसेंस देना चाहिए, किसी ब्रांडेड दवाओं को नहीं।

इस संबंध में आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ शरद कुमार अग्रवाल और महासचिव डॉ अनिल कुमार जे नायक आज 14 अगस्त को विज्ञप्ति जारी करते हुए इस मुद्दे को उठाया है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि एनएमसी की 2 अगस्त 2023 को जारी अधिसूचना से ऐसा प्रतीत होता है कि जेनेरिक दवाओं का वर्तमान प्रचार उसी प्रकार है जैसे बिना पटरियों के रेलगाड़ियां चलाई जा रही हों।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि बाजार में गुणवत्तापूर्ण ब्रांड उपलब्ध कराना लेकिन मरीजों के स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार डॉक्टर को उन्हें लिखने की अनुमति न देना संदेहास्‍पद लगता है। चूंकि दवा का चुनाव करने का दायित्व डॉक्टर से हटकर मेडिकल शॉप पर आ जाता है यानी अब बाजार की ताकतें यह तय करेंगी कि मरीज कौन सी ब्रांड की दवा ले। विज्ञप्ति में कहा गया है कि जेनेरिक दवाओं के लिए सबसे बड़ी बाधा इसकी गुणवत्ता के बारे में अनिश्चितता है। देश में गुणवत्ता नियंत्रण बहुत कमजोर है व्यावहारिक रूप से दवाओं की गुणवत्ता की कोई गारंटी नहीं है और गुणवत्ता सुनिश्चित किए बिना दवाएं लिखना रोगी के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होगा।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारत में निर्मित 0.1% से भी कम दवाओं की गुणवत्ता का परीक्षण किया जाता है पदाधिकारी ने सुझाव दिया है कि इस कदम को तब तक के लिए टाल दिया जाना चाहिए जब तक सरकार बाजार में जारी सभी दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित नहीं कर लेती। रोगी की देखभाल और सुरक्षा पर समझौता नहीं किया जा सकता विज्ञप्ति में कहा गया है कि सरकार को एनएमसी का रास्ता अपनाने के बजाय फार्मा का रास्ता अपनाना चाहिए और सभी ब्रांडेड दवाओं पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। सरकार ब्रांडेड, ब्रांडेड जेनेरिक और जेनेरिक जैसी कई श्रेणियों की अनुमति देता है और फार्मास्यूटिकल कंपनियों को एक ही उत्पाद को अलग-अलग कीमतों पर बेचने की अनुमति देता है। कानून में ऐसी खामियों को दूर किया जाना चाहिए।

पदाधिकारियों ने कहा है कि आईएमए लंबे समय से मांग कर रहा था कि देश में केवल अच्छी गुणवत्ता वाली दवाई ही उपलब्ध कराई जाए और कीमत एक समान और सस्ती हो, आईएमए सरकार से ‘एक दवा- एक गुणवत्ता-एक कीमत’ प्रणाली लागू करने का आग्रह किया है जिसके तहत सभी ब्रांडों को या तो एक ही कीमत पर बेचा जाना चाहिए जिसे नियंत्रित किया जाना चाहिए या प्रतिबंधित किया जाना चाहिए और इन दवाओं की उच्चतम गुणवत्ता सुनिश्चित करते हुए केवल जेनेरिक दावों की अनुमति दी जानी चाहिए वर्तमान प्रणाली केवल चिकित्सकों के मन में बड़ी दुविधा पैदा करेगी और समाज द्वारा चिकित्सा पैसे को अनावश्यक रूप से दोष देने का कारण बनेगी।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह अधिसूचना उन डॉक्टरों के साथ अन्याय है जो हमेशा अपने मरीज के हितों से समझौता नहीं करते आईएमए भारत सरकार से इस विषय में व्यापक परामर्श के लिए इस विनियमन को स्थगित करने की मांग करते हुए केंद्र सरकार और एनएमसी द्वारा गंभीर और तत्काल हस्तक्षेप की भी मांग की है।

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