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फैटी लिवर ठीक करना है तो कम कर लीजिये पांच प्रतिशत वजन

-एसजीपीजीआई में वेबिनार आयोजित कर मनाया गया विश्‍व लिवर दिवस

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। नवीनतम अध्ययनों के अनुसार, देश में हर चौथे व्यक्ति में फैटी लिवर है। फैटी लिवर के मुख्य कारण गतिहीन जीवन शैली, जंक फूड खाना और लोगों में व्यायाम और खेल गतिविधियों की कमी है। देश में लिवर की बीमारियों के बढ़ते बोझ का कारण मुख्‍य रूप से फैटी लिवर की बीमारी है। बेहतर स्थिति यह होगी कि हम अपने खानपान और रहन-सहन के जरिये इस बीमारी को होने ही न दें, अगर किसी को फैटी लिवर की बीमारी हो जाती है तो वह अगर अपना पांच प्रतिशत वजन कम कर लें तो यह बीमारी ठीक हो सकती है।

यह महत्‍वपूर्ण जानकारी संजय गांधी पीजीआई के हेपेटोलॉजी विभाग के विभागाध्‍यक्ष प्रो अमित गोयल ने आज विश्‍व यकृत दिवस World Liver Day के मौके पर आयोजित वेबिनार में दी। प्रो गोयल ने देश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी फैटी लिवर के बढ़ते मामलों के बारे में बात की। प्रो गोयल ने कहा कि वसायुक्त यकृत रोग (फैटी लिवर) के लिए वजन कम करना और व्यायाम सबसे प्रभावी उपचार है। उन्‍होंने कहा कि शरीर के वजन का 5% वजन कम करने से फैटी लिवर ठीक हो सकता है और लिवर की चोट और लीवर फाइब्रोसिस होने की दशा में 10% वजन कम कर उसे भी उलट सकते हैं।

हेपेटोलॉजी विभाग एसजीपीजीआई, लखनऊ ने आज 19 अप्रैल को विश्व यकृत दिवस मनाते हुए और देश में यकृत रोगों के बढ़ते बोझ के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक वेबिनार का आयोजन किया। वेबिनार की अध्यक्षता संस्‍थान के निदेशक प्रोफेसर आर के धीमन ने की। इसमें सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के विभागाध्यक्ष प्रो राजन सक्सेना, सहायक प्रोफेसर हेपेटोलॉजी डॉ सुरेंद्र सिंह ने भी अपने विचार प्रकट किये।  

सिरोसिस और लिवर कैंसर को बढ़ने से रोकने पर जोर

प्रो आरके धीमन ने देश और राज्य में लिवर की बीमारियों के बढ़ते बोझ पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने विशेष रूप से लिवर की बीमारियों का जल्दी पता लगाने पर जोर दिया ताकि सिरोसिस और लिवर कैंसर को बढ़ने से रोका जा सके।

…तो लखनऊ में ही रोज एक लिवर डोनर मिल सकता है

प्रोफेसर राजन सक्सेना ने चिकित्सकों से सिरोसिस के रोगियों को प्रारंभिक अवस्था में हेपेटोलॉजिस्ट को समय पर रेफर करने का आग्रह किया, ताकि उन्हें समय पर लिवर प्रत्यारोपण के साथ ठीक किया जा सके। उन्होंने बताया कि लखनऊ शहर में सरकारी और निजी क्षेत्र के अस्‍पतालों में उपलब्‍ध आईसीयू सुविधा इतनी है कि अस्‍पताल अगर आपस में कोऑर्डीनेशन रखें और ब्रेन डेड मरीज के लिवर को दान करने के लिए परिजनों को तैयार कर सकें तो हमें सिर्फ लखनऊ शहर में रोजाना कम से कम एक लिवर डोनर तैयार सकते हैं, जिसे जरूरतमंद को प्रत्‍यारोपित किया जा सकता है।

एसजीपीजीआई में बहुत कम खर्च में हो जाता है लिवर प्रत्‍यारोपण

डॉ. सुरेंद्र सिंह ने लिवर प्रत्यारोपण के विभिन्न पहलुओं और संस्थान में इसकी उपलब्धता के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि एसजीपीजीआई देश का पहला ऐसा संस्थान है जिसने लिविंग डोनर लिवर ट्रांसप्लांट किया है और निजी अस्पतालों की तुलना में काफी कम खर्च में लिवर ट्रांसप्लांट कर रहा है। उन्होंने राज्य भर के सभी चिकित्सकों से आग्रह किया कि वे लिवर सिरोसिस के रोगियों को लिवर प्रत्यारोपण के मूल्यांकन के लिए संजय गांधी पी जी आई जल्दी रेफर करें। यहां  लिवर ट्रांसप्लांट की सुविधा उपलब्ध है। लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत वाले मरीज सप्ताह के प्रत्येक सोमवार और शुक्रवार को हेपेटोलॉजी ओपीडी में परामर्श के लिए आ सकते हैं।

वेबिनार में संस्थान की फैकल्टी और स्टाफ सदस्यों और राज्य के 38 मेडिकल कॉलेजों के चिकित्सकों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।

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