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टीचिंग स्टाफ को अगर छूट मिलती रही, तो 1 जनवरी से हम लोग भी नहीं लगायेंगे बायोमैट्रिक अटेंडेंस…

-संजय गांधी पीजीआई के नॉन टीचिंग स्टाफ ने कहा, टीचिंग स्टाफ से भी करायें आदेश का पालन

सेहत टाइम्स

लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई के नॉन टीचिंग स्टाफ (अधिकारियों/कर्मचारियों) ने घोषणा की है के बीती 1 नवंबर से लागू बायोमैट्रिक अटेंडेंस संबंधी आदेश के क्रियान्वयन में हो रहे भेदभाव को देखते हुए आगामी पहली जनवरी 2025 से नॉन टीचिंग स्टाफ भी टीचिंग स्टाफ की भांति बायोमैट्रिक अटेंडेंस नहीं लगायेगा।

संस्थान के 311 अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा निदेशक को एक पत्र भेजकर इस संबंध में अपनी अपना विरोध जताते हुए यह घोषणा की गई है। पत्र में लिखा है कि संस्थान के 9 अक्टूबर 2024 के आदेश में निदेशक द्वारा 1 नवंबर 2024 से नॉन टीचिंग स्टाफ (अधिकारियों/कर्मचारियों) और टीचिंग स्टाफ (संकाय सदस्यों व रेजीडेंट डॉक्टरों) दोनों के लिए फेशियल बेस्ड डायनेमिक बायोमेट्रिक अटेंडेंस लगाना अनिवार्य किया गया था, इस आदेश का अक्षरश: पालन करते हुए नॉन टीचिंग स्टाफ द्वारा 1 नवंबर 2024 से सुबह और शाम दोनों समय नियमित रूप से बायोमैट्रिक अटेंडेंस लगाई जा रही है, जबकि टीचिंग स्टाफ द्वारा इसका पालन नहीं किया जा रहा है, पत्र में लिखा है कि इस संबंध में संस्थान प्रशासन द्वारा टीचिंग स्टाफ के लिए कोई दिशा निर्देश भी जारी नहीं किए गए हैं।

पत्र में कहा गया है कि एक संस्थान में सभी के लिए एक प्रकार का नियम लागू होना चाहिए, इस भेदभावपूर्ण नीति का हम सब पूरी तरह से विरोध करते हैं। पत्र में यह भी लिखा गया है कि संस्थान के नॉन टीचिंग स्टाफ द्वारा अपनी कड़ी मेहनत, लगन और ईमानदारी से कार्य करते हुए अपने कार्यों का सदैव उत्कृष्टतम प्रदर्शन किया जाता रहा है, यही वजह है कि संस्थान आज देश और दुनिया में अपना नाम का परचम लहरा रहा है।

पत्र में निदेशक से अनुरोध किया गया है कि ‘एक संस्थान एक नियम’ को ध्यान में रखते हुए संस्थान के समस्त टीचिंग स्टाफ, नॉन टीचिंग स्टाफ और आउटसोर्सिंग स्टाफ सभी के लिए बायोमैट्रिक अटेंडेंस को लागू किया जाए या फिर किसी के लिए भी न लागू किया जाए, जिससे संस्थान में एक समानता और एकरूपता बनी रहे और किसी के मन में अपने प्रति भेदभाव या द्वेष भाव की भावना ना उत्पन्न होने पाए।

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