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सरकार को कर्मचारियों का आक्रोश देखना हो तो गोपनीय सर्वे करवा ले

-कर्मचारी शिक्षक मोर्चा ने दी वर्ष 2010 जैसे आंदोलन की चेतावनी

-सरकार की रुचि सिर्फ तबादलों में है, समस्‍याओं को सुलझाने में नहीं

-मुख्‍यमंत्री से सद्भाव का वातावरण बनाने की अपील

वीपी मिश्रा और शशि कुमार

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा उत्तर प्रदेश ने कहा है कि प्रदेश सरकार अपने कर्मचारियों का स्थानांतरण करने में रुचि ले रही है जबकि सरकार को चाहिये था कि वह कर्मचारियों की दिक्‍कतों को दूर करने में अपनी रुचि दिखाती। प्रदेश सरकार ने मोर्चा के पदाधिकारियों से संवाद कर कर्मचारियों की समस्‍याओं को सुलझाने के लिए आवश्‍यक फैसले न किये तो वर्ष 2010 की तरह कर्मचारी एक बार फिर आंदोलन कर बिगुल बजाएंगे। कर्मचारियों की नाराजगी एवं आक्रोश भावी चुनावों में सरकार के लिए नुकसानदेह साबित होगा। सरकार यदि गोपनीय सर्वे कराये तो पता चलेगा कि कर्मचारियों में सरकार के प्रति आक्रोश है या नहीं।

ये बातें कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष एवं वी.पी. मिश्र एवं महामंत्री शशि कुमार मिश्र ने यहां जारी बयान में कही हैं। उन्‍होंने कहा कि सरकार कर्मचारियों की वेतन विसंगति को दूर करने, भत्तों की कटौती वापस लेकर भुगतान करने, रिक्त पदों पर नियमित भर्तियां एवं पदोन्नति करने तथा कोरोना काल में ड्यूटी करने वाले दिवंगत कर्मचारियों को 50 लाख रुपए का अनुग्रह धनराशि एवं समस्त देयों का भुगतान करने में विशेष रुचि लेती तो कर्मचारी सरकार का आभारी रहता। उन्‍होंने कहा कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में कर्मचारियों ने जनता को स्वस्थ रखने में अपनी जान पर खेलकर सेवाएं दी हैं, जिसकी आज जनता भी प्रशंसा करती है।

नेताद्वय ने कहा कि कर्मचारी यह नहीं समझ पा रहा है कि जब कैबिनेट ने समूह ग के कर्मचारियों का पटल परिवर्तन करने का निर्णय लिया था तो विभिन्न संगठनों के अध्यक्ष एवं मंत्री, दाम्पत्य, दिव्यांग, मृतक आश्रित नियमावली के तहत आश्रित महिलाओं को दूर-दूर क्यों भेजा गया है। जब केवल पटल परिवर्तन का निर्णय लिया गया था तो फिर ऐसा क्यों किया गया।

वी.पी. मिश्र एवं शशि कुमार मिश्र ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि समूह ग के कर्मचारियों के स्थानांतरण को निरस्त करें तथा कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों, भत्तों की कटौती के भुगतान करने, रिक्त पदों पर भर्ती एवं पदोन्नतिया करने, स्थानीय निकाय कर्मचारियों, विकास प्राधिकरण एवं राजकीय निगम, शिक्षणेतर कर्मचारियों का पुनर्गठन करके राज्य कर्मचारियों की भांति सातवें वेतन आयोग का लाभ देने तथा निजीकरण को बढ़ावा देने के निर्णय करने पर पुनर्विचार करें। नेताद्वय ने कहा कि मुख्यमंत्री विशेष ध्यान देकर आपसी सद्भाव का वातावरण बनाएं।

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