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कार्डियक अरेस्‍ट होने पर तुरंत हो सीपीआर, तो बच सकती है जान

-हार्ट अटैक, हार्ट फेल्‍योर और कार्डियक अरेस्‍ट के बारे में जानकारी दी डॉ ऋषि सेठी ने

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। बदलती जीवन शैली जैसे कारणों से भारत में हार्ट की बीमारियां कम उम्र के लोगों को भी अपनी गिरफ्त में ले रही हैं। दिल की बीमारियों में एक कार्डियक अरेस्‍ट के समय अगर मरीज को सीपीआर (Cardiopulmonary resuscitation) दिया जाये तो उसकी जान बच सकती है। सीपीआर मरीज की छाती पर विशेष प्रकार से दबाने और मुंह से सांस देने की एक प्रक्रिया है, जिसे हृदय रोग विशेषज्ञ से सीखा जा सकता है।

यह बात केजीएमयू के हृदय रोग विभाग के डॉ ऋषि सेठी ने सोमवार को यहां गोमती नगर स्थित एक होटल में आयोजित कार्यशाला में दी। डॉ सेठी ने कहा कि दिल की बीमारियां तीन प्रकार की होती है हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर और कार्डियक अरेस्ट। उन्‍होंने कहा कि दिल एक ही है मगर बीमारियां अलग-अलग हैं। उन्‍होंने कहा कि तीनों बीमारियों के लक्षण भी पृथक-पृथक होते हैं। इसलिए इलाज भी अलग होता है।

कार्डियक अरेस्ट के संबन्ध में प्रो.सेठी ने बताया कि जब हार्ट में इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी अनियंत्रित हो जाती है तो कार्डियक अरेस्ट हो जाता है। उन्‍होंने बताया कि यह किसी के साथ भी हो सकता है और इसके पीछे कई तरह के कारण हो सकते हैं, जिसमें दिल का दौरा भी शामिल है। यह एक मेडिकल इमरजेंसी होती है जिसमें मरीज को तुरंत सीपीआर देने की जरूरत होती है।

हार्ट अटैक के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि हमारा दिल मसल्स से  निर्मित एक अंग है। इन मसल्स में धमनियों द्वारा खून की आपूर्ति होती है, लेकिन इन धमनियों में ऐंठन या अचानक संकुचन के कारण  धमनियों में खून की सप्लाई बंद होने की स्थिति होने पर हार्ट अटैक आ जाता है। इसके अलावा उन्होंने हार्ट फेल्योर की जानकारी देते हुए बताया कि जब मसल्स कमजोर हो जाते हैं तो हार्ट पंप करना कम कर देता है, जिससे धीरे-धीरे यह समस्या बढ़ती जाती है और हार्ट की क्षमता कम पड़ती जाती है। जिसे दोबारा रिकवर किया जाना कठिन है।

दिल्ली से आये दवा कम्‍पनी जेबी फार्मा के दिलीप सिंह राठौर ने कहा कि हार्ट फेलियर एक गंभीर और भयावह स्थिति है और स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाना भी महत्वपूर्ण है। भारत में सिर्फ 25 प्रतिशत लोगों को ही ठीक से समय पर दवा मिल पाती है। देश में सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल्स में कुछ जगहों पर हार्ट फेलियर क्लीनिक की शुरुआत हो गई है लेकिन इसकी संख्या और बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बेहतर इलाज के बाद भी दिल की बीमारी झेल रहे करीब 50 प्रतिशत मरीज पांच साल से ज्यादा जीवन व्यतीत नहीं कर पाते। भारत में इस बीमारी से पीड़ित 1.6 लाख मरीज हर साल दम तोड़ देते हैं। उन्‍होंने बताया कि हमारी कम्‍पनी ने क्रिटिकल हार्ट फेल्‍योर दवा की कीमत लगभग 50 फीसदी कम कर दी है।  

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