-हेल्थसिटी विस्तार में तीन सफल बेरियाट्रिक सर्जरी के साथ विभाग का संचालन प्रारम्भ
-सर्जरी वाले तीन मरीजों में दो का वजन था 150 किलोग्राम से ज्यादा
सेहत टाइम्स
लखनऊ। मोटापा घटाने के लिए बेरियाट्रिक सर्जरी की सलाह मोटापे की दूसरी श्रेणी में आने वाले लोगों को दी जाती है, पहली श्रेणी में आने वाले लोगों का मोटापा बिना सर्जरी वाले विकल्पों से किया जाना चाहिये। ज्ञात हो हाइट और वेट के अनुसार बॉडी मास इन्डेक्स (बीएमआई) निकाल लिया जाता है, यदि बीएमआई 18 से25 है तो यह नॉर्मल माना गया है जबकि 25 से 32.5 मोटापा की श्रेणी 1 में माना जाता है, यानी इन मरीजों को बेरियाट्रिक सर्जरी की जरूरत नहीं होती है, इनका मोटापा घटाने के लिए डाइट चार्ट सहित कई विधियां अपनायी जा सकती हैं, लेकिन यदि बीएमआई 32.5 से ज्यादा होता है तो ऐसे व्यक्ति को बेरियाट्रिक सर्जरी की सलाह दी जाती है, क्योंकि इससे ऊपर वाला व्यक्ति अपना वजन नहीं कम कर सकता है, इसलिए यह साफ गाइडलाइन्स है कि ऐसे लोगों का वजन सर्जरी से ही कम किया जा सकता है।
यह जानकारी यहां गोमती नगर विस्तार स्थित हेल्थसिटी विस्तार में शुरू हुई बेरियाट्रिक सर्जरी की सुविधा की जानकारी देने के लिए आयोजित प्रेस वार्ता में अस्पताल के मैनेजिंग डाइरेक्टर डॉ संदीप कपूर और सर्जरी को अंजाम देने वाली टीम के विशेषज्ञ अनुभवी बैरियाट्रिक सर्जन अहमदाबाद के डॉ संजय पटोलिया ने दी। उन्होंने बताया कि सोमवार 14 अक्टूबर को तीन बैरियाट्रिक सर्जरी सफलतापूर्वक की गयीं, सर्जरी से गंभीर मोटापे से जूझ रहे रोगियों को आशा मिली। उन्होंने बताया कि प्रसिद्ध विशेषज्ञों की टीम में अहमदाबाद के अनुभवी बैरियाट्रिक सर्जन डॉ. संजय पटोलिया के साथ ही अस्पताल के मुख्य सलाहकार और प्रमुख-जनरल और मिनिमल इनवेसिव सर्जरी विभाग और वरिष्ठ गैस्ट्रो सर्जन डॉ. के.बी. जैन शामिल थे।
डॉ पटोलिया ने बताया कि तीनों सर्जरी गैस्ट्रिक बाईपास प्रक्रियाएं थीं, जिन्हें विशेष रूप से रॉक्स-एन-वाई तकनीक से किया गया, इस तकनीक को वजन कम करने वाली सर्जरी में सबसे प्रभावी माना जाता है। उन्होंने बताया कि दो रोगियों का वजन 150 किलोग्राम से अधिक था। हेल्थसिटी विस्तार के मैनेजिंग डाइरेक्टर डॉ संदीप कपूर ने बताया कि डॉ. संजय पटोलिया के पास बैरियाट्रिक सर्जरी में 20 से अधिक वर्षों का अनुभव और 7,000 से अधिक सफल प्रक्रियाएँ हैं। डॉ संदीप कपूर ने मरीजों को आश्वस्त किया कि जब बैरियाट्रिक सर्जरी कुशल और अनुभवी हाथों द्वारा की जाती है तो यह बहुत सुरक्षित होती है।
डॉ पटोले ने बताया कि यह सर्जरी लैप्रोस्कोपी यानी दूरबीन विधि से की जाती है, इसमें छोटे-छोटे छेद से कैमरा पेट के अंदर डाल दिया जाता है, साथ ही सर्जरी के उपकरण भी इन्हीं छेदों से अंदर डाले जाते हैं, फिर स्क्रीन पर देखते हुए बिना किसी ज्यादा चीरफाड़ के सर्जरी की जाती है, इसका लाभ यह होता है कि मरीज को बहुुत परेशानी नहीं होती है तीन दिन में रिकवर हो जाता है। डॉ पटोलिया ने बताया कि इस सर्जरी में पेट और छोटी आंत का डिजाइन बदलने के लिए स्टेपलर आते हैं, इन स्टेपलर की मदद से हम छोटा पेट बनाते हैं और छोटी आंत को एक जगह से इस बनाये गये छोटे पेट से कनेक्ट कर दिया जाता है। इसके बाद जब व्यक्ति भोजन करता है तो उसका भोजन इस नये पेट में आता है और वहां से आंत में बाईपास होता है, इसीलिए इसे बाईेपास पास सर्जरी कहते हैं।
डॉ पटोलिया ने बताया कि इस सर्जरी के बाद स्लीप एप्निया, फैटी लिवर जैसी बीमारियों में फायदा करती है वहीं डायबिटीज को कंट्रोल करने वाले हार्मोन्स भी एक्टिव होते हैं, जिससे डायबिटीज कंट्रोल करने में सहायता मिलती है। सर्जरी का आशय यह नहीं है कि हम आपका खाना-पीना बंद नहीं करते हैं। सर्जरी के बाद शुरुआत में थोड़ा सा तो खानपान में बदलाव आता है लेकिन जिस प्रकार बच्चा पैदा होने के बाद दो साल की उम्र तक आते-आते उसका पूरा भोजन नियमित हो पाता है, उसी प्रकार सर्जरी के बाद चार-छह माह में मरीज का खाना धीरे-धीरे लेना शुरू करते हैं और आठ से दस माह में वह नॉर्मल डायट शुरू कर सकते हैं। लेकिन कुछ चीजें जरूर हम कम करने को कहते हैं, जैसे शुगर। उन्होंने कहा कि हेल्दी फूड लेने की सलाह दी जाती है। उन्होंने बताया कि सर्जरी के बाद कुछ दिन हम जो प्रतिबंधित डायट लेने की सलाह देते हैं वो इसलिए नहीं कि हमें मरीज को कम खुराक देनी है, यह सिर्फ इसलिए किया जाता है कि छोटा पेट बनाकर उसे आंत से जोड़कर जो सर्जरी की गयी है, उसकी हीलिंग अच्छी हो जाये क्योंकि अगर कोई हार्ड चीज खा ली तो हीलिंग में व्यवधान पड़ सकता है।
डॉ कपूर ने बताया कि हेल्थसिटी विस्तार में बैरियाट्रिक सर्जरी कराने का एक प्रमुख लाभ तेज़ रिकवरी समय है। यह एक हाई-टेक, अच्छी तरह से सुसज्जित अस्पताल है, जिसे रोगी-मैत्रीपूर्ण वातावरण में अत्याधुनिक उपचार प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। प्रतिष्ठित डॉक्टरों की टीम द्वारा प्रबंधित, अस्पताल ने उत्तर प्रदेश में बैरियाट्रिक और अन्य उन्नत सर्जरी के लिए एक उत्कृष्टता केंद्र के रूप में खुद को स्थापित किया है। उन्होंने बताया कि डॉ. पटोलिया की टीम हेल्थसिटी विस्तार में नियमित परामर्श और फॉलो-अप के लिए उपलब्ध रहेगी, जिससे उन रोगियों को निरंतर समर्थन मिल सके जो एक स्वस्थ जीवन की तलाश में हैं। अस्पताल यह सुनिश्चित करने के लिए व्यापक पोस्ट-सर्जरी देखभाल भी प्रदान करता है कि मरीज अपनी प्रगति बनाए रखें और जटिलताओं से बचें।
डॉ कपूर ने बताया कि अस्पताल में मुख्यमंत्री कोष से मिली सहायता से भी इलाज हो रहा है, यानी यदि कोई जरूरतमंद मरीज है तो उसे मुख्यमंत्री कोष से मदद भी मिल सकती है। मोटापे को एक गंभीर स्वास्थ्य स्थिति मानते हुए, बड़ी कंपनियाँ और सरकारी निकाय बैरियाट्रिक सर्जरी को प्रायोजित करने लगे हैं, जिससे अधिक व्यक्तियों को इन परिवर्तनकारी प्रक्रियाओं का खर्च उठाने में मदद मिल रही है। उन्होंने कहा कि अब बैरियाट्रिक सर्जरी जैसी उच्च विशेषीकृत सर्जरी की उपस्थिति के साथ, यह अस्पताल उत्तर प्रदेश के प्रमुख अस्पतालों में शामिल हो गया है। लखनऊ में ऐसे उच्च स्तर की सर्जरी होने के कारण राज्य के निवासी बड़े शहरों की भागदौड़ से बचेंगे और सर्जरी और दौड़-भाग पर खर्च किए गए अतिरिक्त समय और पैसे की बचत भी होगी। हेल्थसिटी अस्पताल लगातार लखनऊ और राज्य के निवासियों को आधुनिक और उत्कृष्ट उपचार सुविधाएँ प्रदान करता है।