-शरीर के विभिन्न भागों में दर्द के निवारण पर चर्चाओं के साथ एसजीपीजीआई में सम्पन्न हुआ दो दिवसीय ISPCCON 2025

सेहत टाइम्स
लखनऊ। इंडियन सोसाइटी ऑफ पेन क्लिनिशियंस का 11वां राष्ट्रीय और तीसरा अंतरराष्ट्रीय दो दिवसीय सम्मेलन ISPCCON 2025 एसजीपीजीआईएमएस, लखनऊ में आज 16 नवम्बर को संपन्न हुआ। सम्मेलन में भारत और दुनिया भर के दर्द चिकित्सकों ने भाग लिया। दूसरे दिन की चर्चाओं में फ्रोज़न शोल्डर, पोस्ट-हर्पेटिक न्यूराल्जिया (Post-herpetic neuralgia) (पीएचएन) जैसी विभिन्न क्रोनिक पेन स्थितियों पर गहन चर्चा हुई।
सम्मेलन के वैज्ञानिक सलाहकार प्रो सुजीत गौतम ने ‘सेहत टाइम्स’ को बताया कि कई बार गिरने, चोट लगने से पैदा हुआ कंधे का दर्द फ्रोजन शोल्डर (कंधे की अकड़न) में परिवर्तित हो जाता है, डायबिटीज के मरीजों को भी फ्रोज़न शोल्डर की शिकायत हो जाती है, यह स्थिति वह होती है जिसमें कंधे के जोड़ का कैप्सूल फाइब्रोसिस की वजह से सख्त हो जाता है, जिससे मरीज के कंधे का मूवमेंट कम हो जाता है। इसका इलाज हाइड्रोडाइलेटेशन (Hydrodilatation) थेरेपी के द्वारा मिप्सी MIPSI विधि से होता है। इससे उपचार में एक-एक महीने के अंतराल में दो इंजेक्शन दिये जाते हैं, जिससे कंधे की अकड़न समाप्त हो जाती है। उन्होंने बताया कि दो से तीन सप्ताह के इलाज में मरीज को आराम आ जाता है।
डॉ सुजीत ने बताया कि कंधे में दर्द गठिया यानी अर्थराइटिस के कारण भी होता है, इसका उपचार रेडियोफ्रेक्वेंसी से किया जाता है, इस उपचार की प्रक्रिया में कंधे की नसों को सुन्न कर दिया जाता है, जिससे दर्द कम हो जाता है।
सम्मेलन का समापन आयोजन अध्यक्ष प्रो संजय धीराज, आयोजन सचिव डॉ. संदीप खुबा और वैज्ञानिक सचिव डॉ. चेतना शमशेरी के द्वारा विदाई समारोह के साथ हुआ। इसके अतिरिक्त दूसरे दिन पोस्ट-हर्पेटिक न्यूराल्जिया पर विशेष चर्चा हुई, जो बुजुर्ग आबादी को सबसे अधिक प्रभावित करती है। डॉक्टरों ने इसके उपचार में रेडियोफ्रेक्वेंसी की भूमिका पर चर्चा की। रेडियोफ्रेक्वेंसी का उपयोग पीएचएन से होने वाली जलन को कम करता है।
ज्ञात हो लखनऊ में एसजीपीजीआई, आरएमएलआई में रेडियोफ्रेक्वेंसी उपचार की सुविधा उपलब्ध है। ये संस्थान एनेस्थीसियोलॉजी विभाग द्वारा संचालित पेन क्लिनिक सेवाएं प्रदान करते हैं। रोगी सप्ताह के दिनों में इन संस्थानों में जाकर इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। सम्मेलन में प्रो. वीरेंद्र रस्तोगी, प्रो. वीरेंद्र मोहन, प्रो. सुजीत गौतम, और प्रो. अनुराग अग्रवाल जैसे वरिष्ठ विशेषज्ञ शामिल थे।
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