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कैसा होना चाहिये इमरजेंसी में शुरुआती 24 घंटों का उपचार प्रबंधन

-संजय गांधी पीजीआई के एनेस्‍थीसियोलॉजी विभाग आयोजित कर रहा दो दिवसीय पाठ्यक्रम

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। इमरजेंसी में पहुंचने वाले गभीर रूप से बीमार/घायलों की प्रारम्भिक देखभाल के साथ ही 24 घंटे के अंदर किया जाने वाला इलाज अत्‍यन्‍त महत्‍वपूर्ण होता है, इस अवधि में रोग की पहचान के साथ ही उसका सटीक उपचार तय करना होता है, इसी विषय के बारे में जानकारी देने के लिए संजय गांधी पीजीआई के एनेस्‍थीसियोलॉजी विभाग द्वारा संस्‍थान में सोसाइटी ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन (एससीसीएम), यूएसए से स्वीकृत एफसीसीएस (Fundamental Critical Care Support)  प्रोवाइडर एंड इंस्ट्रक्टर कोर्स के 7वें संस्करण का आयोजन 23 से 24 अप्रैल को किया जा रहा है।

कोर्स का उद्घाटन आज सुबह 11 बजे निदेशक प्रो आर के धीमन, डीन प्रोफेसर अनीश श्रीवास्‍तव और एनेस्‍थीसियोलॉजी विभाग के प्रमुख  प्रो एसपी अंबेश ने किया गया। इस पाठ्यक्रम में पूरे भारत से लगभग 60 डॉक्टर और पाठ्यक्रम के 15 फैकल्टी मौजूद थे।

पहले दिन आज पाठ्यक्रम का नेतृत्व एफसीसीएस सलाहकार प्रोफेसर कुंदन मित्तल के नेतृत्‍व में प्रशिक्षण दिया गया। उन्‍होंने बताया कि किस तरह आईसीयू में किसी भी अस्थिर / बीमार रोगी का प्रारंभिक प्रबंधन किया जाता है।

इसके अतिरिक्‍त एफसीसीएस पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. सिमंत कुमार झा ने एक्‍यूट रेस्पिरेटरी फेल्‍योर की स्थिति में किये जाने वाले प्रबंधन को सिखाया। प्रो. संदीप साहू ने वायुमार्ग और श्वास प्रबंधन सिखाया।

संस्‍थान द्वारा यह जानकारी देते हुए बताया गया है कि आज कोरोना जैसी महामारी के समय में यह पाठ्यक्रम अधिक महत्वपूर्ण है जो गंभीर रूप से बीमार या गंभीर रूप से घायल रोगियों के प्रारंभिक आईसीयू प्रबंधन के ज्ञान और कौशल को कवर करता है।

इसके पाठ्यक्रम में इलेक्ट्रोलाइट्स और मेटाबोलिक गड़बड़ी, एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम, वायुमार्ग प्रबंधन, गर्भावस्था में गंभीर देखभाल, कार्डियोपल्मोनरी / सेरेब्रल रिससिटेशन, शॉक का निदान और प्रबंधन, तीव्र श्वसन विफलता का निदान और प्रबंधन, जीवन के लिए खतरा संक्रमण, बुनियादी न्यूरोलॉजिकल समर्थन, यांत्रिक वेंटिलेशन, विशेष विचार, सामान्य बाल चिकित्सा बनाम वयस्क रोगी, रक्त प्रवाह की निगरानी, ​​ऑक्सीजन, एसिड और आधार की स्थिति, तीव्र देखभाल के दौरान नैतिक विचार, आघात और जलन प्रबंधन, यांत्रिक वेंटिलेशन (मूल और उन्नत), वायुमार्ग प्रबंधन, सीपीआर, आघात जैसे विषय भी शामिल हैं।

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