-कोविड के दौरान छह माह में मिले 15 केस पर बंगलुरु के डॉ श्रीपद हेगड़े ने की थी स्टडी

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लखनऊ। होम्योपैथिक फ्रेटरनिटी ऑफ इंडिया द्वारा यहां अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में 2 और 3 जुलाई को आयोजित दो दिवसीय नेशनल होम्योपैथिक कॉन्फ्रेंस-2022 में चिकित्सकों द्वारा बीस से ज्यादा शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। इनमें कैंसर, गुर्दा रोग, त्वचा रोग, ऑटो इम्युन डिजीज, हड्डी रोग, नेत्र रोग, छाती रोग पर होम्योपैथिक दवा के असर को लेकर की गयी स्टडीज शामिल रहीं।
कॉन्फ्रेंस में आये बेंगलुरु के डॉ श्रीपद हेगड़े ने बेल्स पाल्सी पर प्रस्तुत अपने पेपर में बताया कि बेल्स पाल्सी एक प्रकार का चेहरे पर होने वाला पैरालिसिस है जिसमें चेहरे की मसल्स कमजोर हो जाती हैं, इससे चेहरे की बनावट में फर्क पड़ जाता है, यह चेहरे के एक तरफ या दोनों तरफ भी हो सकता है। उन्होंने बताया कि इसका एक कारण कमजोर इम्युनिटी भी पाया गया।
डॉ हेगड़े ने बताया कि कोविड के दौरान जून 2020 से दिसम्बर 2020 में मिले ऐसे 15 केस पर स्टडी की गयी, इन मरीजों की उम्र 3 वर्ष से लेकर 70 वर्ष है। इन रोगियों को उनकी हिस्ट्री के अनुसार अलग-अलग दवाएं दी गयीं तो जो उसका परिणाम आयो उसके अनुसार 9 लोग पूरी तरह से ठीक हो गये, जबकि तीन को आंशिक लाभ हुआ, इसके अतिरिक्त एक को लाभ नहीं हुआ जबकि दो मरीज दोबारा इलाज के लिए लौट कर नहीं आये।

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