महाराष्ट सरकार के आदेश के खिलाफ चुनौती दी गयी थी तीन याचिकाओं में
लखनऊ/मुम्बई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने पैथोलॉजी रिपोर्ट पर दस्तखत करने के लिए महाराष्ट सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली तीन याचिकाओें को खारिज कर दिया है, कोर्ट ने कहा है कि महाराष्ट सरकार का आदेश पूर्व में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के द्वारा निर्धारित और गुजरात हाईकोर्ट व उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये गये आदेश के अनुरूप ही है, ऐसे में इसके खिलाफ दायर याचिकाओं पर विचार करने का औचित्य नहीं है।
आपको बता दें कि महाराष्ट सरकार ने पैरामेडिक्स को पैथोलॉजी रिपोर्ट पर दस्तखत करने से रोक लगाते हुए उनके खिलाफ काररवाई के आदेश दिये थे। इस आदेश के विरोध में बॉम्बे हाईकोर्ट में तीन याचिकायें दायर की गयी थीं। हाईकोर्ट ने बीते 9 अगस्त को हाईकोर्ट ने तीनों याचिकाओं को एकसाथ निपटाते हुए खारिज कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग व न्यायमूर्ति नितिन जामदार की बेंच ने कहा कि पैथोलॉजी रिपोर्ट पर दस्तखत करने के आदेश को लेकर 2010 में गुजरात हाईकोर्ट के आदेश और 2017 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश जो कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के द्वारा निर्धारित नॉर्म्स के अनुरूप हैं। महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ प्रैक्टिसिंग पैथोलॉजिस्ट और माइक्रोबायोलॉजिस्ट भी सुप्रीम कोर्ट के मामले में पार्टी थी। आपको बता दें कि इन नॉर्म्स के अनुसार पैथोलॉजी रिपोर्ट पर एमसीआई में पंजीकृत स्नातकोत्तर या समकक्ष की डिग्री वाले पैथोलॉजिस्ट, माइक्रोबायोलॉजिस्ट व बायोकेमिस्ट को ही दस्तखत करने का अधिकार है।
ज्ञात हो कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अनुसार, पैथोलॉजी आधुनिक चिकित्सा की विशेष शाखा है और पैथोलॉजी में स्नातकोत्तर योग्यता के साथ पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टिशनर लैब रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। यह वर्षों से कई बार स्पष्ट किया गया है। 2001 में नागपुर के पैथोलॉजिस्टों ने अयोग्य कार्मिकों द्वारा संचालित प्रयोगशालाओं के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हुए बताया कि अयोग्य कार्मिकों द्वारा ही हस्ताक्षर किये जा रहे हैं। शिकायतें मिलने के बाद पुलिस अधिकारियों ने उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की। बाद में राज्य सरकार द्वारा हस्तक्षेप करके काररवाई को रोक दिया गया। 2005 में राज्य सरकार के इस हस्तक्षेप को बॉम्बे हाई कोर्ट में पैथोलॉजिस्ट के समूह द्वारा चुनौती दी गई थी। 2007 में अंतरिम आदेश जारी करते हुए, राज्य सरकार को अवैध प्रयोगशालाओं के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया और यदि तकनीशियन पथ प्रयोगशाला चलाना चाहते हैं, तो उन्हें प्रयोगशाला रिपोर्टों की निगरानी के लिए पोस्ट ग्रेजुएट पैथोलॉजिस्ट नियुक्त करना होगा।