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चिकित्सा शिक्षा संस्थानों में सुरक्षा पर सरकार का बड़ा कदम

डॉ. अनिता भटनागर जैन

10 दिनों में माहवार कलेन्डर ऑफ एक्टिविटी तैयार करने के निर्देश

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के चिकित्सा शिक्षा विभाग से जुड़े सभी संस्थानों में अग्निशमन की व्यवस्था को पुख्ता करने के विस्तृत निर्देश दिये हैं। पहले से निर्मित भवनों और निर्माणाधीन भवनों में यह व्यवस्था सुनिश्चित करने के बारे में कहा गया है। माना जा रहा है कि ये निर्देश किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्व विद्यालय के ट्रॉमा सेन्टर में लगी आग के बाद उजागर हुई खामियों को देखते हुए दिये गये हैं। इन खामियों में न सिर्फ अग्निशमन उपकरणों के स्तर पर बल्कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से भवन की बनावट को भी लेकर सवाल उठे हैं।

रैम्प और इमरजेंसी सीढिय़ां अलग-अलग छोर पर हों

प्रमुख सचिव शिक्षा चिकित्सा शिक्षा डॉ. अनिता भटनागर जैन ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के संस्थानों में अग्निशमन की व्यवस्था व विभाग के निर्माणाधीन भवनों में भी इन व्यवस्थाओं के नियोजन व उपलब्धता के संबंध में बुधवार 19 जुलाई को यहां जनपथ स्थित अपने कार्यालय कक्ष में एक बैठक आयोजित की। बैठक में उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि जो भवन वर्तमान में निमार्णाधीन हैं उनमें रैम्प व अग्निशमन से सम्बन्धित जानकारी के बारे में सभी कार्यदायी संस्थायें चेक कर अवगत करायें। नियोजन करते समय इस बात का ध्यान रखा जाये कि रैम्प और इमरजेन्सी सीढिय़ां भवन के अलग-अलग छोर पर हों, जिससे कि किसी दुर्घटना के समय किसी एक छोर का उपयोग संभव न हो तो दूसरे छोर से लोग निकल सकें। साथ ही रैम्प की चौड़ाई व ग्रेडियन्ट पर विषेश ध्यान देने की आवश्यकता है, जिससे कि आवश्यकता पडऩे पर स्टेचर पर मरीजों को सुगमता से निकाला जा सके।

प्रत्येक वार्ड में बनायें इमरजेंसी खिडक़ी

अपर मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि बहुखण्डी इमारतों के प्रत्येक वार्ड में एक खिडक़ी ऐसी हो, जिससे कि आवश्यकता पडऩे पर लोग बाहर निकल सकें। उन्होंने यह भी अपेक्षा की कि राश्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण भारत सरकार द्वारा चिकित्सालयों की आपदा सुरक्षा हेतु तैयार की गयी गाइड लाइन्स के आधार पर सभी संस्थान व कार्यदायी संस्थायें आगामी 10 दिन में यह सूचना भी तैयार कर लें कि उक्त गाइडलाइन्स के अनुसार कौन सी कार्यवाहियां अभी अपेक्षित हैं। उन्होंने निर्देश दिए कि प्रत्येक संस्थान में प्रत्येक भवन हेतु एक व्यक्ति को प्रभारी बनाया जाय। सभी भवनों में वर्तमान में लगे हुये अग्नि सुरक्षा उपकरण व व्यवस्था की चेकिंग कराकर एक सप्ताह में अवगत कराया जायें। भवन में लगे हुये फायर अलार्म, एक्सटिंगुइशर व डेम्पलर की भी चेंकिंग की जाये और भवनवार व संस्थानवार सूचना संकलित की जाये कि इनमें से कुल कितने अग्निशमन सयंत्र क्रियाशील पाये गये और कितने नहीं। साथ ही उपलब्ध फायर उपकरण को भवनवार क्रमांकित किया जाये व प्रत्येक के संबंध में यह सूचना संकलित की जाये कि उनकी एक्सपायरी अवधि क्या है तथा क्रियाशील करने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये।

एक माह में करायें मॉक ड्रिल

डॉ. जैन ने अधिकारियों को सभी स्थानों पर 1 माह में मॉक ड्रिल कराने व उपकरण चलाने हेतु प्रशिक्षण दिये जाने के भी निर्देश दिये। सभी संस्थान 1 सप्ताह में इवैकुएशन प्लान बनाकर सूचित करें। इस प्लान के बारे में संस्थानों में सभी को जानकारी करायें और भवनों में इवैकुएशन प्लान उपयुक्त साइनेज में इमरजेन्सी एक्जिट व उसकी दिशा भी अंकित करें। उन्होंने सभी संस्थानों द्वारा फायर सर्टिफिकेट व इलेक्ट्रिकल सुरक्षा से संबंधित सर्टिफिकेट प्राप्त किये जाने तथा फायर अलार्म की व्यवस्था के अनुपालन की सूचना भी महानिदेषक, चिकित्सा शिक्षा को देने के निर्देश दिए।

टेम्पलेट ऑफ एक्शन बनाने के केजीएमयू को निर्देश

अपर मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रत्येक भवन हेतु यह आकलन कराकर लोड के अनुसार कितने उपकरण स्वीकृत है और कितने लगे हुये हैं तथा भविष्य में नये उपकरण लगाने से पूर्व आवश्यकतानुसार लोड वृद्धि के उपरान्त ही नये उपकरण लगायें। अनुपालन सम्बन्धी दायित्व सम्बन्धित संस्थान के अध्यक्ष का होगा। उन्होंने रजिस्ट्रार केजीएमयू को आग की दुर्घटना के बचाव हेतु एक टेम्पलेट आफ एक्शन बनाने तथा सभी संस्थाओं को सुरक्षा हेतु माहवार कलेण्डर ऑफ एक्टिविटी 10 दिन में बनाने के निर्देश दिए।
बैठक में महानिदेशक, चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण, निदेशक, एसजीपीजीआई, निदेशक, राममनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, रजिस्ट्रार, केजीएमयू, निदेशक, सीएन्ड डीएस एवं उप्र आवास एवं विकास परिषद के अधिकारी उपस्थित थे।

 

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