-टीबी, मलेरिया, एचआईवी के मरीजों का विस्तृत विवरण लिया कमेटी ने
सेहत टाइम्स
लखनऊ। ग्लोबल फण्ड, राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) को सहयोग प्रदान करता है। मुख्यतः जांच, परीक्षण एवं उपचार से संबंधित विभिन्न उपकरणों एवं टीबी से संबंधित मोलिकुलर प्रयोगशाला के लिए फण्ड प्रदान करता है। ग्लोबल फण्ड ग्राण्ट, मल्टीस्टेक होल्डर जिसका नाम इंडिया कन्ट्री कोऑर्डिनेटिंग मेकेनिज्म (आईसीसीएम) है, के अर्न्तगत कार्यरत है। यह ओवर साइट कमेटी एचआईवी, टी.बी. और मलेरिया इन तीन बीमारियों पर काम करती है। ग्लोबल फण्ड ग्राण्ट की टेक्निकल एडवाइजर जेएनयू दिल्ली के पब्लिक हेल्थ विभाग की प्रोफेसर डॉ नंदिनी कपूर ढींगरा के नेतृत्व में सेंटर फॉर हेल्थ रिसर्च एंड इनोवेशन तथा विलियम जे क्लिंटन फाउंडेशन के प्रतिनिधियों की एक टीम ने इन्हीं बीमारियों का विवरण लेने के लिए आज 18 अक्टूबर को केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग का दौरा किया।
इस टीम ने एआरटी सेन्टर और माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशाला का भी दौरा किया, तत्पश्चात दौरे के दौरान डॉ सूर्यकान्त, विभागाध्यक्ष, रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग ने टीम को टी.बी.और एचआईवी के मरीजों का विस्तृत विवरण दिया और इन बीमारियों से उप्र की वर्तमान स्थिति से अवगत कराया। डॉ सूर्यकान्त ने टीम को बताया कि हाल ही में नेशनल स्ट्रेटिजिक प्लान (2017-2025) के तहत राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) देश में ड्रग रेजिस्टेन्ट टी.बी. के मरीजों को बेहतर इलाज प्रदान करने के लिए “सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स“ को विकसित कर रहा है।
ये “सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स“ ड्रग रेजिसन्टेन्ट टी.बी. के मरीजों को देखभाल करेगें और साथ ही साथ नोडल और जिला डीआरटीबी सेन्टर के साथ मिल कर एक सामूहिक उच्च गुणवत्ता परख हब का निर्माण करेंगें। उ0प्र0 में केजीएमयू को “सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स“ के लिए चुना गया है। ड्रग रेजिस्टेन्ट टी.बी. के उपचार के लिए भारत में 7 सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स विकसित किये जा रहें है, जिसमें से एक केजीएमयू का रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग भी शामिल है।
डॉ सूर्यकान्त ने बताया कि “सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स“ के तहत ड्रग रेजिस्टेन्ट ट्यूबरकुलोसिस के खात्मे के लिए उ0प्र0 की 25 करोड़ जनता, 18 मण्डल के 75 जिले के डीआर-टी.बी. सेन्टर एवं जिला क्षय रोग केन्द्र, 56 जिला डीआर-टी.बी. सेन्टर, 24 नोडल डीआर-टीबी सेन्टर, उ0प्र0 के 67 मेडिकल कॉलेज में डीआर-टी.बी. के प्रशिक्षण मॉनिटरिंग एवं मैनेजमेन्ट एवं शोध का कार्य किया जायेगा। सभी 75 जिलो में टी.बी. विशेषज्ञों एवं टी.बी. से सम्बन्धित स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को इस कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित किया जायेगा। इसके अतिरिक्त नये शोध एवं नवीन विषयों पर सेमिनार आयोजित कराये जायेंगें।
ज्ञात रहे कि डॉ सूर्यकान्त जो जोनल टास्क फोर्स नार्थ जोन एवं उ0प्र0 स्टेट टास्क फोर्स (क्षय उन्मूलन) के चेयरमैन भी हैं, विगत कई वर्षों से टी.बी. उन्मूलन में उ0प्र0 का देश में नेतृत्व कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर जरूरत पड़ी तो उ0प्र0 के पड़ोसी राज्यों में भी टी.बी. उन्मूलन का कार्य करेगें। डॉ सूर्यकान्त ने बताया कि सन् 2021 में उ0प्र0 में कुल 456401 टी.बी. के मरीजों का पंजीकरण हुआ, जिसमें 13559 मरीज डी.आर.टी.बी. के थे। वहीं सन् 2022 में उ0प्र0 में कुल 388920 टी.बी. के मरीजों का पंजीकरण हुआ, जिसमें 9598 मरीज डी.आर.टी.बी. के थे।