–आईएमए के तत्वावधान में आयोजित सीएमई में केजीएमयू की एनेस्थेटिस्ट डॉ सरिता सिंह ने दिया व्याख्यान
सेहत टाइम्स
लखनऊ। जीवन और मृत्यु एक सत्य है, ऐसे में अगर किसी असाध्य रोग से पीडि़त व्यक्ति को उसकी सांसें चलने तक अगर दर्दरहित जिंदगी दे सकें तो यह भी उस व्यक्ति के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगा। ऐसे में पैलिएटिव केयर की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है।
यह बात केजीएमयू की सीनियर एनेस्थेटिस्ट डॉ सरिता सिंह ने यहां इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के तत्वावधान में रविवार को आयोजित सतत शिक्षा शिक्षा कार्यक्रम (सीएमई) में अपने व्याख्यान के दौरान कही। उन्होंने कहा कि पीड़ा में जी रहे रोगी को क्वालिटी ऑफ डेथ मिले इसका हमें ध्यान रखना चाहिये। उन्होंने कहा कि मेरी ओपीडी में अक्सर ऐसे मरीज आते हैं जिनके चेहरे की भावभंगिमाएं बताती है कि उन्हें अपार कष्ट हो रहा है। उन्होंने एक महिला का जिक्र करते हुए उसकी फोटो भी दिखायी जो पहले दिन उनके पास लोगों की सहायता से चल कर आ पायी थी, उसके बाद उसकी पैलिएटिव केयर की गयी, जिससे उसे इतना आराम मिला कि कुछ दिन बाद जब वह उनके पास आयी तो बिना किसी सहारे के चल रही थी। उसे देखकर मुझे लगा कि पैलिएटिव केयर की यही तो सुंदरता है कि वह दर्द में कराह रहे मरीज के चेहरे पर मुस्कान दे सकती है।
उन्होंने कहा कि असाध्य बीमारी से ग्रस्त मरीज की जिन्दगी बचाने की कोशिशों के बीच अगर हम उसके कष्टों को कम करने की कोशिश करेंगे तो जितना भी उसका जीवन शेष है, वह कष्टरहित गुजार सकेगा।