-डॉ पीके गुप्ता ने जारी किया टाइफाइड टेस्ट के बारे में वीडियो
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। आपने टाइफाइड या मियादी बुखार के बारे में अक्सर सुना होगा, टाइफाइड फीवर के पहचान के लिए कराये जाने वाली खून की जांच जिसे टाइफाइड IgG तथा IgM टेस्ट भी कहते हैं। इसी जांच के बारे में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष व पीके पैथोलॉजी के चीफ पैथोलॉजिस्ट डॉ पीके गुप्ता ने वीडियो जारी कर विस्तार से जानकारी दी है।
डॉ पीके गुप्ता का कहना है कि यह जांच टाइफाइड होने की संभावना होने पर करायी जाती है। इसके लक्षणों की बात करें तो इसमें रोगी को सात दिन से अधिक लगातार हल्का बुखार रहता है साथ ही कमजोरी एवं थकान के साथ पेट मे दर्द उल्टी तथा हल्के दस्त होने के लक्षण होते हैं। टाइफाइड एक बैक्टीरियल डिजीज है जो साल्मोनेला टायफी नाम के बैक्टीरिया से होता है जो कि दूषित पानी से फैलता है।
उन्होंने कहा कि आजकल कोविड के लक्षण होने पर भी टाइफाइड की जांच कराई जा रही है, शायद इस संभावना से कि कहीं यह फीवर टाइफाइड फीवर तो नहीं है। डॉ गुप्ता ने कहा कि लेकिन मैं आम जन को यह बताना चाहूंगा कि कोविड एक वायरल डिजीज है तथा टाइफाइड एक बैक्टीरियल डिजीज है दोनों का इलाज बिल्कुल अलग है इसीलिए डॉक्टर की सलाह पर ही टाइफाइड की जांच करानी चाहिए।
कुछ पोस्ट कोविड मरीजों में टायफी डॉट टेस्ट पॉजिटिव आ रहा है जिसमें मेडिकल हिस्ट्री से कोरिलेट कर डॉक्टर टाइफाइड की दवा चलाते हैं। उन्होंने कहा कि टाइफी डॉट टेस्ट Typhi dot टेस्ट एक किट बेस्ड टेस्ट है जो कि chromatoghraph technique पर आधारित है जिसमें nitro सेलुलोस स्ट्रिप का प्रयोग होता है।
इस टेस्ट द्वारा ब्लड मे साल्मोनेला टायफी बैक्टीरिया के अगेंस्ट बनने वाले IgG एवं IgM एंटीबाडी को डिटेक्ट करते हैं, इसमें IgM एंटीबाडी टाइफॉयड के संक्रमण के बाद 7 से 14 दिन के अंदर पॉजिटिव आ सकता है जो कि एक्टिव तथा रीसेंट टाइफाइड की जानकारी देता है जिसका एंटीबायोटिक इलाज जरूरी होता है।
इसी प्रकार IgG एंटीबाडी डिटेक्ट होने पर यह टाइफाइड के पुराने इंफेक्शन को इंगित करता है जिसे टाइफाइड का कैरियर भी कह सकते हैं यदि लक्षण नहीं हों तो इलाज की जरूरत नहीं होती है।
जांच के लिए ब्लड का सैम्पल कब देना चाहिये
डॉ गुप्ता ने बताया कि इस जांच के लिए सैंपल कभी भी दिया जा सकता है इसके लिए खाली पेट रहने की आवश्यकता नहीं होती है इसमें 3 से 5 ml ब्लड रेड कैप प्लेन ट्यूब मे लिया जाता है जांच की रिपोर्ट उसी दिन मिल जाती है।
उन्होंने बताया कि टाइफाइड फीवर की पहचान के लिए और कौन कौन सी जांच करायी जाती हैं इस बारे में वह कहते हैं कि डॉक्टर टाइफाइड फीवर की आशंका होने पर रैपिड टायफी डॉट के अलावा और भी टेस्ट कराते है कभी कभी टायफी डॉट टेस्ट false पॉजिटिव या false नेगेटिव भी आता है जिसे चिकित्सक मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर वेरीफाई करते हैं। अन्य जांच मे ब्लड में CBC कराते हैं जिसमें TLC बढ़ने के बजाय लोअर साइड में आता है eosinphil percentage कम आता है कभी कभी जीरो भी आ सकता है। इसी प्रकार अन्य जांच में ब्लड में विडाल टेस्ट ब्लड कल्चर तथा यूरिन कल्चर से भी टाइफाइड का निदान होता है।
देखें वीडियो- टाइफाइड टेस्ट के बारे में जानकारी