-राजेन्द्र नगर हॉस्पिटल में डॉ सुनीता चन्द्रा ने की जटिल सर्जरी
सेहत टाइम्स
लखनऊ। संतान को जन्म देना स्त्री का सपना होता है, और जब उसका यह सपना पूरा होने का समय आये और ऐसे में उससे कोई कहे कि सॉरी, तुम मां नहीं बन सकोगी, न सिर्फ पेट में पल रहे इस बच्चे की बल्कि आगे भी बच्चा नहीं हो सकेगा क्योंकि तुम्हारा गर्भाशय भी सर्जरी कर निकाला जायेगा। सोचिये ऐसे में उस महिला पर क्या गुजरेगी, कुछ ऐसा ही हुआ रायबरेली की 28 वर्षीय महिला के साथ। लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ जिससे महिला की खुशियां वापस आ गयीं।
राजेन्द्र नगर हॉस्पिटल एंड आईवीएफ सेंटर की कोर फर्टिलिटी स्पेशियलिस्ट डॉ सुनीता चंद्रा ने आज अपने हुसैनगंज स्थित इंडो जर्मन फर्टिलिटी सेंटर, मॉरफियस लखनऊ फर्टिलिटी सेंटर पर आयोजित पत्रकार वार्ता में इस महिला की सर्जरी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि महिला उनके पास तीन माह की गर्भावस्था में आयी थी, महिला के पेट के ऊपरी हिस्से तक ट्यूमर था, जो कि भ्रूण प्रतीत हो रहा था।
डॉ सुनीता ने बताया कि असहनीय पीड़ा से परेशान मरीज ने कई जगह डॉक्टरों को दिखाया लेकिन ट्यूमर को निकालने के लिए सभी के द्वारा गर्भाशय को भी निकालने की सलाह दी गयी थी। डॉ सुनीता ने बताया कि गर्भाशय को सुरक्षित रखते हुए ट्यूमर को निकालना एक बड़ी चुनौती थी। उन्होंने बताया कि चार दिन पूर्व जटिल सर्जरी करते हुए महिला के पेट से आठ इंच लम्बा चार किलो का ट्यूमर निकाला गया। उन्होंने बताया कि सर्जरी के बाद मरीज का गर्भाशय और उसमें पल रहा भ्रूण पूर्णतया सुरक्षित और स्वस्थ है। मरीज और उसके परिजनों की खुशी देखते ही बन रही है। मरीज की अस्पताल से अब छुट्टी होने वाली है।
एक प्रश्न के उत्तर में डॉ सुनीता ने बताया कि आजकल बहुत सी महिलाएं शादी के बाद जल्दी मां नहीं बनना चाहती हैं, लेकिन मेरी यह सलाह है कि 35 वर्ष की आयु तक पहली बार मां अवश्य बन जाना चाहिये, इसके बाद स्त्री की प्रजनन क्षमता में तेजी से गिरावट आना शुरू हो जाती है क्योंकि दूसरे रोग भी घेरना शुरू कर देते हैं।