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नहीं रहे एनडी तिवारी, जन्‍मदिन की वर्षगांठ वाले दिन ही ली अंतिम सांस

दिल्‍ली के मैक्‍स अस्‍पताल में थे भर्ती, 93 वर्ष की आयु में हुआ निधन

लखनऊ। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी का दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स अस्पताल में आज निधन हो गया। यह भी अजीब संयोग है कि उनका निधन उनके जन्‍मदिन की 93वीं वर्षगांठ वाले दिन हुआ। एनडी तिवारी का जन्‍म 18 अक्‍टूबर, 1925 को हुआ था। नैनीताल जिले के बलूती गांव में जन्मे एनडी तिवारी दिल्‍ली के मैक्‍स अस्‍पताल में ब्रेन स्‍ट्रोक्‍स के चलते भर्ती थे। यहीं पर उनका इलाज चल रहा था। उन्‍होंने गुरुवार को अपरान्‍ह 2 बजकर 50 मिनट पर आखिरी सांस ली।

 

शुक्रवार सुबह 10 बजे से शाम सात बजे तक उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शनों के लिए रखा जाएगा। उनके निधन पर तमाम राजनेताओं ने शोक व्यक्त किया है। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकारें मिलकर निर्णय करेंगी कि तिवारी का अंतिम संस्कार कहां होगा। कयास लगाए जा रहे हैं कि उनका अंतिम संस्कार लखनऊ या हल्द्वानी में से कहीं हो सकता है।

 

एनडी तिवारी उत्तराखंड के अभी तक के इकलौते मुख्यमंत्री रहे हैं, जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। उत्तराखंड के औद्यौगिक विकास के लिए उनके योगदान को हमेशा याद किया जाता है। उत्तराखंड के मौजूदा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड के लिए तिवारी के योगदान की सराहना की है।

 

1990 के चुनाव में वे प्रधानमंत्री पद के दावेदार थे। लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया और वे नैनीताल संसदीय सीट से लोक सभा का चुनाव मात्र 800 वोट से हार गए। इस पर प्रधानमंत्री की कुर्सी नरसिम्हा राव को मिली। 1994 में कांग्रेस से उनके मतभेद गहरा गए। इस पर कांग्रेस से इस्तीफा देकर वरिष्ठ कांग्रेसी अर्जुन सिंह व कुछ सांसदों को साथ लेकर उन्होंने ऑल इंडिया इंदिरा कांग्रेस (तिवारी) के नाम से नई पार्टी खड़ी कर दी।

 

कांग्रेस की कमान सोनिया गांधी के संभालने के बाद वे दो साल के भीतर ही कांग्रेस में शामिल हो गए। 1996 के लोक सभा चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के नेतृत्व में कांग्रेस को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन तिवारी चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंच गए। 1999 में फिर से वे लोकसभा सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए।