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‘वित्‍त मंत्रीजी, पांच वर्षों से लम्बित केजीएमयू कर्मियों की मांग पूरी कर दीजिये’

-कर्मचारी परिषद के प्रतिनिधिमंडल ने सुरेश खन्‍ना से मिलकर किया अनुरोध

-वित्‍त मंत्री ने दिया आश्‍वासन, पूर्व में आपको दे चुका हूं वचन, निभाऊंगा

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। कर्मचारी परिषद-के जी एम यू के पदाधिकारि‍यों ने एक बार फि‍र अपनी पांच वर्ष पुरानी केजीएमयू कर्मचारियों को संजय गांधी स्‍नातकोत्‍तर आयुर्विज्ञान संस्‍थान की भांति वेतनमान व भत्‍ते देने के पांच वर्ष पूर्व किये गये शासनादेश के अनुपालन की मांग की है। कर्मचारी परिषद के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज 21 अप्रैल को वित्‍त मंत्री सुरेश खन्‍ना से मिलकर इस आशय का एक पत्र सौंपा। वित्‍त मंत्री ने इस पर आश्‍वासन दिया है कि इस विषय में मैंने पहले भी आपको वचन दिया है, उस वचन को मैं पूरा करने का पूरा प्रयास करूंगा।

यह जानकारी देते हुए कर्मचारी परिषद के अध्‍यक्ष प्रदीप गंगवार व महामंत्री राजन यादव ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल कर्मचारियों की विगत 5 वर्षों से लम्बित मात्र एक प्रमुख मांग की ओर वित्‍त मंत्री सुरेश खन्ना का ध्यान आकर्षित करने उनके कालिदास मार्ग स्थित आवास पर पहुंचा।

मंत्री को अवगत कराया गया कि प्रदेश सरकार द्वारा की गयी घोषणा के क्रम में शासन द्वारा 23 अगस्त 2016 को के जी एम यू के कर्मचारियों को एस जी पाई जी आई के कर्मियों के समान वेतनमान एवं भत्ते प्रदान करने का शासनादेश जारी किया गया था, जिसके अनुपालन में शासन द्वारा कर्मचारियों का समवर्ग़िय पुनर्गठन करना प्रस्तावित था किंतु शासन द्वारा पिछले पांच वर्षों में सिर्फ़ 8 कैडरो का ही शासनादेश जारी किया गया है।

उनके  संज्ञान में लाया गया  कि के जी एम यू के कर्मियों एवं कर्मचारी परिषद द्वारा पिछले 6 वर्षों में अनेक बार मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्रियों एवं शासन प्रशासन से पत्राचार ,वार्ता , पेट के बल लेटकर किया गया अनुरोध प्रदर्शन , आंदोलन इत्यादि के माध्यम से अनुरोध किया जा चुका है , किंतु अभी भी विभिन्न समवर्गों का सम्‍वर्ग़िय  पुनर्गठन नहीं किया गया एवं वर्तमान में 28 कैडरों की फ़ाइल वित्त विभाग में ही पड़ी हैं जिससे कर्मचारियों की पदोन्नति एवं वेतनमान में समानता न होने के कारण आर्थिक एवं मानसिक हानि हो रही है, जो कि सर्वथा कर्मचारियों के साथ अन्याय है।

वित्त मंत्री से वित्त विभाग के सचिव संजय कुमार की शिकायत भी की गयी कि वित्त विभाग (शासन) द्वारा निरंतर नकारात्मकता का प्रदर्शन करते हुए कार्यों में अवरोध उत्पन्न किया जा रहा है। आपके चिकित्सा शिक्षा मंत्री रहते हुए भी प्रकरण पर गम्भीरता दिखाते हुए शासन को समस्या का निराकरण करने के लिए कई बार निर्देश दिए गए। किंतु वित्त विभाग अपनी हठधर्मिता को त्यागने के पक्ष में नहीं प्रतीत होता है। कर्मचारियों का कहना है कि वित्त विभाग के सचिव संजय कुमार द्वारा प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार को पत्र के माध्यम से निर्देशित किया गया है कि के जी एम यू के कर्मियों का स्मवर्ग़िय पुनर्गठन में आने वाले व्यय भार के लिए के जी एम यू में आने वाले मरीज़ों से इलाज एवं जाँच शुल्‍क में बढ़ोतरी कर आय/क्षमता को बढ़ाया जाए। पत्र में कहा गया है कि  सचिव वित्त विभाग के इस कृत्‍य की सजा निलम्बन के साथ जेल भेजने से कम नहीं प्रतीत होती है, चूँकि उनकी मंशा उत्तर प्रदेश सरकार की मंशा के विपरीत एवं प्रदेश के गरीब मरीज़ों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने जैसी है। एक तरफ़ सरकार प्रदेश के मरीज़ों के प्रति अतिसंवेदनशील हैं, वहीं दूसरी ओर शासन चिकित्सा सेवाओं से धन कमाने की सलाह देने में अपना योगदान समझ रहा है।

प्रदीप गंगवार ने बताया कि वित्त मंत्री से अनुरोध किया गया कि के जी एम यू के कर्मचारियों के सम्‍वर्गीय पुनर्गठन करने के लिए वित्त विभाग को स्पष्ट निर्देश देने की कृपा करें ताकि कर्मचारीयों को पूर्ण मनोयोग से अपनी सेवाए प्रदान करने में कठिनाइयों का सामना ना करना पड़े। प्रतिनिधिमंडल में परिषद की ओर से अध्यक्ष प्रदीप गंगवार,  महामंत्री राजन यादव, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अतुल उपाध्याय एवं संयुक्त मंत्री छोटेलाल उपस्थित रहे।

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