-एसजीपीजीआई के एंडोक्राइनोलॉजी विभाग ने 15-16 जून को आयोजित की है अंतर्राष्ट्रीय बैठक
सेहत टाइम्स
लखनऊ। न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर के क्षेत्र में हाल की प्रगति और उपचार पर चर्चा करने के लिए अग्रणी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एंडोक्राइनोलॉजिस्ट, ऑन्कोलॉजिस्ट, एंडोक्राइन सर्जन, न्यूरोसर्जन, परमाणु चिकित्सा विशेषज्ञ प्रयोगशाला वैज्ञानिक, शोधकर्ता और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों का लखनऊ में जमावड़ा लगने जा रहा है।
न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर (एनईटीएस) पर एक अंतर्राष्ट्रीय बैठक का आयोजन संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ का एंडोक्राइनोलॉजी विभाग 15 और 16 जून, को लखनऊ के होटल रमाडा में कर रहा है।
इसका आयोजन प्रोफेसर सुशील गुप्ता (एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के प्रमुख और आयोजन अध्यक्ष), डॉ. ईश भाटिया (पूर्व विभागाध्यक्ष और प्रोफेसर), डॉ. विजयलक्ष्मी भाटिया (पूर्व एचओडी और प्रोफेसर), डॉ. प्रीति दबडगांव (वैज्ञानिक सलाहकार) प्रो. सुभाष यादव (वैज्ञानिक सलाहकार), डॉ. वैभव सिंघल (सहायक प्रोफेसर और आयोजन सचिव), डॉ. रोहित सिन्हा (एसोसिएट प्रोफेसर) डॉ. अंबिका टंडन (सहायक प्रोफेसर), डॉ. जयकृष्णन मेनन (सहायक प्रोफेसर), डॉ. विभूति मोहंता (सहायक प्रोफेसर) द्वारा किया जा रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर दुर्लभ हार्मोन स्रावित ट्यूमर हैं जिनके विविध लक्षण हैं। इनका निदान करना कठिन होता है और प्रबंधन में काफी कठिनाई होती है। संस्थान का एंडोक्राइनोलॉजी विभाग एंडोक्राइन सर्जरी, न्यूरोसर्जरी और न्यूक्लियर मेडिसिन विभागों के सहयोग से कई दशकों से इसका इलाज कर रहा है। एस जी पी जी आई में इन ट्यूमर के इलाज के लिए दवाओं, सर्जरी और परमाणु चिकित्सा तकनीकों सहित सभी पद्धतियाँ मौजूद हैं।
एनईटी शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है, लेकिन सबसे अधिक अग्न्याशय, फेफड़े, आंत, पिट्यूटरी और थायरॉयड में पाया जाता है। ये ट्यूमर संबंधित अंग के आधार पर विभिन्न प्रकार के हार्मोन स्रावित करते हैं। उदाहरण के लिए- कार्सिनॉइड सिंड्रोम दस्त, वजन घटने और लालिमा के साथ प्रकट होता है; पिट्यूटरी न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर प्रोलैक्टिन, कोर्टिसोल, वृद्धि हार्मोन का स्राव करते हैं जिससे विभिन्न लक्षण होते हैं; अग्नाशयी नेट कम ग्लूकोज के बार-बार होने वाले मुकाबलों, बार-बार होने वाले पेप्टिक अल्सर, विशिष्ट त्वचा घावों के साथ प्रकट होते हैं। कुछ थायराइड ट्यूमर भी न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर होते हैं। इन ट्यूमर का निदान करना मुश्किल है क्योंकि ये दुर्लभ, बहुत छोटे होते हैं, और नियमित रेडियोलॉजिकल जांचों में पकड़ में नहीं आते है। उनके निदान के लिए विशेष मूत्र और रक्त जांच, परमाणु इमेजिंग तकनीक और उन्नत रेडियोलॉजी की आवश्यकता होती है। कई बार इन ट्यूमर का पता बाद में चलता है, जब ये शरीर के अन्य अंगों में फैल चुके होते हैं। तथापि अन्य अंगों में फैलने के बावजूद, बहु-विषयक विशिष्ट उपचार से जीवन को काफी हद तक बढ़ाया जा सकता है।
इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम में मुख्य प्रस्तुतियाँ: डॉ. डब्ल्यू. डब्ल्यू. डी हर्डर, डॉ. रविंदर सिंह और डॉ. पंकज शाह जैसे प्रसिद्ध विशेषज्ञ, जो न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर के क्षेत्र में विश्व स्तर पर प्रशंसित विशेषज्ञ हैं, द्वारा दी जायेंगी। सम्मेलन में अत्याधुनिक अनुसंधान और एनईटीएस के लिए नवीन उपचारों पर व्यापक सत्र आयोजित होंगे।