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बच्चों के रोगों का 50 प्रतिशत निदान आज भी एक्सरे व बेरियम एक्सरे से

-सुरक्षित बचपन के लिए रोग की शीघ्र डायग्नोसिस के आह्वान के साथ आईएसपीआर 2024 सम्पन्न

सेहत टाइम्स

लखनऊ। देश के बच्चों के सुरक्षित बचपन के लिए बच्चों के रोगों को शीघ्र डायग्नोज करने में रेडियोलॉजी की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में नयी-नयी जानकारियों के आदान-प्रदान के साथ इंडियन सोसाइटी ऑफ पीडियाट्रिक रेडियोलॉजी की दो दिवसीय 22वीं वार्षिक नेशनल कॉन्फ्रेंस आईएसपीआर 2024 का समापन हो गया। आईएसपीआर 2024 का आयोजन 21 व 22 सितम्बर को किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय केजीएमयू के रेडियोडायग्नोसिस विभाग द्वारा यहां स्थित अटल बिहारी वाजपेयी वैज्ञानिक सम्मेलन केंद्र में किया गया।

आयोजन के सचिव व रेडियोडायग्नोसिस विभाग के प्रमुख प्रो अनित परिहार ने बताया कि दो दिन के अधिवेशन में जो आंकड़े सामने आये हैं उनसे यह पता चलता है कि बच्चों की बीमारियों के लिए अभी भी 50 फीसदी डायग्नोसिस एक्सरे और बेरियम एक्सरे से ही हो रही है, जबकि 30 प्रतिशत में अल्ट्रासाउंड किया जा रहा है, 10 प्रतिशत सीटी स्कैन से डायग्नोस हो रहा है, 5 से 7 प्रतिशत केस एमआरआई से तथा 3 प्रतिशत केसेज इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी से डायग्नोज हो रहे हैं।

अधिवेशन के दूसरे दिन मुंबई के टाटा मेमोरियल रिसर्च सेंटर के डॉ अक्षय बहेती ने एक महत्वपूर्ण प्रेजेन्टेशन में बताया कि कई रिसर्च के दौरान यह सामने आ रहा है कि हम लोग जितना रेडियेशन से डरते हैं, उतना घबराने की जरूरत नहीं हैं, बशर्ते रेडियेशन का डोज लो रखा जाये। इस बारे में उन्होंने अपने प्रेजेन्टेशन में कई पेपर्स दिखाये जिनसे यह पता चलता है कि रेडियेशन से बहुत नुकसान होने के जो आंकड़े हैं, वे ज्यादा मात्रा में रेडियेशन डोज के होनेे के परिणामस्वरूप हैं, उनका कहना था कि ऐसा लग रहा है कि अगर लो डोज में रेडियेशन दिया जाये तो यह उतना नुकसानदायक नहीं होगा।

डॉ अनित ने बताया कि आईएसपीआर के राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद द्वारा किया गया। प्रो. अनित परिहार और वरिष्ठ संकाय सदस्यों की टीम ने कुलपति का सम्मान किया। दूसरे दिन के कार्यक्रम में डॉ. नीरा कोहली, डॉ. अजय डिसूजा, डॉ. अजय कुमार, डॉ. प्रिसिला जोशी, डॉ. अनमोल भाटिया, डॉ. अमित नंदन धर द्विवेदी जैसे प्रमुख वक्ताओं द्वारा बाल न्यूरोरेडियोलॉजी, ऑन्कोलॉजी और हेड एंड नेक रेडियोलॉजी पर वार्ताएं हुईं।

उभरते डॉक्टरों को रेडियोलॉजी के क्षेत्र में नवीनतम अत्याधुनिक तकनीक और उपकरणों से परिचित कराने के उद्देश्य से डॉ. जितेंद्र सैनी, डॉ. शिबानी मेहरा जैसे उल्लेखनीय वक्ताओं द्वारा नई एमआरआई तकनीकों पर सत्र और कठिन मामलों में निदान की दुविधाओं और समस्या-समाधान दृष्टिकोण पर चर्चा की गई। इसका उद्देश्य बच्चों के कल्याण को सीधे तौर पर प्रभावित करने वाले बाल स्वास्थ्य सेवा के मानकों को रेडियोलॉजी की दृष्टि से ऊंचा उठाना था।

अपने “इनसाइटफुल रेडियोलॉजी” विषय पर खरा उतरते हुए, आईएसपीआर 2024 में वक्ताओं ने श्रोताओं के साथ कुछ रोचक मामले भी साझा किए। दूसरे दिन का एक महत्वपूर्ण आकर्षण बाल रोगियों की आपातकालीन स्थितियों से जुड़े मुद्दों का समाधान करना था। बच्चे के चेस्ट में बार-बार इन्फेक्शन हो रहा है और उसे पकड़ा नहीं जा पा रहा है, एंटीबायोटिक से कुछ समय के लिए तो दब गया लेकिन बाद में पुन: उभर गया, सिर में ट्यूमर है, पहले मिर्गी आयी उस पर ध्यान नहीं दिया, सिरदर्द हुआ फिर गंभीरता से नहीं लिया, ऐसे रोगों को डायग्नोस करने के लिए रेडियोडायग्नोसिस जांचों को शीघ्र करा कर आपातकालीन स्थिति बचाने के साथ ही बच्चे को स्वस्थ किया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि सम्मेलन के दौरान आयोजित प्रतियोगिताओं, जैसे पेपर और पोस्टर प्रेजेंटेशन और फिल्म रीडिंग सत्र के विजेताओं को सम्मानित करने के लिए एक पुरस्कार वितरण समारोह भी आयोजित किया गया।

प्रो. डॉ. अनित परिहार ने वरिष्ठ संकाय सदस्यों के साथ उन सभी गणमान्य व्यक्तियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया, जो इस शैक्षणिक भव्य आयोजन का हिस्सा बने। उन्होंने आयोजन समिति के सदस्यों को भी बधाई दी और उनके अथक प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने इस राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन को सफलतापूर्वक आयोजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।

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