-लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान एवं अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय के संयुक्त प्रयास से हुई स्थापित
सेहत टाइम्स
लखनऊ। डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान एवं अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ के संयुक्त प्रयास से संकाय विकास एवं प्रशिक्षण के लिए ”यूनेस्को (UNESCO)-बायोएथिक्स केंद्र” की स्थापना की गयी है। बायोएथिक्स केंद्र का उद्घाटन प्रो0 रसेल डिसूजा, प्रमुख और अध्यक्ष शिक्षा विभाग, आईसीबी यूनेस्को अध्यक्ष और सह-अध्यक्ष ग्लोबल नेटवर्क मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया के द्वारा किया गया।
यह जानकारी संस्थान के मीडिया सेल द्वारा जारी विज्ञप्ति में देते हुए बताया गया है कि उद्घाटन के दौरान प्रो0 संजीव मिश्रा, कुलपति अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ, प्रो0 सी एम सिंह, निदेशक, डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ, प्रो0 वेद प्रकाश मिश्रा, अध्यक्ष राष्ट्रीय शैक्षिणिक कार्यक्रम एवं सह-अध्यक्ष शिक्षा विभाग एवं अध्यक्ष एएमईआई, प्रो0 चांसलर, डीएमआईएमएस, प्रो0 मैरी मैथ्यू, भारतीय कार्यक्रम प्रमुख और शिक्षा विभाग की उप प्रमुख, एएमईआई के महासचिव, प्रोफेसर और एचओडी पैथोलॉजी, के एमसी मणिपाल, एमएएचई, प्रोफेसर नवबीर पसरिचा, नोडल अधिकारी बायोएथिक्स केन्द्र, प्रो0 प्रद्युम्न सिंह, डीन, लोहिया संस्थान, प्रो0 लोकेश अग्रवाल, डीन, अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय, संकाय सदस्य एवं छात्रगण उपस्थित रहे।


विज्ञप्ति में कहा गया है कि स्थापित बायोएथिक्स केंद्र के कुशल संचालन के लिए गठित बायोएथिक्स स्टेयरिंग समिति के अध्यक्ष प्रो0 डा0 सी0एम0 सिंह एवं अन्य समिति सदस्यों को प्रो0 रसेल डिसूजा द्वारा रिट सौंपी गई।
उद्घाटन कार्यक्रम के बाद संकाय विकास कार्यक्रम (फैक्लटी डेवलपमेंट प्रोग्राम) का आयोजन किया गया। जिसमें निम्नलिखित विषयों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गयी
1.बायोएथिक्स शिक्षा में 3 प्रतिमान चिकित्सा और स्वास्थ्य व्यवसाय शिक्षा में बायोएथिक्स को पढ़ाने, प्रशिक्षित करने और स्थानांतरित करने के दृष्टिकोण में महारत हासिल करना, जिसमें निम्नलिखित उपविषयों पर चर्चा हुई।
1- कार्यक्रम का परिचय और स्वास्थ्य व्यवसाय शिक्षा में इसके निहितार्थ।
2- बायोएथिक्स में स्वास्थ्य पेशेवरों को प्रशिक्षण देना।
3- बायोएथिक्स पढ़ाने के तरीकों की खोज।
5- बायोएथिक्स पढ़ाने के तरीकों की खोज जैव-नैतिक एकीकरण के लिए कार्रवाई योग्य योजनाएँ विकसित करने की योजना।
इसके अलावा नैदानिक प्रशिक्षण और अनुसंधान में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की नैतिक सीमाओं को उजागर करना विषय पर चर्चा जिसमें निम्नलिखित उप-विषय शामिल हैं।
1- स्वास्थ्य सेवा में नैतिक निहितार्थों के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
2- जिम्मेदार और नैतिक कार्यान्वयन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करना।
3- स्वास्थ्य सेवा में से संबंधित नैतिक ढाँचों का पता लगाना।
4- संचालित स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों में नैतिक चुनौतियों की जाँच करना।
5- आलोचनात्मक सोच और नैतिक निर्णय लेने के कौशल को बढ़ावा देना।
6- स्वास्थ्य सेवा में जिम्मेदार प्रथाओं को बढ़ावा देना।
