बच्चों की न्यूरोलॉजिकल बीमारियों पर काम करने वालों की बेहद कमी
इलाज में माता-पिता की सहनशीलता की चुनौती भी कम नहीं
लखनऊ। बच्चों को होने वाली न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का प्रॉपर इलाज तो चुनौती है ही, इससे भी ज्यादा चुनौती है, ऐसे बच्चों के माता-पिता, जिनकी व्यक्तिगत दिक्कतें हैं, उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, वे बीमारी की गंभीरता को समझते नहीं हैं। यही नहीं जिनके पास पैसा भी है, समझ भी है, वह इतनी सहनशीलता नहीं रखते जितनी जरूरी है। फिर जब इलाज का समय निकल जाता है तो पछतावा ही हाथ लगता है, क्योंकि देर से इलाज के अच्छे रिजल्ट नहीं आते हैं।
यह कहना है डेवलेपमेंटल पीडियाट्रीशियन डॉ अजय भारद्वाज का। मुंबई से एमबीबीएस करके मेरठ से एमडी करने वाले डॉ भारद्वाज ने सुपर स्पेशियलिटी के लिए फेलोशिप की हुई है। डॉ भारद्वाज ने चार माह पहले ही मेरठ में एक चाइल्ड डेवलेपमेंट सेंटर खोला है, जिसमें बच्चों के शारीरिक-मानसिक विशेषकर साइकोलॉजिकल डेवलेपमेंटल के क्षेत्र में काम कर रहे हैं, इनके सेंटर पर ऑटिज्म, डाउन सिंड्रोम, लर्निंग डिसेबिलिटी वाले बच्चों का ट्रीटमेंट होता है। एसोसिएशन ऑफ चाइल्ड ब्रेन रिसर्च (एसीबीआर) के संस्थापक डॉ राहुल भारत के ब्रेन रक्षक प्रोग्राम के बारे में उनका कहना है कि यह अच्छा प्रोग्राम है, मैंने चाइल्ड डेवलेपमेंट में डीएम कोर्स न होने के कारण फेलोशिप की हुई है, इसमें वैल्यू ऐडेड के लिए डॉ राहुल के प्रशिक्षण प्रोग्राम से मैं जुड़ना चाहूंगा।
डॉ भारद्वाज का कहना है कि चूंकि इस क्षेत्र में अभी काम करने वाले चिकित्सकों की बहुत कमी है, इसके अलावा इस फील्ड में सही काम करने वाले लोग भी नहीं हैं, ज्यादातर लोग मार्केटिंग कर रहे हैं। क्वैकरी कर रहे हैं, यानी जो करना चाहिये वह नहीं कर रहे हैं, नतीजा इलाज करने वाले माता-पिता परेशान हो जाते हैं, कुल मिलाकर देखा जाये तो इस फील्ड में अच्छा काम अभी कम ही हो रहा है। डेवलेपमेंटल डिसेबिलिटी का जो एरिया है वह बहुत पिछड़ा हुआ है, यूं कह लीजिये कि अभी शैशवावस्था में है। ऐसी परिस्थिति में डॉ राहुल भारत का पीडियाट्रीशियन के लिए तैयार किया गया ब्रेन रक्षक प्रोग्राम बहुत लाभदायक हो सकता है। मैंने भी लखनऊ में उनके कई सेमिनार में भाग लिया है, उनकी सोच अच्छी है, विजन अच्छा है।
ज्ञात हो डॉ राहुल भारत ने कैम्ब्रिज यूके से पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजी की पढाई करके न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से जूझ रहे बच्चों को दिये जाने वाले आवश्यक उपचार की ट्रेनिंग उत्तर भारत के बाल रोग विशेषज्ञों को देने का बीड़ा उठाया है जिससे हर शहर में ऐसे बच्चों को इलाज उनके घर के पास ही मिल सके।