जल्दी डायग्नोस होने से उपचार शीघ्र दिया जाना हो जाता है संभव
डॉ राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट में आयोजित कार्यशाला में कनाडा के विशेषज्ञ ने दिया व्याख्यान
लखनऊ। मुझे बहुत खुशी हो रही है कि लखनऊ में लोहिया संस्थान, केजीएमयू, एसजीपीजीआई जैसे संस्थानों के साथ ही दो प्राइवेट पैथोलॉजी में भी ब्लड कैंसर का शीघ्र और सटीक पता लगाने की सुविधा मौजूद है। यही नहीं मैं यहां के डॉकटरों की उच्च गुणवत्ता, उनका कार्य के प्रति समर्पण से भी बहुत प्रभावित हूं। अत्याधुनिक तकनीक फ्लोसाइटोमीट्री से खून के कैन्सर की शीघ्र और सटीक जांच का फायदा यह है कि मरीज का इलाज जल्दी शुरू हो जाता है जिससे उसके बेहतर परिणाम मिलते हैं।
यह बात कनाडा के वैनकुवर जनरल हॉस्पिटल, निदेशक फ्लोसाइटोमीट्री सर्विस, पैथोलॉजी एंड लैब मेडिसिन, यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलम्बिया वैनकुवर कनाडा से आये प्रोफेसर बकुल दलाल ने शनिवार को लोहिया इंस्टीट्यूट के पैथोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम के दौरान कही। प्रोफेसर दलाल लोहिया इंस्टीट्यूट में आयोजित व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए। अपने व्याख्यान में प्रो दलाल ने खून के कैन्सर के सटीक निदान के लिए अत्याधुनिक तकनीक फ्लोसाइटोमीट्री flowcytometry के प्रयोग की चर्चा की। आपको बता दें कि flowcytometry लेजर से लैस तकनीक है जिसमे ब्लड कैन्सर के संभावित मरीज का बोन मैरो और खून का नमूना ले कर फ्लोसाइटोमीट्री flowcytometry तकनीक द्वारा ब्लड कैन्सर के विभिन्न प्रकार की पहचान करते हैं जिससे मरीज का त्वरित एव सटीक इलाज मे मदद मिलती है। उन्होंने बताया कि यही नहीं ब्लड कैंसर के पूर्ण इलाज के बाद इसके फिर से होने का डर तीन माह तक बना रहता है, इस दौरान भी फ्लोसाइटोमीट्री जांच से तुरंत पता चल जाता है जिससे तुरंत ही इलाज शुरू किया जा सकता है।
बतातें चले की पैथोलॉजिस्ट रक्त की सामान्य जांच से भी ब्लड कैंसर की संभावना पता चल जाती है लेकिन सटीक निदान के लिए इस फ्लोसाइटोमीट्री तकनीक का अब प्रयोग होने लगा हैं यह सुविधा लखनऊ के एसजीपीजीआई, केजीएमयू, डॉ राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट, सहारा हॉस्पिटल लैब तथा आरएमएल पैथोलॉजी में उपलब्ध है।
उन्होंने कहा कि गुणवत्तापरक जांच के लिए रक्त और बोन मैरो के नमूने की जांच 48 घंटे के अंदर प्रारम्भ हो जानी चाहिए। यह देखा गया है कि बच्चों में ब्लड कैंसर होने पर यदि जल्दी और सटीक निदान हो जाए तॊ ठीक होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।
इस व्याख्यान मे बड़ी संख्या मे युवा पैथोलॉजिस्ट और शिक्षक मौजूद थे। इस व्याख्यान का आयोजन आरएमएल इंस्टीट्यूट की पैथोलॉजी की हेड प्रोफेसर नुजहत हुसैन के मार्गदर्शन में डॊक्टर नम्रता पी अवस्थी द्वारा किया गया। व्याख्यानमाला में लोहिया इंस्टीट्यूट की डॉ नम्रता पी अवस्थी, केजीएमयू की डॉ रश्मि कुशवाहा, एसजीपीजीआई की डॉ रुचि गुप्ता, आरएमएल लैब के डॉ संजय मेहरोत्रा तथा सहारा अस्पताल की डॉ सुरभि गुप्ता ने अपने-अपने विचार रखे।
इस अवसर पर डॉक्टर आशुतोष कुमार, डॉक्टर राजेश कश्यप, डॉक्टर रुचि गुप्ता, डॉक्टर रश्मि कुशवाहा, डॉक्टर सुरभि गुप्ता, डॉ प्रद्युम्न सिंह, डॉक्टर पीके गुप्ता, डॉक्टर संजय मेहरोत्रा, डॉक्टर बन्दना मेहरोत्रा, डॉक्टर अविरल गुप्ता सहित बहुत से पैथोलॉजिस्ट मौजूद थे।
जहां सिर्फ मशीन नहीं पैथोलॉजिस्ट भी हो, वहीं करायें जांच
डॉक्टर पीके गुप्ता ने बताया की रक्त की जांच वहीँ कराना चाहिए जहाँ पैथोलॉजिस्ट मौजूद हों क्योंकि रक्त कैंसर के निदान मे प्रारम्भिक जांच का बहुत अधिक महत्व है, प्रारम्भिक जांच में पॉजिटिव आने पर इसका कन्फर्मेशन फ्लोसाइटोमीट्री द्वारा हाइयर सेंटर पर किया जाता है।