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छोटी-छोटी लापरवाहियों से हो रहा सिर्फ पांच वर्ष की उम्र में आर्थराइटिस

 

केजीएमयू के बाल अस्थि रोग विभाग के मुखिया की स्टडी में चौंकाने वाले परिणाम

 

 

प्रो अजय सिंह

लखनऊ। खिलखिलाते बच्‍चे किसे नहीं प्रिय होते हैं,  परिवार की फुलवारी में जब आपका शिशु फूल बनकर खिलता है तो सभी के चेहरे खिल जाते हैं। लेकिन छोटी-छोटी लापरवाही से इस फूल को मुरझाने से बचाना भी आपकी ही जिम्मेदारी है. आपका लाड़ला या लाड़ली रूपी यह फूल किस तरह से जीवन भर महक सकता है, इसके लिए जरूरी है कि आप गर्भावस्‍था के दौरान से ही सावधानी बरतना शुरू कर दें। गर्भावस्‍था में कॉस्‍मेटिक प्रोडक्‍ट़स का इस्‍तेमाल न करें तो ज्‍यादा अच्‍छा होगा, क्‍योंकि ऐसा करने से होने वाले शिशु के पैर टेढ़े हो सकते हैं, उसे आर्थराइटिस हो सकती है। यही नहीं शिशु के पैदा होने का बाद उसके लिए खिलौनों का चुनाव करते समय भी सतर्कता बरतनी होगी।

चौंकाने वाले अध्ययन में पता चला है कि पांच साल तक के बच्‍चे भी आर्थराइटिस की गिरफ़्त में आ रहे हैं और इसका बड़ा कारण उनके शरीर में जाने वाला लेड यानी सीसा है जो कि गर्भावस्‍था के दौरान मां से और पैदा होने के बाद खिलौनों आदि के माध्‍यम से उनके शरीर में प्रवेश कर जाता है। गर्भावस्‍था के दौरान मां का कॉस्‍मेटिक प्रसाधनों  के प्रयोग और पैदा होने के बाद खिलौने, बैटरी, घटिया पेंट आदि के माध्‍यम से बच्‍चों के शरीर में पहुंचने वाले लेड पर लगाम लगाकर ही हम अगली पीढ़ी को आर्थराइटिस, पैर के टेढ़ होने से बचा सकते हैं।

यह चौंकाने वाला तथ्‍य किंग जॉर्ज चि‍कित्‍सा विश्‍वविद़यालय (केजीएमयू) के बाल अस्थि रोग विभागाध्‍यक्ष प्रो अजय सिंह द्वारा किये गये शोध में सामने आया है। इस विषय पर डॉ अजय सिंह से जब बात की गयी तो उन्‍होंने बताया कि उनके विभाग में हर माह 180 से 200  बच्‍चे टेढ़े पैर की समस्‍या के साथ आ रहे हैं। इन बच्‍चों की आयु एक माह से दो साल तक है, उन्‍होंने बताया कि इनमें 18 बच्‍चों और उनकी मां के खून का नमूना लिया गया था। उन्‍होंने बताया इन सभी नमूनों में हैवी मेटल्‍स एवं जीन्‍स की जांच करवायी गयी थी। उन्‍होंने बताया कि इनकी जब जांच रिपोर्ट आई तो लेड और कैडमियम मेटल की माञा सामान्‍य से आठ गुना ज्‍यादा पायी गयी।

डॉ अजय सिंह ने बताया कि कॉस्‍मे‍टिक प्रोडक्ट्स और प्‍लास्टिक के खिलौनों में लेड ज्‍यादा पाया जाता है। उन्होंने कहा कि बेहतर होगा गर्भावस्था के दौरान महिलायें इन कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स के प्रयोग से बचें. उन्होंने बताया कि इसी प्रकार बच्चों के प्रति आप अपना लाड़-प्‍यार दिखाने के लिए लोग  तरह-तरह के जतन करते हैं. एक बहुत ही आम बात है जो प्रायः सभी करते हैं, वह है कि उसके लिए खिलौने लाते हैं लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि इन खिलौनों को लेकर भी आपको अत्यंत सावधानी बरतनी है क्योंकि बच्‍चों की आदत होती है कि वे हर चीज को मुंह में रखते हैं ऐसे में घर में रखे इनवर्टर, बैटरी वाले खिलौने, सस्ते घटिया क्वालिटी के रबर या प्लास्टिक के खिलौनों और दीवारों पर लगे घटिया क्‍वालिटी वाले पेंट के माध्‍यम से बच्‍चों के शरीर में जाने वाला लेड हड्डियों में मौजूद कैल्शियम को हटाकर जमा हो जाता है जिससे हड्डियों में टेढ़ापन शुरू हो जाता है। यही नहीं इससे मांसपेशियों को नुकसान पहुंचता है तथा ब्‍लड सरकुलेशन भी रुक जाता है जिससे बच्‍चों को 4-5 साल की उम्र में ही आर्थराइटिस  हो जाती है। उन्‍होंने बताया कि लेड का दुष्‍प्रभाव सभी जोड़ों पर पड़ता है। उन्‍होंने बताया कि हमने सबसे ज्‍यादा इस्‍तेमाल होने वाले कूल्‍हे के जोड़ पर इस बारे में स्‍टडी की है। जिसमें इससे होने वाले नुक्सान के ये चौंकाने वाले परिणाम आये हैं. उन्होंने बताया कि इस स्‍टडी को अब शरीर के अन्‍य जोड़ों पर भी किया जायेगा। उन्‍होंने बताया कि इस स्‍टडी के लिए उनको इंडियन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन ने उन्‍हें सम्‍मानित करने के लिए चुना है।

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