100 प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान और डॉक्टर्स फॉर क्लीन एयर की प्रेस वार्ता
लखनऊ। वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्थिति में पहुंचता जा रहा है, इससे निपटने के लिए मिल-जुल कर प्रयास करने की जरूरत है। इसी के अब समय आ गया है कि वायु प्रदूषण के खिलाफ जागरूकता बढ़ाते हुए इतना अभियान चलाया जाये कि यह चुनावी मुद्दा बन जाये।
यह आह्वान किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्व विद्यालय के पल्मोनरी विभाग के हेड और डॉक्टर्स फॉर क्लीन एयर के संयोजक डॉ सूर्यकांत ने यू पी प्रेस क्लब में 100 प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान और डॉक्टर्स फॉर क्लीन एयर द्वारा आयोजित संयुक्त प्रेस वार्ता में किया। ज्ञात हो बीती 10 जनवरी को दोनों संगठनों ने वायु प्रदूषण से हो रहे नुकसान के प्रति जागरूक करने के लिए यहां स्थानीय लालबाग में नगर निगम के सामने स्थित पार्क में कृत्रिम फेफड़ा लगाया था। जो कि पांचवें दिन ही पूरी तरह काला पड़ गया था।
डॉ सूर्यकांत ने कहा कि जिस तरह किसानों को कर्जमाफी का मुद्दा इस तरह फैला कि सभी पार्टियां अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल कर रही हैं, उसी तरह सभी दल इसे चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने पर मजबूर हो जायें। उन्होंने कहा कि आम जनमानस को भी इस क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। इसके लिए वे रोज शाम को सोचें कि उनके किसी कार्य से उस दिन प्रदूषण तो नहीं हुआ। अगर व्यक्ति अगर धूम्रपान करता है तो धूम्रपान करने वाले के अंदर 30 प्रतिशत लेकिन दूसरों के 70 फीसदी धुआं अंदर जाता है, इससे उसे खुद को और दूसरों को नुकसान हुआ, इसी प्रकार फैक्टरी मालिक सोचे हमारे उत्पाद को बनाने में भट्टी आदि का इस्तेमाल तो नहीं किया गया? यदि किया है तो उसका विकल्प जैसे एलपीजी चूल्हा आदि का इस्तेमाल करे, इसी प्रकार ठेकेदार सोचे कि बिल्डिंग बनाने में मैं नेशनल बिल्डिंग कोड का पालन कर रहा हूं या नहीं।
इसके अलावा फूलों का गुलदस्ता देने की आदत बदल दें, इसकी जगह एक पौधा भेंट करें ताकि लोग उसे रोपित करें तो कम से कम एक पेड़ तैयार होगा जो ऑक्सीजन देने में सहायक होगा। इसी प्रकार बर्थडे पर, शादी की वर्षगांठ पर मोमबत्ती जलाने का फैशन छोड़ें क्योंकि मोमबत्ती से भी धुआं निकलता है, इसकी जगह आयु और शादी वर्षगांठ के जितने साल हो गये हों उतने पौधे लगायें।
झाड़ू नहीं पोछा लगायें, प्रदूषण को दूर भगायें
डॉ सूर्यकांत ने कहा कि घर में जब झाड़ू लगती है तो उससे भी धूल उड़ती है, इस प्रदूषण से बचने के लिए पोछा लगायें इससे धूल के कण हवा में नहीं फैलेंगे बल्कि पोछे में चिपक जायेंगे। जिन घरों में सांस से संबंधी अगर कोई रोगी है तो उसे भी इस प्रक्रिया से लाभ होगा।
साज-सज्जा के खयाल के साथ स्वास्थ्य का भी रखें खयाल
डॉ सूर्यकांत ने कहा कि साज-सज्जा आदि के दृष्टिकोण से अब घरों में ज्यादा से ज्यादा परदे, सोफा कवर्स, कालीन आदि का इस्तेमाल हो रहा है। इन सभी चीजों में धूल जमना एक आम सम्स्या है, इसलिए यदि घर की साज-सज्जा का इतना खयाल है तो थोड़ा खयाल स्वास्थ्य का भी रखिये, इन सभी चीजों से धूल की सफाई के लिए वैक्यूम क्लीनर भी अवश्य रखें।
सौ सिगरेट का धुआं सिर्फ छह घंटे में
डॉ सूर्यकांत ने कहा कि विशेषकर ग्रामीण इलाकों में जिन घरों में आज भी खाना चूल्हे पर बनता है, उन घर की रसोई में अगर महिला रोजाना छह घंटे बिताती है तो समझ लीजिये वह 100 सिगरेट के बराबर धुएं का सेवन करती है, इससे उसे होने वाले नुकसान का अंदाज लगाना मुश्किल काम नहीं है।
उत्तर प्रदेश में प्रति घंटे चार नवजात वायु प्रदूषण से दम तोड़ रहे
डॉ सूर्य कान्त ने कहा “काले हुए फेफड़ों ने महज 24 घंटों में ही स्वास्थ्य आपातकाल को साबित कर दिया. लांसेट की रिपोर्ट के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 में 2 लाख 60 हजार मौतें केवल वायु प्रदूषण जनित बीमारियों से हुईं। यूनिसेफ के अनुसार, प्रदेश में कुल 4 नवजात बच्चे प्रति घंटे वायु प्रदूषण के असर से मारे जाते हैं। उत्तर भारत के सभी अस्पताल श्वसन सम्बंधित बीमारियों से जूझ रहे मरीजों से भरे पड़े हैं। केजीएमयू में पूरे प्रदेश से मरीजों का आना बताता है कि वायु प्रदूषण किसी शहर या क्षेत्र विशेष की नहीं, पूरे प्रदेश के समस्या है।
जनता के बीच जागरूकता फैलाने में अभियान सफल रहा
प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए 100 प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान की एकता शेखर ने कहा “बिलकुल सफेद फेफड़ों का 24 घंटों में काला हो जाना इस बात का प्रमाण है कि उत्तर प्रदेश में वायु प्रदूषण अब एक अहम् सवाल बन चुका है. 7 दिवसीय यह अभियान आम जनता से लेकर जन प्रतिनिधियों के बीच जागरूकता पैदा करने की दृष्टि से काफी सफल रहा। मुख्य धारा के सभी राजनितिक दलों की ओर से इस अभियान को समर्थन मिला है और सभी दलों ने 2019 के आम चुनावों में अपने घोषणा पत्र में इस विषय को शामिल करने का आश्वासन दिया है।विद्युत वाहन, सौर ऊर्जा और कचरा निस्तारण जैसे तीन प्राथमिक समाधान अपना कर हम पूरे उत्तर भारत से वायु प्रदूषण को ख़त्म कर सकते हैं।
प्रेस वार्ता में ताहिरा हसन ने कहा कि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्ययोजना के माध्यम से स्वच्छ हवा को मूलभूत अधिकार घोषित करना चाहिए। साथ ही, सरकारों के द्वारा अपनाई जा रही कोशिशों में आम जनता को भी सहयोग करना होगा। वायु प्रदूषण एक वैश्विक सवाल है, जो अकेले किसी संस्था, अभियान, जनता या सरकार की पहल से हल नहीं होगा। सभी को कंधे से कंधा मिला कर चलना होगा। सार्वजनिक परिवहन और सौर ऊर्जा के भरपूर उपयोग से हर व्यक्ति वायु प्रदूषण को कम करने में सहायता कर सकता है।’’