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केजीएमयू के डॉ दुर्गेश द्विवेदी ने होनोलूलू में रचा इतिहास, बढ़ाया भारत का मान

-इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर मैग्नेटिक रेजोनेंस इन मेडिसिन के सम्मेलन में पूर्ण सत्र आयोजित करने वाले पहले भारतीय बने

-किफायती खर्च में गुणवत्तापूर्ण एमआरआई के आयाम स्थापित करे डॉ दुर्गेश ने

सेहत टाइम्स

लखनऊ/होनोलूलू, हवाई। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि में, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU), लखनऊ के रेडियोडायग्नोसिस विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. दुर्गेश कुमार द्विवेदी इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर मैग्नेटिक रेजोनेंस इन मेडिसिन (ISMRM) के वार्षिक सम्मेलन में पूर्ण सत्र आयोजित करने वाले पहले भारतीय बने। 10-15 मई, 2025 को होनोलूलू, हवाई में आयोजित इस सम्मेलन में विश्व भर से 6,000 से अधिक प्रसिद्ध रेडियोलॉजिस्ट और MRI वैज्ञानिक शामिल हुए।

ISMRM भारतीय चैप्टर के महासचिव डॉ. द्विवेदी ने अमेरिका के केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी (CWRU) के प्रोफेसर और GRAPPA व मैग्नेटिक रेजोनेंस फिंगरप्रिंटिंग (MRF) के आविष्कारक डॉ. मार्क ग्रिसवॉल्ड तथा पुर्तगाल के CCMAR, फारो में क्वांटिटेटिव बायो-इमेजिंग लैब की समूह नेता डॉ. टेरेसा मटियास कोर्रिया के साथ मिलकर सत्र का आयोजन किया। 13 मई, 2025 को आयोजित सत्र “क्वांटम कम्प्यूटिंग इन मेडिकल डायग्नोसिस: रिवॉल्यूशनाइजिंग MRI एप्लिकेशन्स” ने क्वांटम कम्प्यूटिंग के MRI डायग्नोस्टिक्स, विशेष रूप से संसाधन-सीमित क्षेत्रों में परिवर्तनकारी प्रभाव को रेखांकित किया।

क्वांटम MRI पर एक दूरदर्शी सत्र

सत्र में वैश्विक विशेषज्ञों ने भाग लिया, जिसमें माइक्रोसॉफ्ट क्वांटम प्रोग्राम की पार्टनर डायरेक्टर डॉ. जूली लव ने क्वांटम हार्डवेयर प्रगति पर चर्चा की, जबकि डॉ. अनिंदिता बनर्जी (CDAC, भारत) और डॉ. जोसेबा अलोंसो ओटामेंडी (स्पेन) ने MR छवि पुनर्निर्माण और सिग्नल वृद्धि में अनुप्रयोगों की खोज की।

डॉ. द्विवेदी ने सत्र का संचालन किया, यह जोर देते हुए कि क्वांटम एल्गोरिदम स्कैन समय को कम कर सकते हैं, छवि गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं, और निम्न-मध्यम आय वाले देशों (LMICs) में MRI सुरक्षा को बढ़ा सकते हैं तथा क्वांटम क्रिप्टोग्राफी से मरीज़ो की डेटा को और सुरक्षित रखा जा सकता है। यह उनकी डिफ्यूजन MRI और विभिन्न कैंसर (जैसे मस्तिष्क ट्यूमर, प्रोस्टेट कैंसर) में MR स्पेक्ट्रोस्कोपी पर शोध पर के अतिरिक्त विषय पर था।

MRI में क्वांटम कम्प्यूटिंग : बिट्स बनाम क्यूबिट्स

क्वांटम कम्प्यूटिंग क्यूबिट्स का उपयोग करती है, जो 0 और 1 की सुपरपोजीशन में रहते हैं, न कि पारंपरिक बिट्स (0 या 1) की तरह, जिससे डेटा प्रोसेसिंग तेज होती है। MRI में, क्यूबिट्स छवि पुनर्निर्माण को गति दे सकते हैं और सटीकता बढ़ा सकते हैं, जैसे मस्तिष्क ट्यूमर में सूक्ष्म ऊतक परिवर्तनों का पता लगाना, जिससे LMICs में डायग्नोस्टिक्स अधिक सुलभ हो।

क्यों मायने रखता है यह मील का पत्थर

संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित अंतरराष्ट्रीय क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी वर्ष के साथ मेल खाते हुए, डॉ. द्विवेदी की पहल भारत को क्वांटम स्वास्थ्य नवाचार में अग्रणी बनाती है। क्वांटम MRI डायग्नोस्टिक सटीकता बढ़ा सकता है, लागत कम कर सकता है, और ग्रामीण भारत जैसे LMICs में पहुंच में सुधार कर सकता है, जो डॉ. द्विवेदी के समान स्वास्थ्य देखभाल पर ध्यान के अनुरूप है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भी क्वांटम कंप्यूटिंग पर देश में अभी और शोध कार्य पर ज़ोर देने की बात कही है और साथ ही में उन्होंने इस क्षेत्र निवेश को बढ़ाया है, अभी हाल ही में चीन और अमेरिका इस क्षेत्र में काफ़ी निवेश और शोध कार्य कर रहे हैं।

KGMU के लिए लाभ

यह उपलब्धि KGMU की वैश्विक प्रतिष्ठा को बढ़ाती है, जिससे CWRU और CCMAR जैसे संस्थानों और क्वांटम कम्प्यूटिंग उद्योगों के साथ सहयोग के अवसर खुलते हैं। यह KGMU के भविष्य में क्वांटम इमेजिंग रिसर्च शोध स्थापित करने की संभावना को भी समर्थन देता है, जो अनुसंधान, प्रशिक्षण, और AI-क्वांटम इमेजिंग एकीकरण को बढ़ावा देगा।

क्वांटम MRI में निवेश क्यों?

क्वांटम MRI में निवेश भारत की राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के साथ संरेखित है, जो कमजोर क्षेत्रों के लिए तेज, किफायती डायग्नोस्टिक्स को बढ़ावा देता है, वैश्विक प्रतिस्पर्धा को मजबूत करता है, और 2047 तक सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज जैसे स्थायी स्वास्थ्य लक्ष्यों का समर्थन करता है।

संस्थागत मान्यता

KGMU के रेडियोडायग्नोसिस विभाग के प्रमुख प्रो. अनित परिहार ने डॉ. द्विवेदी को बधाई देते हुए कहा, “ISMRM 2025 में डॉ. द्विवेदी का नेतृत्व हमारे विश्वविद्यालय के लिए गर्व का विषय है। क्वांटम-वर्धित MRI में उनके योगदान नवाचार में नया मानक स्थापित करते हैं।”

KGMU की कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने कहा, “यह उपलब्धि चिकित्सा प्रौद्योगिकी में नए क्षितिज खोलती है। क्वांटम MRI का कमजोर आबादी के लिए अपार संभावनाएं हैं, और हम डॉ. द्विवेदी के दूरदर्शी कार्य का पूर्ण समर्थन करते हैं।”

डॉ. द्विवेदी का नेतृत्व भारतीय चिकित्सा अनुसंधान के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो एक ऐसे भविष्य का वादा करता है जहां क्वांटम कम्प्यूटिंग और डीप लर्निंग के साथ एकीकृत MRI अधिक सटीक, सुलभ, और विश्व स्तर पर मरीजों के लिए प्रभावशाली होगा।

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