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32-34 दिनों तक सांस की डोर अब टूटी… तब टूटी… की स्थिति वाली महिला को मौत के मुंह से निकाल लाये चिकित्‍सक

-मल्‍टी ऑर्गन फेल्‍योर वाली महिला को बचाया केजीएमयू के डॉक्‍टरों ने
-पल्‍मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में आयी थी मरणासन्‍न

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के पल्‍मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग ने मल्‍टीफेल्‍योर ऑर्गन से ग्रस्‍त एक ऐसी बुजुर्ग महिला की जान बचाने में सफलता प्राप्‍त की जिनकी आईसीयू में भर्ती के दौरान 32-34 दिन ऐसी स्थिति रही कि सांस अब गयी कि तब गयी। चिकित्‍सकों के अथक प्रयास से 48 दिन भर्ती रहने के बाद आज शनिवार को महिला को अस्‍पताल से छुट्टी दे दी गयी।

यह जानकारी पल्‍मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्‍यक्ष डॉ वेद प्रकाश ने देते हुए बताया कि 60 वर्षीय महिला को बीती 5 नवम्बर को दस्त होने की शिकायत के बाद घरवालों ने घर के नजदीक हॉस्पिटल में ले जाया गया, वहां पर दवाएं एवं कुछ इंजेक्‍शन दिये गये और घर भेज दिया गया। उसके 1 दिन बाद सांस लेनें में समस्या होने लगी जिसके चलते मरीज को 9 नवम्‍बर को तेलीबाग लखनऊ में एक प्राइवेट हॉस्पिटल ले जाया गया जहां पर उन्होंने हॉस्पिटल में एडमिट किया और बताया कि मरीज की हालत बहुत ज्यादा खराब है, मरीज के फेफडे में इंफेक्‍शन हो जाने की वजह से फेफड़े काम करना बन्द कर रहे हैं जिस वजह से मरीज को सांस की मशीन के सहारे रखा जायेगा।

दो दिनों में खर्च हो गये पौने दो लाख

दो दिन में पौने दो लाख रुपये खर्च होने के बाद भी मरीज को आराम तो मिला नहीं, बल्कि डॉक्‍टरों ने जवाब दे दिया और कहा कि इनकी डायलिसिस होनी भी जरूरी है, उसकी सुविधा इस अस्‍पताल में नहीं है, हालांकि डायलिसिस के बाद भी बचना बहुत मुश्किल है।  दो दिन में आर्थिक और मानसिक रूप से टूट चुके परिजनों ने यह सुना तो उन्‍हें समझ ही नहीं आ रहा था कि क्‍या करें, इसके बाद परिजन मरीज को लेकर केजीएमयू के पल्‍मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग पहुंचे, जहां विभागाध्‍यक्ष डॉ वेद प्रकाश ने मरीज को भर्ती कर उपचार शुरू किया, इस दौरान न्‍यूरो वाले चिकित्‍सकों की मदद भी ली गयी।  लगभग डेढ़ माह तक उपचार के बाद मरीज को आज शनिवार को छुट्टी दे दी गयी है।

डॉ वेद प्रकाश ने बताया कि उन्‍होंने मरीज को अपने विभाग में वेंटीलेटर पर 11 नवम्‍बर को भर्ती करके तुरन्त इलाज शुरू किया। उन्‍होंने बताया कि इस दौरान मरीज की दो बार ब्रांकोस्कोपी करके सांस की नली में जमे खून के थक्के व संक्रमित बलगम को निकाला गया। संक्रमण के कारण मरीज को सांस लेने में काफी परेशानी थी जिस कारण गले में ऑपरेशन करके ट्रेकेस्टॉमी ट्यूब डाल कर वेंटीलेटर के द्वारा सांस दिलायी गयी। इलाज के दौरान ब्लड प्रेशर एवं पल्स कम मिलने से मरीज को मल्टीपल वैसोप्रेशर थेरेपी दी गयी जिससे मरीज की हालत में सुधार होना शुरू हुआ। इस दौरान मरीज को लगातार 32 दिनों तक वेंटीलेटर एवं 10 दिन एचडीयू वार्ड में रख कर उनकी एवं उनकी टीम की देख- रेख में इलाज चला और अब मरीज को स्थिर अवस्था में 28 दिसम्‍बर को छुट्टी दी गयी।

मरीज के इलाज में मुख्य रूप से डॉ वेद प्रकाश, डॉ अंकित, डॉ विकास, डॉ अभिषेक, डॉ सुलक्षणा, डॉ सचिन, डॉ कैफी, डॉ अमित, डॉ सुमित और अन्य डॉक्टर्स व स्टाफ की कड़ी मेहनत से मरीज की जान बच सकी।