-तीन दिवसीय गुरु गोरक्षनाथ स्वास्थ्य सेवा यात्रा 24 फरवरी से
-यात्रा में इस वर्ष एक लाख मरीजों के स्वास्थ्य परीक्षण का लक्ष्य
सेहत टाइम्स
लखनऊ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अवध प्रांत के तत्वावधान में संघ के अनुषांगिक संगठन नेशनल मेडिकोज ऑर्गेनाइजेशन, सेवा भारती, आरोग्य भारती, वनवासी कल्याण आश्रम, विश्व हिंदू परिषद एवं सीमा जागरण मंच द्वारा संयुक्त रूप से प्रत्येक वर्ष आयोजित की जाने वाली गुरु गोरक्षनाथ स्वास्थ्य सेवा यात्रा आगामी 24, 25 एवं 26 फरवरी को आयोजित की जा रही है। यह यात्रा भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र के जिले बलरामपुर, लखीमपुर खीरी, श्रावस्ती, बहराइच, महाराजगंज एवं सिद्धार्थनगर में शुरू की जाएगी, जिसमें स्वास्थ्य परीक्षण द्वारा 1 लाख मरीजों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है।
यह जानकारी यात्रा प्रभारी लखीमपुर खीरी डॉ रोहित ने देते हुए बताया कि यह यात्रा भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्रों के गांव में रहने वाले जनजाति समुदाय के बीच स्वास्थ्य संबंधी जन जागरण की दृष्टि से प्रत्येक वर्ष आयोजित होती है, जिसकी शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अवध प्रांत के प्रांत प्रचारक कौशल किशोर द्वारा सन 2019 में की गयी थी।
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के 6 सीमावर्ती जिले बलरामपुर, लखीमपुर, श्रावस्ती, बहराइच, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर इत्यादि जिलों के लगभग 200 से अधिक गांवों में देशभर के प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों के डॉक्टर एवं मेडिकल छात्र गांवों में दवा एवं जांच संबंधित व्यवस्थाओं के साथ पहुंचते हैं, ये चिकित्सक एवं मेडिकल छात्र स्थानीय निवासियों के घर रुकते हैं जिनके रहने, खाने, सोने का इंतजाम वनवासी समुदाय के लोग ही करते हैं, इस यात्रा के अंतर्गत 2 दिन तक गांव में रहकर कैंप करना होता है जबकि आखिरी दिन जिले स्तर पर एक वृहद मेगा कैंप आयोजित होता है, जिसमें हर विधा के चिकित्सक मौजूद रहते हैं। स्वास्थ्य मेले के मेगा कैंप में औसत रूप से हर जिले में लगभग 20 से 25 हजार लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है।
डॉ अतुल ने बताया कि थारू जनजाति एवं अन्य वनवासी समुदायों में गंभीर बीमारी के लिए रेफरल सिस्टम के तहत केजीएमयू मेडिकल कॉलेज, पीजीआई, लोहिया संस्थान में भेजने एवं उपचार के लिए व्यवस्था की जाती है।
थारू जनजाति में मुख्यत: एनीमिया एवं फंगल इन्फेक्शन बीमारी ज्यादा पायी जाती हैं, जिस पर अनेक रूप से संगठन के चिकित्सकों द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोध कार्य जारी है, तथा अब तक कई शोध पत्रिका प्रकाशित की जा चुकी हैं। स्वास्थ्य मेले की कार्य योजना बनाने से लेकर समापन तक हजारों की संख्या में राष्ट्रहित की भावना को केंद्र में रखते हुए ये स्वयंसेवक सहयोग करते हैं।