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वैक्‍सीन पर इंग्‍लैंड को भारत का सीधा जवाब, हमें भी आता है आपकी भाषा में जवाब देना

-भारतीयों के वैक्‍सीनेटेड होने के बावजूद, आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट और 10 दिन के क्‍वारंटाइन की अनिवार्यता पर जताया विरोध

-दोहरे मापदंड पर उठाया सवाल, वही कोविशील्‍ड इंग्‍लैंड में लगे तो ठीक, लेकिन अगर भारत में लगी तो गलत

1947 में भारत से जा चुके अंग्रेज 74 साल बाद आज भी गलतफहमी में जी रहे हैं। उनकी सोच आज भी भारत को दोयम दर्जे का समझने वाली है। भारत को अब भी गुलाम समझने की गलतफहमी इंग्‍लैंड पाले हुए है। ताजा मामला भारत में कोरोना के लिए लगायी जा रही वैक्‍सीन कोविशील्‍ड को लेकर सामने आया है। ब्रिटेन ने फरमान जारी कर दिया है कि भारत से आने वाले लोगों को कोविशील्‍ड से वैक्सिनेटेड होने के बावजूद 48 घंटे के अंदर की आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी और इंग्‍लैंड पहुंचकर 10 दिन क्‍वारंटाइन में रहना होगा। जाहिर है इस बेतुके आदेश को सुनकर भारत को गुस्‍सा आना लाजिमी था, वही हुआ, भारत ने इंग्‍लैंड को चेतावनी दे दी है कि अपनी नीति पर पुनर्विचार कीजिये वरना हम भी वही कर सकते हैं जो आप कर रहे हैं।  

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारतीय विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने कहा, “हम देख रहे हैं कि इस मामले का निबटारा कैसे होता है. अगर कोई संतोषजनक हल नहीं निकला तो भारत के पास भी ब्रिटेन के ख़िलाफ़ ऐसा ही कदम उठाने का अधिकार है।”  ज्ञात हो भारत ने भारत दुनिया में सबसे ज्यादा वैक्सीन, दवाएं और मेडिकल उपकरण बनाने और निर्यात करने वाला देश है, लेकिन ब्रिटेन के नए वीजा नियम यही दर्शाते हैं कि उसकी नजर में भारत की इन उपलब्धियों की कोई कीमत नहीं है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ब्रिटेन ने विदेशी पर्यटकों के लिए नए वीजा नियमों के मुताबिक यूरोप, ब्रिटेन या अमेरिका के वैक्सीन प्रोग्राम के तहत वैक्सीनेटेड लोगों को ही क्वारंटीन से छूट होगी। ऐसे लोग एयरपोर्ट पर कोरोना का इंस्टंट फ्लो टेस्ट करवाकर बाहर आजाद घूम सकते हैं, यानी अगर किसी व्यक्ति ने यूरोप, ब्रिटेन या फिर अमेरिका में ऑक्‍सफोर्ड-एस्‍ट्राजेनेका(Oxford-AstraZeneca), फाइजर-मॉडेरना (Pfizer- Moderna) या जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन लगवाई है तो नेगेटिव रिजल्ट आने पर वो आजादी से ब्रिटेन में कहीं भी घूम सकता है, लेकिन अगर यही वैक्‍सीन किसी व्यक्ति ने इन देशों के अलावा किसी अन्य देश में लगवायी हो तो उसे वैक्‍सीनेटेड नहीं माना जायेगा। ब्रिटेन ये नये नियम 4 अक्‍टूबर से लागू करने जा रहा है। 

भारत के परिप्रेक्ष्‍य में इसे समझा जाये तो इसका मतलब यह हुआ कि ब्रिटेन की कम्‍पनी एस्‍ट्राजेनेका व ऑक्‍सफोर्ड द्वारा संयुक्‍त रूप से विकसित की गयी कोविशील्ड वैक्सीन लगवाकर भारत से ब्रिटेन गए व्यक्ति को भी अनवैक्सीनेटेड ही माना जाएगा, यहां यह भी ध्‍यान देने योग्‍य है कि भारत में लग रही दूसरी वैक्‍सीन कोवैक्‍सीन को भी अभी विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की मंजूरी का इंतजार है।

ज्ञात हो कोविशील्‍ड एस्‍ट्राजेनेका व ऑक्‍सफोर्ड की ही वैक्सीन है, जिसे डब्‍ल्‍यूएचओ से मान्यता मिली हुई है। इस वैक्सीन को भारत में सीरम इंस्टीट्यूट बनाता है तथा इसे यूरोप के 16 देशों ने भी अप्रूव किया है लेकिन ब्रिटेन के हिसाब से उसकी ऑक्‍सफोर्ड-एस्‍ट्राजेनेका  वैक्सीन भारत की ऑक्‍सफोर्ड-एस्‍ट्राजेनेका से बेहतर है। यहां एक और बात ध्‍यान देने वाली है कि खुद ब्रिटेन की सरकार ने सीरम इंस्टीट्यूट के साथ 10 करोड़ वैक्सीन डोज का करार किया हुआ है और ब्रिटेन की एक सरकारी स्वास्थ्य संस्था ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का दौरा करने के बाद यह घोषणा की थी।

मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि ब्रिटेन के इन नियमों को भारत के विदेश मंत्रालय ने भेदभाव पूर्व बताया है, भारत ने कहा है कोविड वैक्सीन की दो डोज़ लगवा चुके लोगों को ब्रिटेन में वैक्सीनेटेड न माना जाना भेदभावपूर्ण हैऔर इसका असर भारतीयों की ब्रिटेन यात्रा पर पड़ेगा। आपको बता दें कि श्रृंगला का बयान भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर की ब्रिटेन के विदेश मंत्री लिज़ ट्रूस से मुलाकात के बाद आया है। कहा जा रहा है कि इस बातचीत में ब्रिटेन की वैक्सीन नीति पर भी चर्चा हुई। भारत के विरोध के बाद ब्रिटेन ने सफाई दी है कि वो भारत के वैक्सीन प्रोग्राम को अपने यहां मान्यता देने पर विचार कर रहा है। ऐसे में यह उम्‍मीद की जा सकती है कि यह मामला जल्‍द निपट जाना चाहिये और दोनों देशों के नागरिकों को असुविधा न झेलनी पड़े।

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