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दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्‍या है, आखिर इस दर्द की दवा क्‍या है…

-चिकित्‍सकों की हार्ट अटैक से मृत्‍यु की बढ़ती घटनाएं अत्‍यन्‍त चिंता का विषय

-‘वर्क लाइफ बैलेंसआम नागरिकों के लिए ही नहीं, डॉक्टरों के लिए भी जरूरी

 -एसजीपीजीआई के असिस्‍टेंट प्रोफेसर डॉ आकाश माथुर ने कही दिल की बात

                 डॉ आकाश माथुर

 

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। हाल ही में अनेक युवा डॉक्टरों की मौत पूरे डॉक्टर समुदाय के लिए एक रेड अलर्ट है।  नवीनतम घटना जामनगर के 41 वर्षीय ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ (स्व) गौरव गांधी की हार्ट अटैक से मृत्यु की है, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने इतनी कम उम्र में ही 16 हजार ऑपरेशन कर दिए।

पिछले कुछ समय से देखते ही देखते अनेक लोगों की मौत के पीछे कार्डियक अरेस्‍ट, दिल का दौरा जैसी वजहें सामने आयी हैं, चूंकि किसी भी बीमारी के इलाज के लिए सर्वप्रथम सबकी आशा चिकित्‍सक पर लगी होती है, ऐसे में यदि चिकित्‍सक ही इसके शिकार हो रहे हों, तो यह चिंता और भी ज्‍यादा बढ़ जाती है। संवेदनाओं के आकाश में समाधान की उड़ान भरते संजय गांधी पीजीआई के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के असिस्‍टेंट प्रोफेसर डॉ आकाश माथुर ने इस विषय पर अपने विचार साझा किये हैं। वह कहते हैं कि डॉक्टर जीवन रक्षक होते हैं और सही निदान करने, रोगियों की जान बचाने, काउंसलिंग करने तथा कई मामलों में उन्हें नवजीवन देने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। उनके पास अक्सर व्यस्त काम के घंटे होते हैं जो उन्हें खुद की देखभाल, आराम, व्यायाम, सैर, हॉबीज, रिक्रिएशन के लिए समय बहुत कम मिल पाता है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) पुणे चैप्टर के अनुसार, एक भारतीय डॉक्टर का औसत जीवनकाल 55-59 वर्ष है, जो सामान्य आबादी की तुलना में लगभग 10 वर्ष कम है, जो औसतन 69-72 वर्ष तक जीवित रह सकते हैं। डॉक्टरों की अपेक्षाकृत कम आयु में मृत्यु कार्डियक अरेस्ट, उच्च रक्तचाप, डायबिटीज और ऐसी अन्य बीमारियों के कारण हो सकती है।

डॉक्टरों के लिए प्रिस्क्रिप्शन: 

डॉ आकाश माथुर का कहना है कि डॉक्‍टरों के लिए जो प्रिस्क्रिप्‍शन होना चाहिये उसके अनुसार

  1. आप जो उपदेश देते हैं उनका खुद भी पालन करें। स्वस्थ व संतुलित आहार लें। धूम्रपान बिल्कुल नहीं करें। अल्कोहल के सेवन से बचें।
  1. व्यायाम करें, अपने लिए समय निकालें। नियमित रूप से सैर करें। संगीत सुनें। योग व मेडिटेशन को जीवन की दिनचर्या में सम्मिलित करें। योग और प्राणायाम भी हृदय को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। शारीरिक गतिविधि के छोटे कार्य भी हृदय को लाभ प्रदान करते हैं, जैसे दिन में कई बार केवल पाँच मिनट चलने, बागवानी, हाउसकीपिंग, सीढ़ियाँ चढ़ना और कुत्ते को टहलाना जैसी गतिविधियाँ कुल मिलाकर लाभ पहुंचाती हैं।
  1. हर साल अपना ब्लड टेस्ट और हेल्थ चेकअप करवाएं। कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप, डायबिटीज के प्रति लापरवाही नहीं बरतें। अपने लक्षणों की उपेक्षा न करें।
  1. दिन में कम से कम 7-8 घंटे नींद लें। नींद का कोई विकल्प नहीं है।
  1. रुपया कमाना भी आवश्यक है लेकिन यह जिंदगी से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है और एक समय के बाद धन की सीमांत उपयोगिता शून्य हो जाती है। धन अर्जित करने और इसे संग्रहित करने में बहुत जल्दबाजी न करें धैर्य रखें। छुट्टियां लें, परिवार के साथ समय व्यतीत करें।हमसे बेहतर यह कौन समझ सकता है कि स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है।

6.संतुलित ‘वर्क लाइफ बैलेंस’ हृदय को ही नहीं संपूर्ण शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भी आवश्यक है। उचित समय  प्रबंधन, कार्य के विकेंद्रीकरण, निर्धारित समय सीमा से अधिक कार्य नहीं करने के साथ-साथ स्वास्थ्य, मनोरंजन और परिवार के लिए उचित व पर्याप्त समय निकालकर हम स्वस्थ रहने के साथ-साथ ऊर्जावान व प्रफुल्लित भी रह सकते हैं।

डॉ माथुर कहते हैं कि पूरे देश का स्वास्थ्य हम पर निर्भर करता है, लेकिन उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, सबसे पहले, हमें स्वस्थ रहने की आवश्यकता है। जैसा कि  हवाई जहाज की सुरक्षा ब्रीफिंग में एयर होस्टेस कहती हैं:  “हमें दूसरों की मदद करने से पहले अपने स्वयं के ऑक्सीजन मास्क लगाना सुनिश्चित करना चाहिए।”

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