-विश्व श्रवण दिवस 2024 के उपलक्ष्य में आयोजित हुआ “चौथा सुनो सुनाओ” जागरूकता कार्यक्रम
सेहत टाइम्स
लखनऊ। विश्व श्रवण दिवस 2024 के उपलक्ष्य में संजय गाँधी पीजीआई, लखनऊ की न्यूरो-ओटोलॉजी इकाई ने आज 1 मार्च को जन जागरूकता कार्यक्रम के चौथे संस्करण का आयोजन किया, जिसे “चौथा सुनो सुनाओ” नाम दिया गया। डॉ अमित केशरी और डॉ एम रवि शंकर के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में 80 मरीजों की सुनने की क्षमता की निःशुल्क जांच की गई, तथा 36 मरीजों को निःशुल्क डिजिटल श्रवण यंत्र ( डिजिटल प्रोग्रामेबल हियरिंग एड) वितरित किये गए, इनमें 6 बच्चे भी शामिल हैं। ये हियरिंग एड लोगों को व्यक्तिगत अनुकूलित फिटिंग करके दिए गए।
बच्चों को सुनने की समस्या हो तो शीघ्र शुरू करें उपचार
इस मौके पर संस्थान के निदेशक प्रो आरके धीमन ने बचपन के बहरेपन और श्रवण हानि के शीघ्र निदान और समग्र विकास के लिए बच्चों में शीघ्र हस्तक्षेप के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बचपन में बहरेपन के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए समुदाय, पैरामेडिकल स्टाफ और डॉक्टरों की भागीदारी पर जोर दिया। उन्होंने पिछले 5 वर्षों से विश्व श्रवण दिवस पर जागरूकता बढ़ाने और अनूठे कार्यक्रम आयोजित करने के लिए संपूर्ण न्यूरो-ओटोलॉजी टीम द्वारा किए गए महत्वपूर्ण प्रयासों की सराहना की।
मनाया गया 500 कॉक्लियर प्रत्यारोपण का जश्न भी
कार्यक्रम के आयोजक डॉ अमित केशरी ने बताया कि विश्व श्रवण दिवस 2024 का मुख्य फोकस “बदलती मानसिकता: आइए कान और सुनने की देखभाल को सभी के लिए वास्तविकता बनाएं!” था। यह विषय सामाजिक गलत धारणाओं और श्रवण हानि के प्रति कलंकित मानसिकता से उत्पन्न चुनौतियों पर काबू पाने पर केंद्रित है।
डॉ केशरी ने बताया कि इस मौके पर न्यूरो-ओटोलॉजी यूनिट (सर्जिकल टीम, ओटी टीम, ऑडियोलॉजी टीम और ओपीडी टीम) द्वारा अब तक किए गए 500 कॉक्लियर प्रत्यारोपण का जश्न भी मनाया गया। उन्होंने बताया कि श्रवण हानि से पीड़ित वंचित बच्चों और वयस्कों के लिए श्रवण सहायता दान अभियान शुरू किया गया था।
डिमेंशिया पर भी पड़ता है बुरा असर
कार्यक्रम में न्यूरोसर्जरी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर ए.के.जायसवाल ने श्रवण हानि के महत्व और बुजुर्ग आबादी पर डिमेंशिया पर इसके बुरे प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ऐसे लोग जो कम सुनने के कारण समाज से कट जाते हैं, उन्हें श्रवण यंत्रों से समग्र स्वास्थ्य में लाभ होगा।
डॉ. अमित केशरी और डॉ. रवि शंकर न्यूरो-ओटोलॉजी ने श्रवण हानि की रोकथाम, शीघ्र निदान और शीघ्र हस्तक्षेप के बारे में जागरूकता बढ़ाई और श्रवण हानि के बारे में गलत धारणा और कलंक को तोड़ने पर जोर दिया। डॉ अमित केशरी ने कहा कि इस मौके पर मैं प्रकृति भारती संस्था की सराहना करना चाहता हूँ जिसने लोगों में जागरूकता जगाने के लिए बीते रविवार 25 फरवरी को मोहनलालगंज में स्क्रीनिंग कैंप आयोजित किया था, इस कैंप में चिन्हित मरीजों की ऑडिओमेट्री जांच आज यहाँ पीजीआई में की गयी।
प्रकृति भारती की भी की सराहना
इस बारे में प्रकृति भारती के चिकित्सा प्रकोष्ठ के संयोजक डॉ पीके गुप्ता ने बताया कि प्रकृति भारती द्वारा दो वर्षों से रविवार को स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि रविवार को हुए कैंप में डॉ अमित केशरी के साथ डॉ. (प्रो.) कर्नल एस. सबलोक (जनरल सर्जरी), डॉ. विजय कुमार दुबे (एनेस्थीसिया) द्वारा मरीजों की स्क्रीनिंग की गयी। उन्होंने बताया कि शिविरों में डॉ. आंचल केशरी (प्रसूति एवं स्त्री रोग) सुशील जी (वकील) का भी बराबर सहयोग प्राप्त होता रहता है। उन्होंने सहयोग के लिए सभी आभार जताया। उन्होने बताया कि जो जरूरतमंद मरीज किसी कारणवश एसजीपीजीआई नहीं पहुंच सके, उन्हें आगामी 3 मार्च को रविवार ओपीडी में प्रकृति भारती केंद्र पर श्रवण यंत्र वितरित किए जाएंगे।