-प्राचीनतम ऐशबाग रामलीला समिति इस बार ऑनलाइन मना रही रामोत्सव
लखनऊ। भारत की सबसे प्राचीनतम रामलीला समिति, श्रीराम लीला समिति ऐशबाग लखनऊ के तत्वावधान में रामलीला मैदान के तुलसी सभागार में कोविड-19 के कारण लाइव ऑनलाइन चल रहे रामोत्सव-2020 के दूसरे दिन आज हुई विश्वामित्र का जनकपुरी आगमन, धनुषयज्ञ, सीता स्वयंवर और राम-सीता विवाह लीला ने दर्शकों का मन मोहा। ज्ञात हो इस बार कोविड महामारी के चलते रामलीला का आयोजन ऑनलाइन किया जा रहा है।
आज की रामलीला के पूर्व नृत्य धाम एकेडमी के कलाकारों प्रज्ञा, दक्ष और विदुषी ने निशी मिश्रा के निर्देशन में गणेश पंचाक्षर स्त्रोत पर नृत्य प्रस्तुत कर विघ्न विनाशक के चरणों में अपनी अगाध श्रद्धा अर्पित की। इसी क्रम में आरोही ने शिव स्तुति, आरना, मिशिका, भूमि, तान्या अंशिका, दक्षिता और विदुषी ने भो-शम्भू पर भावपूर्ण नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को भगवान शिव शंकर के शान्त व रौद्र रूप के दर्शन करवाये। इसी क्रम में दुर्गा स्तुति और हनुमान चालीसा की नृत्यवत मनोरम प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोहा। भक्ति भावना से ओतप्रोत इस प्रस्तुति के उपरान्त स्वाति श्रीवास्तव का स्तुति नृत्य दर्शकों के लिए हृदयग्राही बना।
आज की लाइव ऑनलाइन आरम्भ हुई रामलीला की शुरुआत विश्वामित्र का जनकपुरी आगमन लीला से हुई। इस प्रसंग में गुरू विश्वामित्र को राजा जनक की ओर से सीता स्वयंवर के लिए वहां उपस्थित होने के लिए आमंत्रण आता है, जिसके कारण विश्वामित्र, राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रोहन को लेकर राजा जनक के यहां पहुंचते हैं।
मन को मोह लेने वाली इस प्रस्तुति के उपरान्त धनुषयज्ञ, सीता स्वयंवर और राम-सीता विवाह लीला हुई। इन प्रसंगों में राजा जनक ने एक दिन अपने कक्ष में देखा कि भगवान शिव के धनुष का स्थान पूर्व स्थान के अन्यत्र हो गया है, जिसके बारे में उन्हें अवगत कराया गया कि यह सब सीता ने किया है, उसी समय उन्होंने प्रण किया कि भगवान शिव के धनुष को जो भी शूरवीर तोड़ेगा, उसी के साथ सीता का विवाह किया जायेगा। इस बात की घोषणा होते ही जनकपुरी में सुदूरवर्ती क्षेत्रों से राजकुमार और कई राजाओं ने भाग लिया। सीता स्वयंवर के दिन अनेक राजकुमारों और राजाओं ने भगवान शिव के धनुष को उठाने का साहसिक प्रयास किया, लेकिन सभी अपने प्रयास में असफल रहे और अंत में यह देखकर राजा जनक दुःखी हो गए कि सीता का विवाह नहीं हो पायेगा। गुरु विश्वामित्र ने जनक की मनोदशा को भांप कर राम को आज्ञा दी कि वह भगवान शिव के धनुष को तोड़कर राजा जनक की मंशा को पूरा करें। गुरु की आज्ञा पाकर राम ने धनुष को उठाकर उसकी प्रत्यंचा जैसे ही चढ़ाई, धनुष टूट गया, यह देखकर सभी हतप्रभ रह गए कि यह कैसे हो गया। इस दौरान परशुराम पहुंचते हैं, और लक्ष्मण के साथ उनका तीखा संवाद होता है, तभी उनको पता चलता है कि यह राम नहीं, भगवान विष्णु स्वयं राम के रूप में हैं। धनुष टूटने के उपरान्त सीता के विवाह की तैयारी शुरू होती है और सीता, राम के गले में जयमाल डालती हैं, तो आकाश से सभी देवता उन दोनों पर पुष्पवर्षा करते है, इसी दृश्य के साथ आज की रामलीला का समापन होता है।
रामोत्सव-2020 के द्वितीय संध्या का अगला आकर्षण रहा अमृतयान कवि गोष्ठी, जिसमें डा. अशोक अज्ञानी, मनीष मगन, शुभेन्द्र सिंह, सौम्या तिवारी, अनिल वर्मा, प्रतिभा गुप्ता, अरविंद झा, राजेन्द्र विश्वकर्मा, सुमन सुरभि, नीलम रावत, आजम फैजाबादी और मित्र विपुल ने अपनी कविताओं से श्रोताओं में भक्ति भावना जागृत की। इस अवसर पर श्री राम लीला समिति ऐशबाग के अध्यक्ष हरीशचन्द्र अग्रवाल, सचिव पं0 आदित्य द्विवेदी, प्रमोद अग्रवाल, सर्वेश अस्थाना, रामोत्सव नृत्य नाटिका के संयोजक मयंक रंजन उपस्थित रहे।