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कोरोना के ऑनलाइन टेस्‍ट पर दिल्‍ली हाईकोर्ट का आईसीएमआर को बड़ा आदेश

-ऑनलाइन हेल्‍थ सर्विस एग्रीगेटर्स के लिए एक सप्‍ताह में मानक तय कर अपनी वेबसाइट पर करें प्रकाशित  

डॉ रोहित जैन

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ/जयपुर। दिल्ली हाईकोर्ट ने ऑनलाइन हेल्‍थ सर्विस एग्रीगेटर्स यानी (ऐसी कंपनियां, जो कोरोना की ऑनलाइन जांच करने का दावा करती हैं) के द्वारा किए जा रहे टेस्ट की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए इन कंपनियों द्वारा सैंपल कलेक्शन करने, उन्हें स्टोरेज करने और टेस्ट करने की प्रक्रिया को लेकर एक मानक निर्धारण करने के आदेश इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च आईसीएमआर को दिए हैं। हाईकोर्ट ने कहा है कि आईसीएमआर एक हफ्ते के अंदर मानकों को तय करके अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करे।

न्यायालय ने यह आदेश जयपुर के रहने वाले डॉ रोहित जैन द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किए हैं। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि दिल्ली सरकार द्वारा कोरोना जांच का दावा करने वाली ऑनलाइन कंपनियों की निगरानी रखने और उनके द्वारा किए जाने वाले टेस्ट की गुणवत्ता की जांच के लिए किसी प्रकार के कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि‍ ऑनलाइन हेल्‍थ सर्विस एग्रीगेटर दिल्ली की परी सीमा से बाहर स्थित हैं लेकिन वह दिल्ली के भीतर बिना किसी संस्था या विभाग की निगरानी के कार्य कर रही हैं। याचिकाकर्ता का यह भी कहना था कि आईसीएमआर ने भी ऐसी किसी कंपनी को कोरोना की जांच की मान्यता नहीं दी थी।

याचिकाकर्ता का कहना है कि चूंकि जांच करने वाली इन कंपनियों को आईसीएमआर या एनएबीएल ने प्रमाणित नहीं किया है इस वजह से यह पता लगा नहीं लगाया जा सकता है कि कोरोना के सैंपल किसी प्रशिक्षित और योग्य व्यक्ति द्वारा ही लिये जा रहे हैं अथवा नहीं। इसी प्रकार सैंपल का कलेक्शन करने के बाद उसके स्टोरेज की सही व्यवस्था है या नहीं, सही समय पर उन्हें लैब में पहुंचाया जाता है या नहीं और टेस्ट किसी प्रशिक्षित या योग्य व्यक्ति की निगरानी में होता है और टेस्ट की रिपोर्ट सही समय पर प्रभावित व्यक्ति तक पहुंच पाती है अथवा नहीं।

दिल्ली हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि यह कंपनियां कैसे सैंपल लेती हैं, कैसे टेस्ट करती हैं और इन कंपनियों के पास टेस्ट करने के लिए पर्याप्त प्रशिक्षित या शिक्षित लोग हैं अथवा नहीं, इसका सही जवाब कहीं से भी नहीं मिलता है, ऐसी स्थिति में हाईकोर्ट ने आईसीएमआर को इनके मानक तय करने का आदेश देते हुए उसे ऐ हफ्ते के भीतर अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने के आदेश दिए हैं।

याचिकाकर्ता के वकील शशांक देव सुधि का कहना है कि कि दरअसल ऑनलाइन हेल्‍थ सर्विस एग्रीगेटर के संचालन का निरीक्षण करने के लिए कोई स्पष्ट कानून नहीं है उन्होंने कहा है कि हालांकि स्वास्थ्य राज्यों का विषय है लेकिन राज्यों का इस विषय में यह कहना है कि कोरोना वायरस के दौरान डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट लागू किया गया था इसलिए स्वास्थ्य से संबंधित नीतियों पर केंद्र सरकार का नियंत्रण है। सभी सरकारें और विभाग एक दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं।

याचिकाकर्ता के वकील का यह भी कहना है कि इस मामले की सुनवाई के दौरान पूछा गया था कि किस ऑनलाइन हेल्‍थ सर्विस एग्रीगेटर के खिलाफ किसी भी राज्य में कोई कार्रवाई की गई थी और इस कार्रवाई की क्या कोई एक्शन रिपोर्ट दर्ज की गई है,  तब सरकार ने सभी राज्यों से इन कंपनियों के खिलाफ की गई कार्यवाही की रिपोर्ट भी मांगी थी लेकिन आश्चर्यजनक बात यह है कि किसी भी राज्य में किसी भी ऑनलाइन हेल्‍थ सर्विस एग्रीगेटर्स के खिलाफ कार्यवाही नहीं की गई थी। उनका कहना है कि आईसीएमआर और एनएबीएल जैसी संस्थाएं केवल मेडिकल लैब द्वारा लिए जा रहे टेस्ट को ही प्रमाणित करती हैं उनके पास किसी लैब के खिलाफ कार्रवाई करने के कोई अधिकार नहीं है यह अधिकार केवल राज्य केंद्र सरकार के पास हैं।

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