-राजभवन में अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक को सीपीआर सिखाते हुए जागरूक किया एसजीपीजीआई के प्रो आदित्य कपूर ने
सेहत टाइम्स
लखनऊ। जिम में कसरत करते-करते अचानक गिरे और मौत…, भाषण देते-देते गिर गये, मौत…, नाटक का मंचन करते-करते अचानक गिर पड़े और सांसें थम गयीं…, ये और इससे मिलती-जुलती स्थितियों में होने वाली मौतों के बारे में समाचार में सुनायी पड़ता रहता है, भारत में हर साल लगभग 8-10 लाख लोग अचानक हृदय गति रुकने Sudden Cardiac Arrest के कारण अपनी जान गंवाते हैं, यह वह स्थिति होती है जब हार्ट में जारी इलेक्ट्रिकल करंट बाधित होने पर मरीज का दिल अचानक धड़कना बंद हो जाता है, परिणामस्वरूप मरीज अचानक कहीं भी बेहोश होकर गिर जाता है। यह किसी को भी, कभी भी, कहीं भी हो सकता है। ऐसे मरीजों को आम जनता के लोगों द्वारा बचाया जा सकता है, लेकिन सार्वजनिक जागरूकता और जानकारी की कमी के कारण 95% पीड़ित नहीं बच पाते हैं। यदि आम जनता को कार्डियो-पल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) करना सिखाया जाए, तो वे ऐसे रोगियों का जीवन बचाने में मदद कर सकते हैं। सीपीआर एक सरल जीवनरक्षक कौशल है और इसे आसानी से सीखा जा सकता है, सीपीआर से रोगी को तब तक कुछ महत्वपूर्ण अतिरिक्त मिनट मिल सकते हैं जब तक कि डॉक्टरी सहायता न मिले। जीवनरक्षक उपायों को शुरू करने में प्रत्येक 1 मिनट की देरी पीड़ित की बचने की संभावना को 10% तक कम कर देती है।
जीवन बचाने की यह महत्वपूर्ण जानकारी 17 अक्टूबर को राजभवन में ‘‘सडन कार्डियक अरेस्ट‘‘ के सम्बन्ध में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से एक आयोजित कार्यशाला में संजय गांधी पीजीआई लखनऊ के कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ आदित्य कपूर ने दी। कार्यशाला में डॉ कपूर एवं उनकी टीम ने राजभवन के कर्मचारियों एवं अधिकारियों को पुतले और पीपीटी व वीडियो के माध्यम से सीपीआर प्रक्रिया करने का तरीका भी सिखाया। सीपीआर से उपचार वह प्रक्रिया है जिसमें मरीज के सीने पर दोनों हाथों से विशेष प्रकार से दबाया जाता है, इस प्रक्रिया को कोई भी व्यक्ति, जिसने सीपीआर का प्रशिक्षण लिया हो, कर सकता है।
डॉ कपूर ने अचानक हृदय गति रुकने की पहचान करना सिखाने के साथ ही जीवनरक्षक उपकरण जिसे ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर (AED) या शॉक मशीन कहा जाता है, का उपयोग करने की जानकारी दी। श्रोताओं ने उत्साहपूर्वक सीपीआर करने का अभ्यास किया, कार्यशाला का समापन प्रश्न-उत्तर सत्र के साथ हुआ। इस अवसर पर आपातकालीन परिस्थितियों में पीड़ितों की तत्काल सहायता से सम्बन्धित गुड समैरिटन लॉ व अन्य कानूनी प्रावधानों की भी चर्चा की गई। डॉ0 कपूर ने अपने प्रस्तुतिकरण के माध्यम से उपस्थित लोगों को बताया कि समय पर सही जानकारी और त्वरित कार्यवाही कितनी महत्वपूर्ण होती है। कार्यशाला में उपस्थित लोगों ने इस संदर्भ में व्यवहारिक अभ्यास भी किया, जिससे उन्हें आवश्यक कौशल सीखने का अवसर मिला।
डॉ कपूर ने बताया कि कार्डियक अरेस्ट के अलावा दूसरी स्थिति होती है हार्ट अटैक, इसमें हृदय की धमनियों में खून का प्रवाह कम हो जाता है जिससे सीने में दर्द होता है, पसीना आता है। हार्ट अटैक होने पर तत्काल गोल्डेन आवर पीरियड में मरीज को डॉक्टर के पास पहुंचाना चाहिये, जिससे उसे जल्द से जल्द इलाज मिल सके। इन दोनों स्थितियों में कार्डियक अरेस्ट की स्थिति ज्यादा खतरनाक कही जा सकती है, क्योंकि इसमें यदि मरीज के बेहोश होते ही प्राथमिक उपचार के रूप में अगर उसे सीपीआर नहीं दिया गया तो कुछ ही मिनटों में उसकी मृत्यु हो सकती है। डॉ कपूर का कहना था कि सीपीआर सीखकर हम उन क्षणों में पहले उत्तरदाता बन सकते हैं जब हर सेकंड महत्वपूर्ण होता है। आपात स्थिति में एक सक्रिय दृष्टिकोण के माध्यम से, हम साधारण लोगों को असाधारण नायकों में बदल सकते हैं।
आज के आयोजन में अपर मुख्य सचिव राज्यपाल डॉ0 सुधीर महादेव बोबडे, विशेष कार्याधिकारी शिक्षा डॉ0 पंकज एल जानी, विशेष सचिव राज्यपाल श्रीप्रकाश गुप्ता समेत राजभवन के समस्त अधिकारी व कर्मचारीगणों की उपस्थिति रही।