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आईएमए यूपी के नये अध्‍यक्ष डॉ एएम खान की ताजपोशी, शेर के जरिये बयां किया डॉक्‍टरों का दर्द

नये सचिव डॉ जयंत शर्मा ने उठाया पीसीपीएनडीटी एक्‍ट की वैधता पर सवाल

 

लखनऊ। ‘उनको छुट्टी न मिली जिसने सबक याद किया…’ उत्‍तर प्रदेश की सरकार से यह शिकवा, यह दर्द है इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का, जिसे एसोसिएशन की उत्‍तर प्रदेश शाखा के नये अध्‍यक्ष डॉ एएम खान ने अपनी ताजपोशी के बाद पहली बार प्रेस से मुखातिब होने के मौके पर बयां किया। डॉ खान ने कहा कि प्राइवेट डॉक्‍टर को नर्सिंग होम चलाने के लिए एक-दो नहीं 24 लाइसेंस लेने पड़ते हैं, 75 से 80 प्रतिशत जनता का इलाज प्राइवेट क्षेत्र में होता है, क्‍योंकि सरकारी अस्‍पतालों में जबरदस्‍त भीड़ है। पल्‍स पोलियो जैसे अभियान आईएमए की देन हैं, अब भी टीबी हटाने की जिम्‍मेदारी आईएमए को ही सरकार ने सौंप दी है, फि‍र भी प्राइवेट डॉक्‍टरों पर ही शासन-प्रशासन का डंडा चलता है, अलग-अलग तरीके के नियम-कानून बनाकर उनकी आड़ में दबाव बनाने की कोशिश की जाती है, अकेले लखनऊ में ही करीब 400 नर्सिंग होम सीएमओ ऑफि‍स में पंजीकृत हैं जबकि इससे दोगुने बिना लाइसेंस वाले अस्‍पताल राजधानी के ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे हैं, लेकिन उन्‍हें बंद करने को लेकर कोई कारगर कार्रवाई नहीं की जाती है।

आईएमए यूपी के अध्यक्ष डॉ एएम खान और आईएमएयूपी एएमएस के चेयरमैन डॉ सूर्यकांत।

वर्ष 2018-19 के लिए अध्‍यक्ष पद पर आसीन डॉ खान ने कहा कि हालांकि मुख्‍यमंत्री से मैं मिला था, उन्‍होंने हमारी समस्‍याओं को सुनकर हमें उसके हल के लिए आश्‍वासन दिया है, कल आईएमए के कार्यक्रम में भी सरकार के मंत्री बृजेश पाठक आये थे, उन्‍होंने भी हमारी परेशानियों को समझते हुए परेशानी से छुटकारा दिलाने का आश्‍वासन दिया हैं। यह आश्‍वासन कितना कारगर होगा इस पर तो सिर्फ विश्‍वास किया जा सकता है। उन्‍होंने आईएमए सदस्‍यों का आभार जताते हुए कहा कि 35 साल के लम्‍बे अंतराल के बाद लखनऊ के किसी सदस्‍य को एसोसिएशन के प्रदेश का अध्‍यक्ष बनने का सौभाग्‍य मिला है।

मंत्री जी ने कहा है कि कोई रिश्‍वत मांगे तो मुझे बताइये

 

प्रदेश के सचिव पद पर चुने गये डॉ जयंत शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार ने एक क्‍लीनिकल इस्‍टे‍ब्लिशमेंट एक्‍ट बनाया था जिसे सभी प्रदेश की सरकारों को लागू करना है, इसी दिशा में उत्‍तर प्रदेश सरकार भी इस ऐक्‍ट को लागू करने की तैयारी कर रही है, उन्‍होंने कहा कि इस ऐक्‍ट में बहुत खामियां हैं क्‍योंकि यह व्‍यावहारिक नहीं है। उन्‍होंने कहा कि हालांकि हम लोगों ने इसे लेकर मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ से मुलाकात की थी तथा इसकी खामियों की तरफ ध्‍यान आकृष्‍ट किया था, उन्‍होंने आश्‍वस्‍त भी किया था, शायद इसी का नतीजा है कि पता चला है कि 50 बेड तक के अस्‍पताल को इस ऐक्‍ट से बाहर कर दिया है। लेकिन उसके बाद भी पॉल्‍यूशन कंट्रोल बोर्ड से अनुमति, फायर सेफ्टी, नगर निगम से लाइसेंसिंग, सीवेज प्‍लांट (10 बेड से ज्‍यादा होने पर) जैसी अनेक औपचारिकताएं पूरी करने की शर्तें हैं, जिनकी आड़ में फीस तो फीस हर जगह ऊपरी लेनदेन की बात भी की जाती है। उन्‍होंने कहा कि हालांकि मैं उत्‍तर प्रदेश सरकार के मंत्री बृजेश पाठक का आभारी हूं कि उन्‍होंने हमारे समारोह में आकर कहा कि कोई अगर घूस मांगता है तो आप सीधे मुझे खबर करें।

 

डॉ शर्मा ने पीसीपीएनडीटी ऐक्‍ट (गर्भ में शिशु का लिंग परीक्षण पर रोक लगाने वाला एक्‍ट) पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि मुझे मालूम हुआ है कि जब भी कोई एक्‍ट बनता है तो उसे लोकसभा और राज्‍यसभा से पारित कराना पड़ता है, लेकिन पीसीपीएनडीटी एक्‍ट को दोनों सदनों से पास नहीं कराया गया है, इसलिए हमारी सरकार से अपील है कि अगर इस एक्‍ट को सदन से पारित नहीं कराया गया है तो इस अव्‍यवहारिक एक्‍ट को हटाया जाना चाहिये क्‍योंकि इसका दुरुपयोग हो रहा है। उन्‍होंने बताया कि अभी हाल ही में उत्‍तराखंड में हाई कोर्ट ने इस एक्‍ट को अवैधानिक बताते हुए इसको लागू करने पर रोक लगा दी है।

 

डॉ रुखसाना खान चला रहीं मिशन पिंक अभियान

डॉ रुखसाना खान

उन्‍होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि आईएमए सिर्फ चिकित्‍सकों की हित की बात करता है, आईएमए जनता के हितों की भी हमेशा से बात करता आया है। इस समय भी आईएमए इस तरह के कार्य कर रहा है। सरकार के किेशोरों में खून की कमी को पूरा करने के लिए कार्यक्रम मिशन पिंक को पिछले डेढ़ वर्ष से लखनऊ में चला रहीं डॉ रुखसाना खान ने बताया‍ कि इस कार्य को आईएमए बहुत ही शिद्दत से कर रहा है, इसके तहत हम किशोर-किशोरियो की समस्‍याओं को सुनकर उनका समाधान करने के लिए स्‍कूलों में जाते हैं। खून की कमी होने के लिए सबसे ज्‍यादा जिम्‍मेदार पेट के अंदर होने वाले कीड़े होते है। उन्‍होंने बताया कि हम लोग स्‍कूलों मे दो तरह की नीली व गुलाबी टेबलेट बच्‍चों को देते हैं इनमें 12 वर्ष से नीचे वाली लड़कियों को नीली तथा 12 वर्ष से ऊपर वाली लड़कियों को गुलाबी रंग की टेबलेट दी जाती है।  टेबलेट के रंग पर ही इस अभियान का नाम मिशन पिंक रखा गया है। उन्‍होंने बताया कि स्‍कूलों में इन किशोर-किशोरियों की समस्‍याएं संयुक्‍त और अलग-अलग ग्रुप में सुनकर उसका समाधान उन्‍हें बताते हैं, उन्‍होंने बताया कि मैंने महसूस किया है कि इस अभियान का काफी अच्‍छा असर हो रहा है और बच्‍चे अपनी बात खुलकर कह पा रहे हैं।

 

ऐसे में डॉक्‍टर इलाज करे तो फंसे और न करे तो फंसे

 

डॉ अनिल कपूर ने कहा कि इस एक्‍ट की एक बड़ी खामी यह है कि किसी भी डॉक्‍टर के पास अगर घायल पहुंचता है तो उसे इलाज देना ही होगा। उन्‍होंने कहा कि यह अव्‍यावहारिक है क्‍योंकि मान लीजिये एक त्‍वचा रोग विशेषज्ञ है और उसके पास दुर्घटना में घायल सिर की चोट वाले मरीज को लाया जाता है तो चूंकि वह विशेषज्ञ त्‍वचा का है तो ऐसे में चिकित्‍सक उस घायल व्‍यक्ति का इलाज नहीं करता है तो दोषी और अगर किसी तरह से प्राथमिक चिकित्‍सा देकर उसे दूसरे अस्‍पताल भेजने की तैयारी करता भी है और दुर्भाग्‍यवश उसी की क्‍लीनिक पर या थोड़ी देर बाद मरीज की मौत हो जाती है तो भी सवाल चिकित्‍सक से ही पूछा जायेगा कि आपने इस विधा के होते हुए दूसरी विधा के मरीज का इलाज क्‍यों किया, यानी दोनों तरफ से मुसीबत डॉक्‍टर की।

मेडिकल प्रोटेक्‍शन एक्‍ट पर नहीं हो रहा क्रियान्‍वयन

 डॉ एस राजू ने कहा कि इसी तरह आयुष्‍मान योजना के तहत ऑपरेशन करने के लिए पांच हजार खर्च सरकार की ओर से अनुमन्‍य है जबकि संसाधन से लेकर सारी चीजें हमारे अस्‍पताल की ओर से मैनेज की जानी है। उन्‍होंने कहा कि एक तरफ सरकार हमारे विरोधी एक्‍ट को बिना सोचे-समझे लागू करने की तैयारी कर रही है दूसरी ओर जिस मेडिकल प्रोटेक्‍शन एक्‍ट से हमारी सुरक्षा हो सकती है उसे लागू करने में कोई रुचि नहीं दिखा रही है। जबकि इसका ऑर्डर हर थाने को जा चुका है लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा्।  अक्‍सर अस्‍पतालों में तोड़-फोड़, डॉक्‍टर की पिटाई की घटनायें हो जाती हैं, ऐसे में हम लोग जब पुलिस के पास पहुंचते हैं तो वह कहती है कि हमारे पास लिखने की कोई ऐसी धारा नहीं है जिसके तहत इस तरह के मामले में रिपोर्ट दर्ज की जा सके। ऊन्‍होंने कहा कि हालांकि पिछले दिनों एक कार्यक्रम में अलीगढ़ के वरिष्‍ठ पुलिस अधीक्षक को इस बात से अवगत कराया गया तो उन्‍होंने सभी थानों को आदेश देकर इसे लागू करने को कहा था।

आईएमए यूपी के अध्यक्ष डॉ एएम खान के साथ डॉ रुखसाना और आईएमए लखनऊ के पूर्व अध्यक्ष डॉ पीके गुप्त ।

आईएमए लखनऊ के सचिव डॉ जेडी रावत ने कहा कि यह सौभाग्‍य की बात है कि जहां लखनऊ में 25 साल बाद आईएमए की प्रदेश कॉन्‍फ्रेंस हुई है वहीं प्रदेश के अध्‍यक्ष पद पर लखनऊ के डॉ एएम खान और आईएमए एएमएस (ऐकेडमिक मेडिकल स्‍पे्शियलिस्‍ट) के चेयरमैन पद पर लखनऊ आईएमए के अध्‍यक्ष डॉ सूर्यकांत को चुने जाने का मौका मिला है।  पत्रकार वार्ता में आईएमए यूपी के एएमएस के नवनिर्वाचित चेयरमैन डॉ सूर्यकांत, आईएमए लखनऊ के पूर्व अध्‍यक्ष डॉ पीके गुप्‍ता भी मौजूद थे।

 

आईएमए यूपी की नयी कार्यकारिणी

अध्‍यक्ष- डॉ एएम खान (लखनऊ)

प्रेसीडेंट इलेक्‍ट- डॉ अशोक राय (वाराणसी)

सचिव- डॉ जयंत शर्मा (अलीगढ़)

कोषाध्‍यक्ष- डॉ एसके राजू (हाथरस)

आईएमए एसोसिएशन ऑफ मेडिकल स्‍पेशियलिस्‍ट- डॉ सूर्यकांत (लखनऊ)

उपाध्‍यक्ष जोन-1 डॉ अनिल कपूर (मेरठ)

उपाध्‍यक्ष जोन-2 डॉ एचबी बिसारिया (एटा)

उपाध्‍यक्ष जोन-3 डॉ पंकज गुलाटी (कानपुर)

उपाध्‍यक्ष जोन-4 डॉ आरपी त्रिपाठी  (गोरखपुर)