-मास्क को लेकर लोगों में फैली गलतफहमियां दूर की गयीं
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। कोरोना वायरस से बचाव को लेकर लोगों में मास्क लेने की होड़ भी मची हुई है, इसके बारे में केजीएमयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो अमिता जैन ने बताया कि एन-95 मास्क की जरूरत सिर्फ हेल्थ वर्कर को है जो सैम्पल कलेक्ट कर रहा है, तथा उसे और जो लैब में टेस्ट कर रहा है, बाकी किसी को भी एन-95 मास्क की जरूरत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि दरअसल एन-95 मास्क जिसे कहा जाता है वह मास्क नहीं है बल्कि वह रेस्पिरेटर है।
उन्होंने बताया कि एन-95 मास्क ऐसा होता है जिसे इतना चिपका कर लगाया जाता है कि चारों तरफ से कहीं से हवा न जा पाये, क्योंकि अगर साइड से हवा चली गयी तो मास्क लगाने से क्या फायदा। इसीलिए यदि आप अगर आधा घंटा यह मास्क पहन लें तो आपको चक्कर आ जायेगा, क्योंकि उसमें 95 प्रतिशत ऑक्सीजन नहीं जा रही है, सिर्फ पांच प्रतिशत ऑक्सीजन ही जा रही है, यानी आपको जितनी ऑक्सीजन चाहिये उसकी पांच प्रतिशत ही ऑक्सीजन मिलती है।
डॉ अमिता ने बताया कि दूसरी बात अगर आप मरीज हैं या मरीज के केयर टेकर हैं तो आपको ट्रिपल लेअर मास्क (यानी कपड़े की तीन परत) की जरूरत है क्योंकि वह ड्रॉपलेट्स को अंदर नहीं जाने देगा। उन्होंने बताया कि मास्क लगाना फैशन नहीं है, इस ट्रिपल लेअर मास्क भी लगाने की वाकई जरूरत सिर्फ दो लोगों को है मरीज को और मरीज की देखभाल करने वाले व्यक्ति को। क्योंकि अगर आप सड़क पर मास्क लगाये जा रहे हैं तो मास्क की बाहरी सतह पर इतना संक्रमण जमा हो जाता है कि यदि आपने वहां हाथ लगा लिया तो आप ज्यादा एक्सपोज होंगे। उन्होंने बताया कि अगर यह मास्क लगा भी लिया है तो उसे साइड से पकड़कर उतारें, यह सिंगल यूज होता है तथा इसे ऐसे ही कूड़े में नहीं फेंकना है, इसे पहले साबुन के पानी में करिये, उबालिये, एक प्रतिशत ब्लीच सॉल्यूशन में डालिये। साबुन के सॉल्यूशन में दो-तीन घंटे डालकर रख दीजिये, उसके बाद उसे साधारण कूड़े की तरह फेंक दें। उन्होंने बताया कि साबुन से हाथ धोना मास्क से ज्यादा जरूरी है, क्योंकि आपको पता नहीं है कि बाहर आपने क्या छुआ है।