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प्रदूषण को रोकने में दें योगदान, अपनी सेहत पर भी दें ध्‍यान

-विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य दिवस पर केजीएमयू के रेस्‍परेटरी मेडिसिन विभाग में आयोजित किया गया जागरूकता कार्यक्रम

सेहत टाइम्‍स
लखनऊ।
प्रदूषित वातावरण के साथ-साथ अस्वास्थ्यकर जीवनशैली, व्यायाम व योग की कमी और फास्ट फूड का सेवन भी खराब स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार है। हमें चाहिये कि प्रदूषण फैलाने से रोकने में जो भी योगदान हम दे सकते हैं, दें तथा प्रतिदिन अपनी सेहत के लिए कुछ समय जरूर निकालें जिसमें योग, व्‍यायाम जैसे स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक कदम उठायें तथा अपने खानपान पर ध्‍यान दें।

यह सलाह आज वर्ल्‍ड हेल्‍थ डे के अवसर पर केजीएमयू में रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के रोगियों व तीमारदारों को अच्छे स्वास्थ्य के बारे में विस्तार पूर्वक बताते हुए विभागाध्यक्ष डा0 सूर्यकान्त ने दी। डॉ सूर्यकान्‍त, जो आई.एम.ए-ए.एम.एस (आई.एम.ए.-एकेडमी ऑफ मेडिकल स्पेशलिटीज) के राष्ट्रीय वॉयस चेयरमैन भी हैं, ने लोगों को जागरूक करते हुए कहा कि हम अधिकाधिक वृक्षारोपण, धूम्रपान/तंबाकू/नशीले पदार्थो के सेवन की लत से दूर रहना, सार्वजनिक परिवहन का अधिक उपयोग करना एवं परिवहन के लिए पर्यावरण के अनुकूल ईंधन का उपयोग करना, पैदल चलना और साइकिल चलाना, भोजन बनाने के लिए स्वच्छ ईंधन का उपयोग करना, प्लास्टिक का उपयोग न करना, स्वस्थ जीवन शैली, पारंपरिक भोजन, योग और व्यायाम, के द्वारा हम पृथ्वी और अपने स्वास्थ्य को उत्तम बनाये रख सकते हैं।

आपको बता दें कि रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग अपना 75 वां स्थापना वर्ष (प्लेटिनम जुबली स्थापना वर्ष) मना रहा है। 75 वीं वर्षगॉठ में विभाग विभिन्न प्रकार के 75 आयोजन कर रहा है। इसी क्रम में आज के प्रोग्राम के अवसर पर विभाग के चिकित्सकगण डा0 एस के वर्मा, डा0 आर.ए.एस. कुशवाहा, डा0 संतोष कुमार, डा0 राजीव गर्ग, डा0 अजय कुमार वर्मा, डा0 ज्योति बाजपेई, डा0 अंकित कुमार, रेजिडेन्ट डाक्टर्स एवं विभाग के सभी सदस्य गण मौजूद रहे।

आज के विशेष दिन के बारे में बताते हुए डॉ सूर्यकान्‍त ने कहा कि “विश्व स्वास्थ्य संगठन“ प्रतिवर्ष 7 अप्रैल को अपने स्थापना दिवस को विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाता है। स्वास्थ्य के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और डॉक्टरों के योगदान को चिन्हित करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है- “हमारा प्लेनेट हमारा स्वास्थ्य“। जिसका लक्ष्य है हमारे ग्रह पृथ्वी पर रहने वाले सभी मनुष्यों के अच्छे स्वास्थ्य की ओर सम्पूर्ण विश्व का ध्यान आकर्षित करना।

उन्‍होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रति वर्ष दुनिया भर में लगभग 1.3 करोड़ लोगों की मौतें पर्यावरणीय कारणों से हो जाती हैं, जबकि इनसे पूरी तरह से बचा जा सकता है। इसके लिए ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु संकट, वायु प्रदूषण मुख्य रूप से कारक हैं, जो मानव जाति के लिए एक बहुत बड़ा स्वास्थ्य से जुड़ा खतरा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सन् 1948 में पहली विश्व स्वास्थ्य सभा का आयोजन जिनेवा में किया था, जिसमें वर्ल्‍ड हेल्थ डे की स्थापना का संकल्प लिया गया था। पहला विश्व स्वास्थ्य दिवस 7 अप्रैल 1950 को आयोजित किया गया था। फिर इसके बाद से प्रत्येक वर्ष इसी तिथि को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। हर वर्ष एक विशेष स्वास्थ्य विषय (थीम) को चुना जाता है और पूरी दुनिया में लोगों को उसके प्रति जागरूक किया जाता है।

सभी देशों को समझनी होगी जिम्‍मेदारी, निभाना होगा कर्तव्‍य

कानपुर में आयोजित सेमिनार को सम्‍बोधित करते प्रो सूर्यकान्‍त

प्रो सूर्यकान्‍त ने इस विशेष दिवस पर शाम को कानपुर में आईएमए एएमएस द्वारा आयोजित एक सेमिनार में भी हिस्‍सा लेते हुए कहा कि बढ़ते ग्‍लोबल वार्मिंग से सभी को मिलकर निपटना होगा। उन्‍होंने कहा कि बढ़ते ग्‍लोबल वार्मिंग से वातावरण में गर्मी बढ़ रही है। इसका प्रत्‍यक्ष उदाहरण इस वर्ष पड़ रही गर्मी है। पिछले मार्च महीने में जिस तरह पारा चढ़ा रहा है, यह संदेश साफ है कि हमें इस दिशा में कुछ सार्थक कर दिखाने का समय आ गया है।


प्रो सूर्यकान्‍त ने कहा कि वातावरण की गर्मी को बढ़ाने वाले कारणों पर सभी देशों को कार्य करना होगा, क्‍योंकि यह समस्‍या विश्‍वव्‍यापी है। जिस तरह से कोरोना ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लिया तो सभी देशों ने अपने-अपने स्‍तर से कोरोना से निपटने के प्रयास किये, ऐसे ही सामूहिक प्रयास की जरूरत प्रदूषण को कम कर वातावरण को फ्रेंडली बनाने के लिए करने होंगे।

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