Monday , May 19 2025

वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों के लिए खाद-पानी का काम करेगा सरकार का यह निर्णय

-उत्तर प्रदेश के सभी मंडलों में एकीकृत आयुष महाविद्यालय गठन का निर्णय स्वागतयोग्य : डॉ गिरीश गुप्ता

डॉ गिरीश गुप्ता

सेहत टाइम्स

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के प्रत्येक मंडल में एकीकृत आयुष महाविद्यालय बनाए जाने की घोषणा पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ गिरीश गुप्ता ने इसे स्वागत योग्य निर्णय बताया है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद भी वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों को मुख्य धारा में लाने के लिए विशेष प्रयास नहीं हुए, पिछले कुछ वर्षों से केंद्र व राज्य सरकार द्वारा आयुष विधाओं को जन सामान्य के बीच पॉपुलर बनाए जाने के उद्देश्य से उठाए जा रहे कदमों के बीच यह निर्णय आयुष विधाओं को वैकल्पिक उपचार के रूप में प्रस्तुत करने में सहायक सिद्ध होगा। ज्ञात हो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो दिन पूर्व 17 मई को आयुष विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में निर्देश दिया है कि प्रदेश के प्रत्येक मण्डल में एक इंटीग्रेटेड आयुष महाविद्यालय की स्थापना सुनिश्चित की जाए, जिसमें आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी समेत आयुष की सभी पद्धतियों को एक ही परिसर में उपलब्ध कराया जाए।

डॉ गिरीश ने कहा कि यह सत्य है कि आज ऐलोपैथी के बिना सम्पूर्ण उपचार की बात सोची भी नहीं जा सकती है, लेकिन यह भी सही है कि होम्योपैथी में ऐसे-ऐसे जटिल रोगों के इलाज संभव है जिन्हें मॉडर्न मेडिसिन में लाइलाज कहा जाता है, यहां तक कि शरीर के विभिन्न भागों में सिस्ट, फाइब्रॉयड जैसे विकार भी बिना सर्जरी के जड़ से ठीक हो जाते हैं। ये सभी इलाज वैज्ञानिक प्रमाण के साथ उपलब्ध हैं। होम्योपैथिक दवाओं से इलाज अपेक्षाकृत काफी सस्ता भी होता है।

ज्ञात हो बीते चार दशकों से होम्योपैथी के प्रति अपने समर्पण की अवधि में डॉ गिरीश गुप्ता ने अपने निजी सेंटर गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च पर स्त्री रोगों, त्वचा रोगों, किडनी रोगों सहित अनेक प्रकार के रोगों के इलाज पर रिसर्च/स्टडी की हैं, इन पेपर्स का राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशन हो चुका है। डॉ गिरीश ने होम्योपैथिक चिकित्सकों का आह्वान किया कि डॉ सैमुअल हैनिमैन द्वारा प्रतिपादित इस पैथी के प्रचार-प्रसार में अपना योगदान दें, तथा अपने कार्य से आम और खास के मन में होम्योपैथिक के प्रति विश्वास पैदा करें, वैज्ञानिक प्रमाण के इस दौर में अपने इलाज से संबंधी आंकड़े और मरीजों की इलाज से पहले और ठीक होने के बाद की रोग के अनुसार जांचों की रिपोर्ट का रखरखाव करें जिससे किसी भी राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय मंच पर होम्योपैथी पर उंगली उठाने वालों को जवाब ये रिकॉर्ड दें।

डॉ गिरीश का कहना है कि होम्योपैथी हो, आयुर्वेद हो या यूनानी, इनके लिए सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं में भेदभाव नहीं करना चाहिये। उन्होंने कहा​ कि लोकप्रियता में भारत में भले ही एलोपैथी के बाद दूसरे नम्बर पर आयुर्वेद है लेकिन विश्व की बात करें तो ऐलोपैथी के बाद दूसरे नम्बर पर होम्योपैथी है। उन्होंने बताया कि डॉक्टरी की पढ़ाई में भारत में आयुर्वेद के प्रति रुझान की बड़ी वजह आयुर्वेद दवाओं के साथ ऐलोपैथिक दवाओं को देने की छूट होना है। उन्होंनें कहा कि मेरे विचार से जिस विधा की पढ़ाई नहीं की है उसकी दवाओं को लेने की सलाह मरीजों को देना प्रतिबंधित होना चाहिये। आयुष की सभी विधाओं के चिकित्सकों को आपस में समन्वय बनाये रखते हुए अपनी-अपनी विधा के गुणों से लोगों को स्वस्थ बनाये रखने में अपना योगदान देना चाहिये, यही योग्यता का सच्चा पैमाना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.