-संजय गांधी पीजीआई में विश्व गुर्दा दिवस के अवसर पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित
सेहत टाइम्स
लखनऊ। कोरोना वायरस बीमारी को छोड़ दें तो विश्व स्तर पर होने वाली मौतों में गैर संचारी रोग (एनसीडी) मृत्यु दर का प्रमुख कारण हैं, कुल होने वाली मौतों में 71 फीसदी मौतें गैर-संचारी रोगों से होती हैं और गैर संचारी रोगों से होने वाली मौतों में क्रॉनिक किडनी रोग (सीकेडी) एक प्रमुख कारण है। सीकेडी भारत सहित पूरे विश्व में समय से पहले रोग और मृत्यु का कारण है।
यह बात आज विश्व गुर्दा दिवस के उपलक्ष्य में यहां लखनऊ स्थित संजय गांधी पीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभाग लखनऊ द्वारा संस्थान परिसर स्थित सी.वी रमन सभागार, लाइब्रेरी बिल्डिंग में जागरूकता अभियान के तहत आयोजित कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष प्रो नारायण प्रसाद ने कही। इस कार्यक्रम का उद्घाटन संस्थान के निदेशक प्रो0 आर.के. धीमन द्वारा किया गया।
प्रो नारायण प्रसाद ने बताया कि वर्ष 2017 में सीकेडी से 1.2 मिलियन मौतें हुईं और यह दुनिया भर में मृत्यु का 12वां प्रमुख कारण था। सीकेडी को हृदय रोग (सीवीडी) जोखिम के बराबर घोषित किया गया है और सभी सीवीडी मौतों का लगभग 7.6% सीकेडी को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। 1990 और 2017 के बीच सभी उम्र के सीकेडी मृत्यु दर में 41.5% की वृद्धि हुई, जबकि आयु-मानकीकृत सीकेडी से संबंधित मृत्यु दर स्थिर रही। हालांकि, इसी अवधि के दौरान सीवीडी के कारण मृत्यु दर में 30.4%, कैंसर में 14.9% और फेफड़ों की पुरानी बीमारी में 41.3% की कमी आई। एक नए अनुमान से पता चलता है कि सीकेडी से संबंधित मृत्यु दर 2040 तक मृत्यु दर का 5वां प्रमुख कारण होगा।
कार्यक्रम में डीन प्रो0 अनीश श्रीवास्तव, मुख्य चिकित्सा अघीक्षक प्रो0 गौरव अग्रवाल, प्रो0 आदित्य कपूर एवं अन्य संकाय सदस्य, अधिकारी, कर्मचारी, मरीजो एवं उनके रिश्तेदारों सहित करीब 500 लोगों ने भाग लिया।
इस अवसर पर एक पोस्टर प्रतियोगितया का भी आयोजन किया गया। जिसमें संस्थान के अधिकारियों/कर्मचारियों के बच्चों/मरीज व उनके रिश्तेदारों एवं संस्थान के बाहर के लोगों ने बढ़-चढ़ भाग लिया है। सभी पोस्टरों का आकलन संस्थान के चिकित्सकों के द्वारा किया गया। इस प्रतियोगिता में 70 लोगों से भाग लिया गया। चयनित पोस्टरों को पुरस्कृत किया गया।
जन मानस में गुर्दा रोग की जानकारी के लिए इस कार्यक्रम को जूम के माध्यम से आन लाइन, फेसबुक एवं यूट्यूब पर इस कार्यक्रम को प्रचारित किया गया। गुर्दा रोग के इस जागरूकता अभियान में नेफ्रोलाजी विभाग के समस्त चिकित्सकों द्वारा एक मूवी के माध्यम से मरीजों एवं रिश्तेदारों को बीमारी होने पर, इससे बचाव, उपचार, निदान एवं रहन-सहन पर जानकारी दी गयी।