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मुख्‍य सचिव ने कहा, मैंने हमेशा स्‍वैच्छिक रक्‍तदान किया, आप भी कीजिये

-केजीएमयू में ट्रांसकॉन-2023 की वर्कशॉप का उद्घाटन, नियमित रक्‍तदाताओं को किया गया सम्‍मानित

-इण्डियन सोसाइटी ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन एण्ड इम्यूनोहिमैटोलॉजी की 48वीं कॉन्‍फ्रेंस ट्रांसकॉन-2023 आयोजित

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। प्रदेश के मुख्‍य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने लोगों से अपील की है कि ऐच्छिक रक्‍तदान अवश्‍य करें, उन्‍होंने कहा कि रक्‍त जीवन की टूटती हुई डोर को मजबूत करता हैं, मैं हमेशा से महात्‍मा गांधी की पुण्‍यतिथि 30 जनवरी को रक्‍तदान करता आया हूं, यहां तक कि जब मैं ऑस्‍ट्रेलिया में था तो वहां भी इस दिन रक्‍तदान किया।

मुख्‍य सचिव ने यह विचार आज 4 अक्‍टूबर को यहां किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी केजीएमयू स्थित कलाम सेंटर में इण्डियन सोसाइटी ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन एण्ड इम्यूनोहिमैटोलॉजी (आईएसबीटीआई) की 48वीं कॉन्‍फ्रेंस ट्रांसकॉन-2023 में दो दिवसीय वर्कशॉप का उद्घाटन करते हुए मुख्‍य अतिथि के रूप में अपने उद्बोधन में व्‍यक्‍त किये। उन्‍होंने कहा कि रक्‍तदान के महत्‍व का पता तब चलता है जब कोई अपना प्रियजन बीमार होता है और उसे इमरजेंसी में रक्‍त चाहिये होता है, उन्‍होंने कहा कि मेरे सामने ऐसी स्थिति मेरे पिताजी और मेरी बेटी के बीमार होने के समय आ चुकी है, उन्‍होंने उस समय रक्‍तदान को लेकर अच्‍छे-बुरे अनुभव भी साझा किये।

इस अवसर पर स्वैच्छिक रक्तदान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए मुख्यालय सशस्त्र सीमा बल, गोमतीनगर, लखनऊ के महानिरीक्षक रत्न संजय, आईपीएस, निदेशक, भारतीय प्रबन्ध संस्थान, लखनऊ प्रो अर्चना शुक्ला, प्लान्ट हेड, टाटा मोटर्स लिमिटेड, लखनऊ महेश सुगुरू, इण्डिया पेस्टिसाइडस लिमिटेड के विशाल स्वरूप, एसपी गुप्ता को सम्मानित किया गया। उन्‍होंने कॉन्‍फ्रेंस के आयोजकों एवं ट्रान्सफ्यूजन मेडिसिन विभाग  केजीएमयू, लखनऊ की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस कार्यशाला से देश के विभिन्न कोनों से आये हुए चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टाफ के चिकित्सीय ज्ञान में वृद्धि होगी एवं स्वैच्छिक रक्तदान के विषय में चर्चा होने से स्वैच्छिक रक्तदान में वृद्धि होगी।

अति विशिष्ट अतिथि प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, उ0प्र0 शासन पार्थ सारथी सेन शर्मा  ने कार्यशाला में आये हुए डॉक्टर्स एवं पैरामेडिकल स्टाफ को सम्बोधित करते हुए कहा कि 5 दिवसीय इस कॉन्‍फ्रेंस का अपने चिकित्सीय ज्ञानवृद्धि में लाभ उठायें। उन्होंने स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला में ज्ञानवर्धन एवम् अनुभवों के आदान प्रदान से ब्लड ट्रान्सफ्यूजन के कुछ नये दिशा-निर्देश निकलने चाहिए।

इस अवसर पर कार्यक्रम अध्यक्ष केजीएमयू की कुलपति प्रो सोनिया नित्यानंद ने कार्यक्रम में आये हुए अतिथिगणों का स्वागत किया एवं कार्यशाला में आये हुए चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टाफ को ब्लड बैंकिंग के ज्ञान की वृद्धि के लिए आवाहित किया। उन्होंने कहा कि सुरक्षित रक्त चढ़ना बहुत जरूरी है जिससे कि कोई संक्रमित न हो। एचआईवी, हेपेटाइटिस जैसे संक्रमण मरीजो के लिये जानलेवा सिद्ध हो सकते है, इसलिये नैट एवं पैथोजेन रिडक्‍शन करना आवश्‍यक है।  

केजीएमयू के ट्रांसफ्यूजन मे‍डिसिन विभाग की विभागाध्‍यक्ष व कॉन्‍फ्रेंस की आयोजन सचिव प्रो तूलिका चन्द्रा ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं अन्य अतिथिगणों का स्वागत किया एवं कार्यक्रम में आने एवं कार्यक्रम में सहयोग के लिए धन्यवाद प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला से उ0प्र0 के लोगों को फायदा हो और ब्‍लड बैंक आगे बढ़कर सुरक्षित एवम् संक्रमणरहित रक्त देने में सक्षम हो, इसके लिये यह कार्यशाला का आयोजन बहुत महत्वपूर्ण है। केजीएमयू  ब्लड बैंक इस आयोजन के माध्यम से ब्लड ट्रान्सफ्यूजन को कई नई ऊँचाइयो पर ले जाना चाहता है। 

आईएसबीटीआई की महासचिव डॉ संगीता पाठक  ने कार्यशाला में अत्यधिक मात्रा में चिकित्सकों एवं पैरामेडिकल स्टाफ को आने के लिए  बधाई देते हुए उनका स्वागत किया। आयोजन अध्‍यक्ष डॉ एके त्रिपाठी ने कार्यशाला में आये हुए अतिथिगणों का स्वागत किया एवं कार्यशाला में देश के विभिन्न कोने से सम्मिलित होने आये चिकित्सकों एवं पैरामेडिकल स्टाफ को धन्यवाद दिया।

क्‍या होती है सेलुलर थैरेपी

डॉ मीनू, डॉ मोहित, डॉ सुमति, डॉ अजय कुमार, डॉ प्रताप नायडू, डॉ मोहन दास, जेरी चेटियर, डॉ नेदुन, की टीम ने सेलुलर थैरेपी के तहत स्‍टेम सेल थैरेपी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि विशेषज्ञों ने बताया कि जैसे बोन मैरो ट्रांसप्‍लांट करना है तो क्‍लीनिशियन का काम होता है मरीज को थैरेपी के लिए तैयार करना जबकि मरीज थैरेपी के तहत स्‍टेम सेल थैरेपी के लिए सेल शरीर से निकालने का काम ब्‍लड बैंक के चिकित्‍सक करते हैं, इसे करने के लिए विशेष प्रशिक्षण की आवश्‍यकता होती है। निश्चित समय पर ट्रांसफ्यूजन विभाग या ब्‍लड बैंक का चिकित्‍सक मरीज के स्‍टेम सेल निकालता है, सेल निकालने के बाद उनका ट्रीटमेंट करके सेल को इनफ्यूज कर दिया जाता है, जिससे मरीज की बीमारी काफी हद तक ठीक हो जाती है।  

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