Thursday , April 25 2024

वैक्‍सीन और पेपस्‍मीयर की जांच बचायेगी जानलेवा सर्वाइकल कैंसर से

-सेक्‍सुअली एक्टिव महिलाओं को ही होता है सर्वाइकल कैंसर

डॉ अनि‍ता सिंह

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। प्रति वर्ष पांच लाख महिलाओं को ग्रस्‍त करने वाली तथा डेढ़ लाख महिलाओं की जान लेने वाली बीमारी सर्वाइकल कैंसर (बच्‍चेदानी के मुंह का कैंसर) की भयावहता के बारे में हमें मालूम है,  हमें यह भी मालूम है कि इस बीमारी के होने का 99 प्रतिशत कारण एचपीवी वायरस है, और हमारे पास इस बीमारी से बचाव के रास्‍ते भी हैं जिनमें एक रास्‍ता वैक्‍सीन भी है तो क्‍यों न हम एक टीकाकरण अभियान से इस सर्वाइकल कैंसर को रोक लें, इससे अच्‍छा और क्‍या हो सकता है, बस इसके लिए जरूरत है जागरूकता की, इच्‍छा शक्ति की।

यह बात स्‍त्री रोग विशेषज्ञ डॉ अनि‍ता सिंह ने रविवार 9 सितम्‍बर को यहां आईएमए भवन में आयो‍जित सतत चिकित्‍सा शिक्षा (सीएमई) में अपने व्‍याख्‍यान में कही। उन्होंने कहा कि पूरे विश्‍व में सर्वाइकल कैंसर से मरने वालों में एक चौथाई महिलाएं भारत की हैं।

क्‍या करना चाहिये

डॉ अनि‍ता सिंह ने कहा कि इससे बचने के लिए दो स्‍टेज पर ध्‍यान देने की जरूरत है पहली है प्राइमरी प्रीवेन्‍शन तथा सेकेंडरी प्रीवेन्‍शन, प्राइमरी प्रीवेन्‍शन में दस से लेकर 45 साल की उम्र ( 25 वर्ष की उम्र तक बेहतर) तक की महिलाओं को इसकी वैक्‍सीन लगवायी जाये तथा सेकेंडरी प्रीवेंशन में तीन साल में एक बार दो मिनट में होने वाली जांच जिसे पेपस्‍मीयर स्‍क्रीनिंग कहते हैं, कराकर इस कैंसर से सुरक्षित रहा जा सकता है, स्‍क्रीनिंग से यह पता चल जाता है कि कैंसर होने की संभावना है अथवा नहीं, जिससे बचाव में मदद मिलती है।

डॉ अनि‍ता ने कहा कि इसके लिए चिकित्‍सकों की भी जिम्‍मेदारी है कि वे लोगों को जागरूक करें, चिकित्‍सकों में सिर्फ स्‍त्री रोग विशेषज्ञ ही नहीं दूसरी विधा के भी चिकित्‍सक सहयोग करें, क्‍योंकि साधारण बीमारियों के लिए लोग फि‍जीशियन के पास जाते हैं, अपने फैमिली डॉक्‍टर के पास जाते हैं, बच्‍चों के डॉक्‍टरों को भी लोगों को यह जानकारी देनी चाहिये, क्‍योंकि 10 साल की उम्र से वैक्‍सीन लग सकती है तो ऐसे में बाल रोग विशेषज्ञों के पास जो बच्चियां आयें उनके माता-पिता को इस बारे में जागरूक किया जा सकता है।  

उन्‍होंने कहा कि वैक्‍सीनेशन करा चुकी महिलाओं को भी पेप स्‍मी‍यरिंग टेस्‍ट कराना आवश्‍यक है, क्‍योंकि कोई भी वैक्‍सीन रोग को बचाने में मदद करती है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि वह रोग हो नहीं सकता है। उन्‍होंने कहा कि मेरी दूसरे चिकित्‍सकों से भी यह अपील है कि जब भी महिलाएं किसी अन्‍य शिकायतों को लेकर आयें तो उनकी माहवारी आदि की हिस्‍ट्री जरूर लें, क्‍योंकि अक्‍सर महिलाएं संकोच के कारण इस बारे में खुलकर बात नहीं करती हैं, उन्‍हें जागरूक करें कि वे पेप स्‍मीयर टेस्‍ट करायें।

इसके कारणों के बारे में डॉ अनि‍ता ने बताया कि कम उम्र में सैक्‍सुअल एक्‍सपोजर, मल्‍टी पार्टनर्स से सम्‍बन्‍ध, लो इम्‍युनिटी, बार-बार गर्भपात, असुरक्षित यौन संबंध जैसे कारणों से सर्वाइकल कैंसर की बीमारी की संभावना बनी रहती है। उन्‍होंने कहा कि चूंकि एचपीवी इंफेक्‍शन सैक्‍सुअली रिलेशन बनाने वाली महिलाओं को पुरुष के साथ असुरक्षित तरीके से संबंध बनाने से होता है तो ऐसे में अगर किसी महिला ने कभी किसी से शारीरिक संबंध नहीं बनाये हैं, उन्‍हें कभी सर्वाइकल कैंसर नहीं होगा, लेकिन अगर किसी महिला ने जीवन में एक बार भी शारीरिक संबंध बनाया है तो ऐसे लोगों को 26 प्रतिशत कैंसर होने की संभावना रहती है।

उन्‍होंने बताया कि एचपीवी से होने वाले इस कैंसर में संक्रमण होने के समय से कैंसर बनने में करीब आठ वर्ष लगते हैं, ऐसे में बचाव के लिए महिलाओं के पास बहुत समय होता है कि वे इससे बचने के तरीके अपना लें।    

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.