हेल्थ सिटी हॉस्पिटल में अर्थराइटिस फाउंडेशन ऑफ लखनऊ के समारोह में पहुंचीं महापौर व डीएम

लखनऊ। विश्व अर्थराइटिस दिवस के मौके पर अर्थराइटिस फाउंडेशन ऑफ लखनऊ के द्वारा साइक्लोथोन योग और जुंबा का आयोजन अक्टूबर 12 शुक्रवार को हेल्थसिटी हॉस्पिटल गोमती नगर में कियागया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि महापौर संयुक्ता भाटियाऔर विशिष्ट अतिथि जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा उपस्थित थे।
प्रातः 6:30 के पहले सैकड़ों की संख्या में प्रतिभागी एकत्रित हुए गोमती नगर स्थित हेल्थ सिटी हॉस्पिटल में यहां करीब 6:30 बजे सुबह साइक्लोथोन को झंडी दिखाकर रवाना किया गया। कार्यक्रम के दौरान मुख्यअतिथि और विशिष्ट अतिथि ने भी अपने विचार रखे।
साइक्लोथोंन में 100 से अधिक प्रतिभागियों ने साइकिल चलायी वहीँ योगा में भी लोगों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। सुबह टहलने वाले हों या फिर जिम जाने वाले सब ने हिस्सा लिया। डॉ कपूर ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य था कि लोगों में व्यायाम के प्रति जागरूकता फैलाएं।

कार्यक्रम के दौरान आर्थराइटिस फाउंडेशन ऑफ लखनऊके संस्थापक डॉ संदीप कपूर व संदीप गर्ग ने प्रतिभागियोंको आर्थराइटिस उससे जुड़े लक्षण उसके इलाज के बारे मेंबताया। उन्होंने अर्थराइटिस फाउंडेशन ऑफ लखनऊ केअब तक के सफर पर भी प्रकाश डाला।
डॉ कपूर ने बताया कि किस प्रकार से पिछले लगभग एकदशक से ज्यादा से फाउंडेशन आर्थराइटिस के लिए जनजागरण का काम कर रहा है और लोगों को अर्थराइटिस सेबचाव के उपाय नएनए तरीकों से समझाने का प्रयासकिया जा रहा है। डॉक्टर ने बताया कि किस प्रकार सेएकव्यक्ति स्वस्थ जीवन जी सकता है और जोड़ों की समस्याओं से अपने को दूर रख सकता है।लोगों को सावधानी इस बात पर भी रखनी चाहिए कि वह विभिन्न प्रकार के अनसाइंटिफिक इलाज इंटरनेट केमाध्यम से खोजे गए इलाज पर भरोसा ना करें। शुरुआती लक्षणों के आते ही सही समय पर जांच और इलाज से यह संभव है कि बीमारी को उसके शुरुआती स्टेज पर पकड़ा जाए और इलाज भी हो जिससे कि सर्जरी से बचा जासके।
कुल मिलाकर ध्यान इस बात का रखना है कि अपनीजीवन शैली और दिनचर्या इस प्रकार की रखें जिससेबीमारी से बचा जा सके और दिनचर्या इस प्रकार की भी होनी चाहिए जिससे आपकी हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत रहें जिससे कि आप को सर्जरी की आवश्यकता नापड़े या यूं कहें सर्जरी अंतिम विकल्प होना चाहिए।

डॉ. संदीप कपूर व डॉ. संदीप गर्ग ने बताया किआर्थराइटिस प्रमुख रूप से शरीर के जोड़ों पर असर करताहैपरन्तु इसका प्रभाव कई प्रकार से व्यक्ति के पूरे जीवन पर पड़ जाता है आर्थराइटिस आज जीवन शैली सम्बन्धित बीमारियों में प्रथम स्थान रखता है। डॉ. कपूर ने बताया कि लखनऊ में लगभग 5 लाख व्यक्ति आर्थराइटिस से प्रभावित हैं।भारत में यह संख्या 10 करोड़ है डॉ. संदीप गर्ग ने कहा कि आंकड़ों के अनुसार 10 दस में से सात व्यक्ति आर्थराइटिस से परेशान होते हैं। यह जोड़ोंसे सम्बन्धित एक जैसी स्वास्थ्य से परेशान होते हैं बीमारी से ग्रसित व्यक्ति तरह-तरह की परेशानी से गुजरता है। दर्द, चलने फिरने में कठिनाई, जोड़ों में अकड़न महसूस होनासमेत दूसरीपरेशानियाँ होती हैं। मरीज यह महसूस करताहै कि वह पहले की तरह चीजों को पकड़ भी नहीं पा रहाहै।
आर्थराइटिस के उपचार व बचाव पर बात करते हुए डॉ.कपूर व डॉ. गर्ग ने कि आर्थराइटिस अन्ततःप्रत्यारोपण सर्जरी के माध्यम से पूर्णतः ठीक हो जाता हैपरन्तु आधुनिक दवाओं के माध्यम से प्रत्यारोपण कोकाफी समय तक टाला जा सकता है साथ ही मरीज इस दौरान दर्द से भी छुटकारा पा सकते हैं।
डॉ. कपूर ने कहा कि आर्थराइटिस उपचार के अधिकमाध्यम नहीं है। इस कारण जो मरीज वैकल्पिक इलाज की ओर जाते हैं, वे एक प्रकार से बीमारी को बढ़ावा देते हैं, सही समय पर इलाज जरूरी है।
डॉ. संदीप गर्ग ने कहा कि बीमारी के जल्द पता लगने सेइसे न सिर्फ बढ़ने से रोका जा सकताहै बल्कि इससेदुष्प्रभाव को भी कम किया जा सकता है। प्रत्यारोपण केबाद मरीज सामान्य जीवन भी जी सकता है। उन्होंने बताया कि आर्थराइटिस होने का मतलब यह नहीं है कि आप सामान्य जीवन व्यतीत नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि प्रत्यारोपण सर्जरी से सामान्य जीवन सम्भव है। क्योंकि उपचार माध्यमों में समय के साथ तरक्की भी हुई है, जिसका सीधा फायदा इसके मरीजों को मिलता है।

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